इधर, रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी
इटारसी। टे्रन में किसी यात्री का स्वास्थ्य खराब होने पर रेलवे यात्री का उपचार तो करेगा, लेकिन इसके लिए किसी भी स्थिति में ट्रेन को लेट नहीं किया जाएगा। कई बार ट्रेन में मरीज का स्वास्थ्य खराब होने पर डॉक्टर के चेकअप आदि में समय लगता था इस वजह से अभी तक रेलवे ट्रेनों को कुछ देर रोकने की इजाजत देता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यदि किसी मरीज की स्थिति ज्यादा खराब न हो तो उसे ट्रेन में ही फस्र्ट एड मुहैया कराया जाएगा। यदि मरीज की हालत ज्यादा खराब हो या उपचार मिलने में देरी होनी की आशंका हो तो अधिकारी मरीज को ट्रेन से उतारकर टे्रन का रवाना कर देंगे। इससे मरीज को उपचार भी मिल जाएगा और ट्रेन के लेट नहीं होने से अन्य यात्रियों को भी असुविधा नहीं होगी।
इटारसी। टे्रन में किसी यात्री का स्वास्थ्य खराब होने पर रेलवे यात्री का उपचार तो करेगा, लेकिन इसके लिए किसी भी स्थिति में ट्रेन को लेट नहीं किया जाएगा। कई बार ट्रेन में मरीज का स्वास्थ्य खराब होने पर डॉक्टर के चेकअप आदि में समय लगता था इस वजह से अभी तक रेलवे ट्रेनों को कुछ देर रोकने की इजाजत देता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यदि किसी मरीज की स्थिति ज्यादा खराब न हो तो उसे ट्रेन में ही फस्र्ट एड मुहैया कराया जाएगा। यदि मरीज की हालत ज्यादा खराब हो या उपचार मिलने में देरी होनी की आशंका हो तो अधिकारी मरीज को ट्रेन से उतारकर टे्रन का रवाना कर देंगे। इससे मरीज को उपचार भी मिल जाएगा और ट्रेन के लेट नहीं होने से अन्य यात्रियों को भी असुविधा नहीं होगी।
आगे बढ़ाना पड़ता है डॉक्टर कॉल
यात्रियों के स्वास्थ्य खराब होने की सूचना पर यार्ड स्थिति रेलवे अस्पताल से डॉक्टर को बुलाना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर के व्यस्त होने या यार्ड से स्टेशन तक आने में समय लगता है। यही कारण है कि समय पर डॉक्टर उपलब्ध न होने की स्थिति में कई बार डॉक्टर कॉल को आगे बढ़ाना पड़ता है।
डिप्टी एसएस कार्यालय में होती है व्यवस्था
रेलवे स्टेशन पर डिप्टी एसएस कार्यालय से डॉक्टर कॉल सहित यात्रियों से जुड़ी तमाम समस्याओं को हल करने का काम होता है। जंक्शन पर सात प्लेटफार्म हैं ऐसे में एक मरीज को अटैंड करने में समय लगता है। इस वजह से एक साथ दो डॉक्टर कॉल होने की स्थिति में मरीज यात्रियों को अटैंड करने में भी परेशानी होती है।
यात्रियों के स्वास्थ्य खराब होने की सूचना पर यार्ड स्थिति रेलवे अस्पताल से डॉक्टर को बुलाना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर के व्यस्त होने या यार्ड से स्टेशन तक आने में समय लगता है। यही कारण है कि समय पर डॉक्टर उपलब्ध न होने की स्थिति में कई बार डॉक्टर कॉल को आगे बढ़ाना पड़ता है।
डिप्टी एसएस कार्यालय में होती है व्यवस्था
रेलवे स्टेशन पर डिप्टी एसएस कार्यालय से डॉक्टर कॉल सहित यात्रियों से जुड़ी तमाम समस्याओं को हल करने का काम होता है। जंक्शन पर सात प्लेटफार्म हैं ऐसे में एक मरीज को अटैंड करने में समय लगता है। इस वजह से एक साथ दो डॉक्टर कॉल होने की स्थिति में मरीज यात्रियों को अटैंड करने में भी परेशानी होती है।