क्या हैं खर्राटे
सोते वक्त सांस के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन आना खर्राटे कहलाता है। कई बार खर्राटे स्वास्थ्य समस्या के कारण भी होते हैं जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार खर्राटे हल्की आवाज में आते हैं लेकिन अक्सर ये आवाजें इतनी तेज और कठोर होती हैं कि आसपास सोने वालों की नींद उड़ा देती हैं। खर्राटों का इलाज समय पर न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया की वजह बन सकता है।
सोते वक्त सांस के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन आना खर्राटे कहलाता है। कई बार खर्राटे स्वास्थ्य समस्या के कारण भी होते हैं जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार खर्राटे हल्की आवाज में आते हैं लेकिन अक्सर ये आवाजें इतनी तेज और कठोर होती हैं कि आसपास सोने वालों की नींद उड़ा देती हैं। खर्राटों का इलाज समय पर न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया की वजह बन सकता है।
क्यों आते हैं खर्राटे….
– ज्यादातर लोगों को लगता है कि खर्राटे आने की वजह ज्यादा थकान है इसलिए वे इसे अनदेखा कर देते हैं। इससे समस्या गंभीर हो जाती है। दरअसल, सोते समय सांस में रुकावट खर्राटे आने की मुख्य वजह है। गले के पिछले हिस्से के संकरे हो जाने पर ऑक्सिीजन संकरी जगह से निकलती है, जिससे आसपास के टिशू वाइब्रेट होते हैं और खर्राटे आने लगते हैं।
– कई बार लोग पीठ के बल सोते हैं, जिससे जीभ पीछे की तरफ हो जाती है। जिससे सांस लेने और छोडऩे में रुकावट आने लग जाती है। इससे सांस के साथ आवाज और वाइब्रेशन होने लगता है।
– नीचे वाले जबड़े का छोटा होना भी खर्राटे आने का एक कारण है। जब व्यक्ति का जबड़ा सामान्य से छोटा होता है तो लेटने पर उसकी जीभ पीछे की तरफ हो जाती है और सांस की नली को ब्लॉक कर देती है। ऐसे में सांस लेने और छोडऩे के लिए प्रेशर लगाना पड़ता है, जिस कारण वाइब्रेशन होता है।
– नाक की हड्डी टेढ़ी होना और उसमें मांस बढ़ा होना। भी खर्राटे की एक वजह होती है। इस वजह से सांस के साथ आवाज आती है।
– वजन बढऩा भी खर्राटों को जन्म देता है। जब किसी का वजन बढ़ता है, तो उसकी गर्दन पर ज्यादा मांस लटकने लगता है। लेटते समय एक्स्ट्रा मांस के कारण सांस की नली दब जाती है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
– व्यक्ति की गर्दन अगर ज्यादा छोटी हो तो भी सोते समय सांस के साथ आवाज आती है।
– धुम्रपान एवं अल्कोहल की अधिक मात्रा का सेवन भी खर्राटे आने की वजन माना जा सकता है।
– किसी कारणवश अगर गले में संक्रमण के कारण सुजन होने पर भी खर्राटे आते है।
– ज्यादातर लोगों को लगता है कि खर्राटे आने की वजह ज्यादा थकान है इसलिए वे इसे अनदेखा कर देते हैं। इससे समस्या गंभीर हो जाती है। दरअसल, सोते समय सांस में रुकावट खर्राटे आने की मुख्य वजह है। गले के पिछले हिस्से के संकरे हो जाने पर ऑक्सिीजन संकरी जगह से निकलती है, जिससे आसपास के टिशू वाइब्रेट होते हैं और खर्राटे आने लगते हैं।
– कई बार लोग पीठ के बल सोते हैं, जिससे जीभ पीछे की तरफ हो जाती है। जिससे सांस लेने और छोडऩे में रुकावट आने लग जाती है। इससे सांस के साथ आवाज और वाइब्रेशन होने लगता है।
– नीचे वाले जबड़े का छोटा होना भी खर्राटे आने का एक कारण है। जब व्यक्ति का जबड़ा सामान्य से छोटा होता है तो लेटने पर उसकी जीभ पीछे की तरफ हो जाती है और सांस की नली को ब्लॉक कर देती है। ऐसे में सांस लेने और छोडऩे के लिए प्रेशर लगाना पड़ता है, जिस कारण वाइब्रेशन होता है।
– नाक की हड्डी टेढ़ी होना और उसमें मांस बढ़ा होना। भी खर्राटे की एक वजह होती है। इस वजह से सांस के साथ आवाज आती है।
– वजन बढऩा भी खर्राटों को जन्म देता है। जब किसी का वजन बढ़ता है, तो उसकी गर्दन पर ज्यादा मांस लटकने लगता है। लेटते समय एक्स्ट्रा मांस के कारण सांस की नली दब जाती है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
– व्यक्ति की गर्दन अगर ज्यादा छोटी हो तो भी सोते समय सांस के साथ आवाज आती है।
– धुम्रपान एवं अल्कोहल की अधिक मात्रा का सेवन भी खर्राटे आने की वजन माना जा सकता है।
– किसी कारणवश अगर गले में संक्रमण के कारण सुजन होने पर भी खर्राटे आते है।
खर्राटे का शरीर पर असर….
