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होशंगाबाद

बड़ा खुलासा : कोविड 19 से शुरूआती लड़ाई नहीं कर पाएगा स्वास्थ्य विभाग, संसाधन की कमी

– संसाधन नहीं होने के कारण संदिग्धों के सैंपल भेजने में हो रही परेशानी, पीपीई कीट,

होशंगाबादMar 25, 2020 / 12:54 pm

amit sharma

बड़ा खुलासा : कोविड 19 से शुरूआती लड़ाई नहीं कर पाएगा स्वास्थ्य विभाग, संसाधन की कमी

बड़ा खुलासा : कोविड 19 से शुरूआती लड़ाई नहीं कर पाएगा स्वास्थ्य विभाग, संसाधन की कमी

अमित शर्मा होशंगाबाद। कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए जिला प्रशासन अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है। कोविड 19 को हराने के लिए फ्रंट लाइन पर लडऩे के लिए खड़े होने वाले स्वास्थ्य विभाग के पास अभी पर्याप्त संसाधन तक नहीं है। यही कारण है विभाग के अधिकारियों और मेडिकल स्टॉफ के बीच लगातार कोरोना वायरस के मरीजों को लेकर तनाव बना हुआ है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग के पास कोरोना के मरीजों को देखने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटेक्शन कीट और मास्क ही उपलब्ध नहीं है। लेकिन विभग लगातार इन जानकारियों को छुपाने का प्रयास कर रहा है। पत्रिका को एक रिपोर्ट हाथ लगी है, जिसमें महत्वपूर्ण संसाधनों की कमी बताते हुए उनकी उपलब्धता तुरंत कराए जाने की मांग की गई है। सूत्रों की माने तो जिला अस्पताल के सीएस डॉ.रविंद्र गंगराडे ने भी उच्चाधिकारियों को प्रोटेक्शन की कीट उपलब्ध कराने को कहा है। एेसा नहीं होने पर आगे काम कर पाना मुश्किल बताया गया है।
कारोना से लडऩे के लिए डॉक्टरों को चाहिए 20 से 30 पीपीई
कोरोना कवरेज़ की तस्वीरों को याद कीजिए। चीन के डाक्टर सफेद रंग के बॉडी कवर में दिखते थे। उनका चेहरा ढंका होता था। हेल्मेट जैसा पहने थे। सामने शीशा था। आपादमस्तक यानि सर से लकर पांव तक सब कुछ ढंका था। इस बाडी कवर के कई पार्ट होते हैं। इन्हें कुल मिलाकर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट पीपीई कहते हैं। कई तस्वीरों में बॉडी कवर पर भी छिड़काव किया जाता था कि उतारने के वक्त ग़लती से कोई वायरस शरीर के संपर्क में न आ जाए। इसी को हज़मत सूट भी कहते हैं। इसे एक बार ही पहना जाता है। इसके पहनने और उतारने की एक प्रक्रिया होती है। पहनने को डोनिंग कहते हैं। उतारने को डोफिंग कहते हैं। डोफिंग के लिए अलग कमरे में जाना होता है। इस तरह से उतारा जाता है जैसे पीछे से कोई कोट खींचता हो। फिर स्नान करना होता है जो उसी कमरे के साथ होता है तब जाकर डॉक्टर अपने कपड़ों में बाहर निकलता है। लेकिन विभाग के पास सिर्फ 50 कीट है। जबकि एक मरीज में ही करीब 30 कीट लगना है। इसमें भी पूर्व में मॉक ड्रिल के दौरान 8 कीट निकल चुकी है।
मास्क भी नहीं है विभाग के पास
एक मरीज के आने पर करीब 8 से 10 लोगों की टीम होती है। एेसे में विभाग के पास एन ९५ मास्क की संख्या करीब सीएस और सीएमएचओ स्टोर में कुल 200 है। इसमें एक मास्क को सिर्फ ६ घंटे तक उपयोग किया जा सकता है। एेसे में एक संदिग्ध मरीज को देखने के लिए 10 मास्क लगते हैं। एेसे में जिले में अभी तक 70 होम आइसोलेशन मरीजों की जांच अलग-अलग टीम ने की है। इससे साफ होता है कि किस तरह से लोगों की जिंदगी से स्वास्थ्य विभाग खिलवाड़ कर रहा है।
इनका कहना है
पीपीई कीट, एन 95, ग्लब और सेनेटाइजर सभी की कमी है। इसके ऑडर दिए गए है। हमने कोऑरपोरेशन के एमडी के पास अपनी बात रख दी है। जल्द ही इसकी उपलब्धता होगाी। – डॉ.रविंद्र गंगराडे, सीएस होशंगाबाद
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हम स्वास्थ्य विभाग के साथ लगातार संपर्क में है, जो भी कमी हो रही है, उसकी पूर्ति के लिए शासन से लगातार संपर्क में बने हुए हैं। आगे भी इस बात का ध्यान रखेंगे की किसी भी सामाग्री की कमी नहीं आए।- रजनीश श्रीवास्तव, आयुक्त होशंगाबाद
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