script24 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी जन्माष्टमी | krishna janmashtami 2019 date and pooja muhurat | Patrika News
होशंगाबाद

24 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी जन्माष्टमी

24 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी जन्माष्टमी

होशंगाबादAug 19, 2019 / 11:25 am

sandeep nayak

krishna janmashtami

krishna janmashtami 2019 ke totke

होशंगाबाद. भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) इस वर्ष भी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाएगा। हालांकि इस बार अष्टमी तिथि दो दिन (२३-२४) होने के कारण जन्माष्टमी को लेकर संशय है। जिसके चलते श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाए को लेकर विद्वानों में मतभेद है।
पंडि़त शुभम दुबे के अनुसार 22 अगस्त को अर्ध रात्रि 3.07 से अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है और अष्टमी तिथि 23 अगस्त रात्रि 3.11 अर्धरात्रि तक रहेगी। इस स्थिति में शास्त्रों में कहा जाता है अगर अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र ना हो तो रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि और कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत मनाया जाता है। पंचांग मत के अनुसार 23 अगस्त 2019 अर्ध रात्रि 12.02 मिनट से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ हो रहा है और 24 अगस्त शनिवार अर्ध रात्रि 12.20 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा तो संपूर्ण दिन रोहिणी नक्षत्र शनिवार 24 अगस्त को रहेगा, इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त की ही मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी का महत्व
1. इस दिन देश के समस्त मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
2. श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं।
3. भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजा के उन्हें झूला झुलाया जाता है
कृष्ण जन्माष्टमी का मुहूर्त
1. अष्टमी पहले ही दिन आधी रात को विद्यमान हो तो जन्माष्टमी व्रत पहले दिन किया जाता है।
2. अष्टमी केवल दूसरे ही दिन आधी रात को व्याप्त हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
3. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो और अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र का योग एक ही दिन हो तो जन्माष्टमी व्रत रोहिणी नक्षत्र से युक्त दिन में किया जाता है।
4. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को विद्यमान हो और दोनों ही दिन अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र व्याप्त रहे तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
5. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो और अर्धरात्रि आधी रातमें दोनों दिन रोहिणी नक्षत्र का योग न हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
6. अगर दोनों दिन अष्टमी आधी रात को व्याप्त न करे तो प्रत्येक स्थिति में जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा।
जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि
1. इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है।
2. इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें।
3. उपवास वाले दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें।
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