1. सांस लेने में बार-बार रुकावट होने पर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है, जिससे बीपी बढ़ जाता है।
2. शरीर में ऑक्सीजन कम होते ही दिल को ऑक्सीजन के लिए ज्यादा प्रेशर लगाना पड़ता है। जब यह समस्या बढ़ जाती है तो हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती है।
3. कई बार खर्राटों की समस्या दिमाग पर भी असर डालती है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने और कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढऩे से दिमाग पर बेवजह दबाव बढ़ जाता है। आप हमेशा तेज आवाज में खराटे लेते है तो आपके गले की धमनियों में प्लाक जमा हो सकता है और इस वजह से स्ट्रोक का सामना करना पड़ सकता है।
4. खर्राटे के कारण आपको एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। क्योकि खराटे के समय गले में हवा का प्रेशर पेट तक पहुंच कर एसिड को बाहर की तरफ धकेल सकता है। मोटापे से ग्रस्त लोगों को ये समस्या अधिक होती है।
5. नाक में रुकावट होने पर जब कोई शख्स मुंह खोलकर सोता है तो बिना छनी हवा मुंह के रास्ते व्यक्ति के अंदर जाती है, जिससे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।
6. खर्राटे भरने वाले लोग चिड़चिड़े हो जाते है। कुछ लोगों को डिप्रेशन होने लगता है। कुछ गुस्सैल हो जाते है।
7. रात को नींद पूरी न होने पर दिन भर आलस और थकान महसूस होती है, जिससे उसका मन अशांत रहता है। चिड़चिड़ापन और नाखुशी भी नजर आती है।
8. सात घंटे की नींद पूरी न होने पर व्यक्ति के हॉर्मोन्स पर असर पड़ता है। इससे उसका वजन बढऩा शुरु हो जाता है। वजन बढऩे से और ज्यादा खर्राटे आने लगते हैं।
1. सांस लेने में बार-बार रुकावट होने पर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है, जिससे बीपी बढ़ जाता है।
2. शरीर में ऑक्सीजन कम होते ही दिल को ऑक्सीजन के लिए ज्यादा प्रेशर लगाना पड़ता है। जब यह समस्या बढ़ जाती है तो हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती है।
3. कई बार खर्राटों की समस्या दिमाग पर भी असर डालती है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने और कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढऩे से दिमाग पर बेवजह दबाव बढ़ जाता है। आप हमेशा तेज आवाज में खराटे लेते है तो आपके गले की धमनियों में प्लाक जमा हो सकता है और इस वजह से स्ट्रोक का सामना करना पड़ सकता है।
4. खर्राटे के कारण आपको एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। क्योकि खराटे के समय गले में हवा का प्रेशर पेट तक पहुंच कर एसिड को बाहर की तरफ धकेल सकता है। मोटापे से ग्रस्त लोगों को ये समस्या अधिक होती है।
5. नाक में रुकावट होने पर जब कोई शख्स मुंह खोलकर सोता है तो बिना छनी हवा मुंह के रास्ते व्यक्ति के अंदर जाती है, जिससे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।
6. खर्राटे भरने वाले लोग चिड़चिड़े हो जाते है। कुछ लोगों को डिप्रेशन होने लगता है। कुछ गुस्सैल हो जाते है।
7. रात को नींद पूरी न होने पर दिन भर आलस और थकान महसूस होती है, जिससे उसका मन अशांत रहता है। चिड़चिड़ापन और नाखुशी भी नजर आती है।
8. सात घंटे की नींद पूरी न होने पर व्यक्ति के हॉर्मोन्स पर असर पड़ता है। इससे उसका वजन बढऩा शुरु हो जाता है। वजन बढऩे से और ज्यादा खर्राटे आने लगते हैं।
जानिये खर्राटे से बचने के आसान उपाए 1. अपने सोने की तरीको को बदलें- अगर आप को एक ही मुद्रा में सोने की अदत है तो ये आपको खर्राटें जैसी समस्याओ से ग्रसित कर सकती है। आप सोते समय करवट बदल कर सोने का प्रयास करें।
2. अपनी नाक की साफ सफाई में ध्यान दे – खर्राटे जैसी समस्याओं का मुख्य कारण हमारी श्वांस नली में पडऩे वाली बाधा है, जो नाक में जमी धूल मिट्टियों के कारण भी हो सकती है अत रात्रि में सोने से पहले अपनी नाक को अच्छी तरह से साफ करके सोना चाहिए।
2. अपनी नाक की साफ सफाई में ध्यान दे – खर्राटे जैसी समस्याओं का मुख्य कारण हमारी श्वांस नली में पडऩे वाली बाधा है, जो नाक में जमी धूल मिट्टियों के कारण भी हो सकती है अत रात्रि में सोने से पहले अपनी नाक को अच्छी तरह से साफ करके सोना चाहिए।
3. धूम्रपन से परहेज -धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता है । अत इसके परहेज करने से भी खर्राटे जैसी समस्या से बचा जा सकता है । 4. गर्म पानी का सेवन करें- रोजाना सोने से पहले गर्म पानी पीएं। इस्से गले की स्वांस नली खुलती है और खर्राटे की समस्या से कई हद तक निजात पा सकते हैं।
5. शहद का सेवन करें- शहद में कई प्रकार के गुण पाए जाते हैं। रोजाना शहद के इस्तेमाल से गले में होने वाली तकलीफ दूर होती है। रोजाना 2 से 3 बार एक चम्मच शहद का सेवन करें। रात में सोने से पहले एक चम्मच शहद अवश्य लें।
6. गले की मालिस करें- रात को सोते समय लहसुन को सरसों के तेल को गर्म करके गले एवं छाती की मालिस करने से स्वांस लेने में होने वाली रुकावट दूर होती है। इससे भी खर्राटे से निजात पाया जा सकता है।
7. सोने की सही दिशा- खराटो में सोने की सही दिशा बहुत महत्वपूर्ण है जिन लोगों को खराटे बहुत अधिक आते हैं उनको अधिकतर बायीं करवट लेकर ही सोना चाहिए ऐसा करने से आप देखेंगे की चमत्कारिक रूप से उनके खराटे बंद हो गए।