बाघ के सामने शेरनी की तरह आंखों में आंखे डालकर खड़ी रही सुधा ने पत्रिका से चर्चा में कहा कि शेर को सामने देख कुछ पल तो सब कुछ भूल गए थे लेकिन इसी बीच वन प्रशिक्षण में दिए गए टिप्स याद आ गए। शेर अथवा बाघ सामने आ जाए तो कोई हरकत नहीं करना चाहिए उससे नजरें मिलाकर रखे यही हमने किया। सुधा ने बताया कि उनके साथ दो श्रमिक भी थे उनके परिवार और जान की चिंता भी सता रही थी बस यही सोचकर बाघ के सामने आंखों में आंखे डालकर खड़े रहे, न डरे और न हिले वरना बाघ हमला कर देता।
वनरक्षक सुधा को पुरस्कृत करने विभाग को प्रस्ताव भेजा है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर उसे पुरस्कृत किया जाएगा। इनका कहना है… वनरक्षक सुधा ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। डेढ़ घंटे बाघ के सामने डटी रही। प्रशिक्षण में दिए गए टिप्स का उपयोग कर दोनों श्रमिकों को सुरक्षित लेकर लौटी। इसके लिए उसे पुरस्कृत किया जाएगा।
लोकेश निरापुरे, एसडीओ वन, पिपरिया