यह है मामला रसूलिया रेलवे फाटक के पास मौजा जलालाबाद में जमीन को लेकर वर्ष १९६९-७० में न्यायालय कलेक्टर ने आदेश दिया था कि इस क्षेत्र में कोई भूखंड ४८०० वर्गफुट से कम नहीं होगा। न्यायालय के इस आदेश के विपरीत अलका तिवारी २८ दिसंबर २०१७ को २००० वर्गफुट एवं आनंदमोहन तिवारी ने भी २००० वर्गफुट का भूखंड खरीदा। चूंकि यह भूखंड निर्धारित साइज से कम में बिके हैं इसलिए वहां पर निर्माण नहीं हो सकता है। इस पर लगी तमाम आपत्तियों के बाद भी मकान का काम चालू कर दिया गया है। नपा ने २६ अप्रैल को कलेक्टर के आदेश की अवहेलना का हवाला देकर काम रोकने का नोटिस भी दिया था मगर काम चालू है।
अधिकारी पर लगाए आरोप इस पूरे मामले में दो दिन पहले कॉलोनी के लोगों ने कमिश्नर को यह शिकायत की है कि जमीन का व्यवपर्तन बदलने का अधिकार कलेक्टर कार्यालय को है बावजूद उसके कलेक्टर के आदेश की अनदेखी करते हुए जमीन का व्यपवर्तन कमर्शियल कर दिया गया है जबकि अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में कलेक्टर न्यायालय का पहले का आदेश भी दिया गया था। कॉलोनी के लोगों ने कहा कि इस मामले में शुरू से अभी तक अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों व शिकायतों की अनदेखी की जा रही है।
किसने क्या कहा हमने जमीन का व्यपवर्तन नियमों के तहत ही किया है। उसमें किसी तरह की कोई अनदेखी नहीं हुई है। हमें हमारे अधिकारों का पूरा ज्ञान है। राधेश्याम बघेल, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व होशंगाबाद
कॉलोनी के लोगों ने कमिश्नर कार्यालय में शिकायत की है। शिकायत में अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय द्वारा अधिकार नहीं होने के बावजूद जमीन का व्यवपर्तन बदलने की बात रखी है और उसे निरस्त करने की मांग की है।
समीर जायसवाल, स्थानीय निवासी हमारे द्वारा किसी तरह से कोई नियमविरुद्ध निर्माण नहीं किया जा रहा है। हमने सभी अनुमतियां ली हैं। व्यपवर्तन का विषय शासन का है और प्रशासकीय अधिकारियों ने पूरी जानकारी के बाद ही किया है।
डॉ आनंद मोहन तिवारी, कॉम्प्लेक्स निर्माणकर्ता