सप्त चिरंजीवी में स्थान है प्राप्त
हनुमानजी को सप्त चिरंजीवी में स्थान प्राप्त है। हनुमानजी अजर, अमर हैं। इसलिए हम लोग उनकी जयंती नहीं मनाते हुए उनका जन्म उत्सव मनाते हैं। हनुमान जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
हनुमानजी को सप्त चिरंजीवी में स्थान प्राप्त है। हनुमानजी अजर, अमर हैं। इसलिए हम लोग उनकी जयंती नहीं मनाते हुए उनका जन्म उत्सव मनाते हैं। हनुमान जन्मोत्सव पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
सुबह के समय हुआ जन्म
पंडित मुरलीधर व्यास बताते हैं कि हनुमानजी का जन्म सुबह काल 6.00 बजे मेष लग्न में हुआ है। हनुमानजी हर गांव एवं हर शहर की खेड़ापति के रूप में रक्षा करते हैं। हनुमानजी की आराधना से शनि, राहु, केतु, मंगल, सूर्य आदि क्रूर ग्रहों की शांति होती है।
पंडित मुरलीधर व्यास बताते हैं कि हनुमानजी का जन्म सुबह काल 6.00 बजे मेष लग्न में हुआ है। हनुमानजी हर गांव एवं हर शहर की खेड़ापति के रूप में रक्षा करते हैं। हनुमानजी की आराधना से शनि, राहु, केतु, मंगल, सूर्य आदि क्रूर ग्रहों की शांति होती है।
डेढ़ सौ साल पहले जमीन में से निकली थी हनुमानजी की प्रतिमा
आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले खेड़ीपुरा क्षेत्र शहर का बाहरी ग्रामीण इलाका था। उस समय जमीन खुदाई के दौरान हनुमानजी की प्रतिमा निकली थी। आज यह स्थान लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। प्रतिमा की खास बात यह है कि हनुमानजी के साथ ही भगवान गणेशजी, सती माता और भेरुबाबा की प्रतिमा जुड़ी हैं, जो एक साथ विराजित हैं। यह स्थान आज खेड़ापति हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। श्रद्धालु तुलसीराम कहार (75) ने बताया कि हनुमानजी व अन्य भगवानों की प्रतिमाएं जिस जगह से निकली थी, वह आज भी वहीं पर विराजित हैं। उन्होंने बताया कि उनकी तीन पीढिय़ां सतत् मंदिर में भगवान की भक्ति कर रही हैं। कहार ने बताया कि इस मंदिर में भगवान की आराधना करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यही कारण है कि खेड़ापति हनुमान मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केंद्र बन गया है। पंडित विद्याधर उपाध्याय एवं पंडित दीपक जोशी ने बताया कि हर साल मंदिर में हनुमानजी का जन्मोत्सव हर्षाेल्लास से मनाया जाता है। इस साल भी शुक्रवार को सुबह 6 बजे से रुद्रपाठ के साथ जलाभिषेक कार्यक्रम शुरू हुआ और चौबीस घंटे की अखंड ज्योत जलाई गई। 16 अप्रेल शनिवार सुबह 6 बजे रुद्रपाठ का समापन होगा। इसके बाद सुबह हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाते हुए उनका विशेष श्रृंगार किया जाएगा। वहीं आरती व प्रसादी वितरण कार्यक्रम होगा। इसी तरह शहर के शहर के बायपास रोड स्थित केसरीनंदन हनुमान मंदिर, नगर के गोलापुरा में श्रीराम मंदिर, गुप्तेश्वर मंदिर, पुरानी गल्ला मंडी हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिरों में हनुमानजी का जन्मोत्सव एवं भंडारे का आयोजन होगा।
आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले खेड़ीपुरा क्षेत्र शहर का बाहरी ग्रामीण इलाका था। उस समय जमीन खुदाई के दौरान हनुमानजी की प्रतिमा निकली थी। आज यह स्थान लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। प्रतिमा की खास बात यह है कि हनुमानजी के साथ ही भगवान गणेशजी, सती माता और भेरुबाबा की प्रतिमा जुड़ी हैं, जो एक साथ विराजित हैं। यह स्थान आज खेड़ापति हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। श्रद्धालु तुलसीराम कहार (75) ने बताया कि हनुमानजी व अन्य भगवानों की प्रतिमाएं जिस जगह से निकली थी, वह आज भी वहीं पर विराजित हैं। उन्होंने बताया कि उनकी तीन पीढिय़ां सतत् मंदिर में भगवान की भक्ति कर रही हैं। कहार ने बताया कि इस मंदिर में भगवान की आराधना करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यही कारण है कि खेड़ापति हनुमान मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केंद्र बन गया है। पंडित विद्याधर उपाध्याय एवं पंडित दीपक जोशी ने बताया कि हर साल मंदिर में हनुमानजी का जन्मोत्सव हर्षाेल्लास से मनाया जाता है। इस साल भी शुक्रवार को सुबह 6 बजे से रुद्रपाठ के साथ जलाभिषेक कार्यक्रम शुरू हुआ और चौबीस घंटे की अखंड ज्योत जलाई गई। 16 अप्रेल शनिवार सुबह 6 बजे रुद्रपाठ का समापन होगा। इसके बाद सुबह हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाते हुए उनका विशेष श्रृंगार किया जाएगा। वहीं आरती व प्रसादी वितरण कार्यक्रम होगा। इसी तरह शहर के शहर के बायपास रोड स्थित केसरीनंदन हनुमान मंदिर, नगर के गोलापुरा में श्रीराम मंदिर, गुप्तेश्वर मंदिर, पुरानी गल्ला मंडी हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिरों में हनुमानजी का जन्मोत्सव एवं भंडारे का आयोजन होगा।