कहां है समस्या?
डाकघर में चर्चा करने पर अधिकारियों व कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टेट ट्रेजरी अर्थात राज्य कोषालय रसीदी टिकिटों के लिए जिम्मेदार व जवाबदेह होता है। लेकिन वहीं से टिकिट नहीं आ पा रही है। जब भी जिले से टिकिट की मांग की जाती है तो स्टॉक में होने पर दी जाती है। अब सवाल यह बन रहा है कि जब जिले में ही टिकिट का स्टॉक उपलब्ध नहीं है तो फिर कालाबाजारी करने वालों को टिकिट कहां से मिल रही है। कलेक्टर की जिम्मेदारी बनती है कि जिला डाकघर से प्रतिदिन रिलीज होने वाली टिकिटों की संख्या व इनके वितरण की समीक्षा करे। क्योंकि कालाबाजारी होने में कहीं न कहीं प्रशासनिक व्यक्ति की सक्रिय भूमिका नजर आ रही है।
मैं दिखवाता हूं
आपने बताया है तो मैं दिखवाता हूं कि कहां समस्या हो रही है। तय किया जाएगा कि जहां से जितनी भी डिमांड हो, वहां उतनी रैवेन्यू टिकिट्स दी जाएं। यदि कालाबाजारी हो रही है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर, होशंगाबाद।
डाकघर में चर्चा करने पर अधिकारियों व कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टेट ट्रेजरी अर्थात राज्य कोषालय रसीदी टिकिटों के लिए जिम्मेदार व जवाबदेह होता है। लेकिन वहीं से टिकिट नहीं आ पा रही है। जब भी जिले से टिकिट की मांग की जाती है तो स्टॉक में होने पर दी जाती है। अब सवाल यह बन रहा है कि जब जिले में ही टिकिट का स्टॉक उपलब्ध नहीं है तो फिर कालाबाजारी करने वालों को टिकिट कहां से मिल रही है। कलेक्टर की जिम्मेदारी बनती है कि जिला डाकघर से प्रतिदिन रिलीज होने वाली टिकिटों की संख्या व इनके वितरण की समीक्षा करे। क्योंकि कालाबाजारी होने में कहीं न कहीं प्रशासनिक व्यक्ति की सक्रिय भूमिका नजर आ रही है।
मैं दिखवाता हूं
आपने बताया है तो मैं दिखवाता हूं कि कहां समस्या हो रही है। तय किया जाएगा कि जहां से जितनी भी डिमांड हो, वहां उतनी रैवेन्यू टिकिट्स दी जाएं। यदि कालाबाजारी हो रही है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर, होशंगाबाद।