scriptइसे कहते हैं हौंसला…बाघ को सामने देख महिला वनकर्मी बनी लेडी टाइगर, हौंसला देख बाघ को भी माननी पड़ी हार | Lady tiger made in front of the tiger, Lady Tiger seen in front | Patrika News

इसे कहते हैं हौंसला…बाघ को सामने देख महिला वनकर्मी बनी लेडी टाइगर, हौंसला देख बाघ को भी माननी पड़ी हार

locationहोशंगाबादPublished: Jan 10, 2019 02:31:49 pm

Submitted by:

govind chouhan

जंगल में वन्य जीवों की गणना करने गए वनकर्मियों को दिखा बाघ, हौंसला दिखाया तो बची जान

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बाघ को सामने देख महिला वनकर्मी बनी लेडी टाइगर, हौंसला देख बाघ को भी माननी पड़ी हार

पिपरिया. यूं तो बाघ का नाम सुनते ही मन में डर खड़ा हो जाता है और जब बाघ सचमुच में ही सामने आ जाए तो रोंगड़े खड़े हो जाते हैं। शूरवीरों का साहस भी काम नहीं देता। मगर जब कोई आम महिला अपनी सूझबूझ और हौंसलों के बल पर घंटों बाघ का सामना कर ले तो इसे आप क्या कहेंगे। लेकिन चौंकिए नहीं यह साबित कर दिखाया है एक महिला वन कर्मी ने। करीब एक घंटे तक बाघ से सामना होने के बाद भी जब उसने हार नहीं मानी तो खुद बाघ को ही हार मानकर पीछे हटना पड़ा। घटना है पिपरिया सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की मटकुली झिरिया बीट का है। दो श्रमिकों के साथ वनकर्मी मंगलवार को वन्यजीवों की गणना करने जंगल में गई थी। जहां घने जंगल में अचानक दस मीटर की दूरी पर उन्हें बाघ दिखा तो उनके कदम रूक गए। महिला वन रक्षक सुधा धुर्वे ने बाघ देखा तो तुरंत साथ चल रहे मजदूर अर्जुन और विष्णु को सतर्क कर दिया। इस दौरान बाघ ने उन्हें देखा घूरा, गुर्राया और फिर दहाड़ा भी लेकिन वह हिली तक नहीं। उसके साथ मौजूद दो मजदूरों ने भी उसका अनुशरण किया, लेकिन बाद में डर के कारण दोनों को बुखार आ गया।
महिला वन रक्षक सुधा धुर्वे ने बताया कि वह पहले ही दोनों वनकर्मियों को समझा चुकी थी कि ऐसी नौबत आए तो भागना नहीं, मेरा अनुशरण करना। सुधा बाघ की आंखों में आंखे डालकर खड़ी रही। डेढ़ घंटे तक हिली नहीं। उसने पत्रिका को बताया कि प्रशिक्षण में ऐसी परिस्थति से निपटने के बारे में सिखाया गया था, लेकिन बाघ का सामना होते ही जैसे वह एक पल के लिए सब भूल गई। फिर संभली और उसकी आंखों में आंखे डालकर बाघ का सामना करते रहीं। इस दौरान बाघ गुस्से से उन्हें लगातार घूरते रहा। डेढ़ घंटे बाद वह मुड़ा और जंगल में चला गया। तब सांस में सांस आई। ठुठरन भरी सर्दी में भी हम तीनों पसीने से नहा गए थे। सुधा कहती है, मुझे खुद से ज्यादा दोनों श्रमिकों की चिंता थी। इसके बाद तीनों ने फिर वन्यजीवों की गणना का काम पूरा किया और लौटने के बाद शाम को अधिकारियों को घटनाक्रम बताया। इसके बाद दोनों श्रमिकों को बुखार आ गया है।
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प्रशिक्षण काम आया
बाघ के सामने शेरनी की तरह आंखों में आंखे डालकर खड़ी रही सुधा ने पत्रिका से चर्चा में कहा कि शेर को सामने देख कुछ पल तो सब कुछ भूल गए थे लेकिन इसी बीच वन प्रशिक्षण में दिए गए टिप्स याद आ गए। शेर अथवा बाघ सामने आ जाए तो कोई हरकत नहीं करना चाहिए उससे नजरें मिलाकर रखे यही हमने किया। सुधा ने बताया कि उनके साथ दो श्रमिक भी थे उनके परिवार और जान की चिंता भी सता रही थी बस यही सोचकर बाघ के सामने आंखों में आंखे डालकर खड़े रहे, न डरे और न हिले वरना बाघ हमला कर देता।
26 को होंगी पुरस्कृत
वनरक्षक सुधा को पुरस्कृत करने विभाग को प्रस्ताव भेजा है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर उसे पुरस्कृत किया जाएगा।

इनका कहना है…

वनरक्षक सुधा ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। डेढ़ घंटे बाघ के सामने डटी रही। प्रशिक्षण में दिए गए टिप्स का उपयोग कर दोनों श्रमिकों को सुरक्षित लेकर लौटी। इसके लिए उसे पुरस्कृत किया जाएगा।
लोकेश निरापुरे, एसडीओ वन, पिपरिया
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