विशेष प्रशिक्षण केंद्र होंगे : जो बच्चे उम्र के हिसाब से अशिक्षित हो जाते हैं। किसी कारण या झिझकपन से स्कूल नही जा पाते है, ऐसे बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र खोला जाएगा। जिसमें आयु के अनुरूप शिक्षा दी जाएगी।
खोखले साबित हो रहे शिक्षा से जुड़े अभियान, पिछले एक साल में बिगड़े हालात
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान का सच
एक ओर शासन बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान चला रहा है। वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में ये अभियान खोखला साबित होता दिखाई दे रहा है। वर्ष 201७-1८ पर नजर डाले तो जिले में करीब १५८० बच्चें स्कूल से बाहर हैं। जिले में कुल २ लाख १३ हजार ९९६ बच्चें शामिल है, जिसमें से केवल २ लाख १२ हजार ४१६ बच्चें स्कूल जाते हैं। जिसमेें सबसे ज्यादा लड़के शामिल है।
नुक्कड़ नाटक से करते हैं जागरूक
विभाग द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे है। इसके लिए समय-समय पर रैली निकाली जाती हैै। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा भी दिया जाता है। नुक्कड़ नाटक से पढ़ाई का महत्व बताया जाता है। गांवों में सभाओं का आयोजन किया जाता है, ताकि लोग पढ़ाई के प्रति जागरुक हो सके।
कस्बों में ज्यादा बच्चे अशिक्षित
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार २३९४ गांव और बसाहटें है, जिसमें से ११८० बच्चे जिसमें ५६९ बालक, ६११ बालिकाएं बाहर थी। स्थिति जानने के लिए सर्वे किया जाता है। इसके आधार पर स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की सही जानकारी मिलती है। सर्वे के दौरान १५८० बच्चें ऐसे मिले जिनके नाम पोर्टल पर तो है लेकिन वह गांव में मौजूद नही हैं।
इन कारणों से स्कूल नहीं पहुंच रहे बच्चे
खेती के काम में, जानवर चराना, आर्थिक स्थिति कमजोर, बच्चों की नि:शक्त व लंबी बीमारी, बाल विवाह, भाई-बहनों या बच्चों की देखभाल, शाला का वातावरण अच्छा न होना, शाला त्यागीशाला में पढ़ाई न होना, शिक्षक का व्यवहार अच्छा न होना, शैक्षिक सुविधाओं का अभाव, अधिक दूरी, लड़कियों की शिक्षा के प्रति माता-पिता और परिजन की उदासीनता, पढ़ाई को लेकर जागरुकता की कमी।
जिले में इतने बच्चें
वर्ग संख्या
बालक ११२१५०
बालिकाएं १०१२३५
नामांकित
बालक ११५५८१
बालिकाएं १०१२३५
जिले में स्कूल
वर्ग संख्या
प्राथमिक शालाएं ११४१
माध्यमिक शालाएं ५४३
शासकीय शालाएं ७५०
देते हैं समझाइश
विभाग द्वारा स्कूल चलो अभियान चलाया जाता हैै। साथ ही घर-घर जाकर सर्वे किया जाता हैै, ताकि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से छूट न जाए। साथ ही परिजनों को भी समझाइश देते है।
एसएस पटेल, डीपीसी
खोखले साबित हो रहे शिक्षा से जुड़े अभियान, पिछले एक साल में बिगड़े हालात
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान का सच
एक ओर शासन बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान चला रहा है। वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में ये अभियान खोखला साबित होता दिखाई दे रहा है। वर्ष 201७-1८ पर नजर डाले तो जिले में करीब १५८० बच्चें स्कूल से बाहर हैं। जिले में कुल २ लाख १३ हजार ९९६ बच्चें शामिल है, जिसमें से केवल २ लाख १२ हजार ४१६ बच्चें स्कूल जाते हैं। जिसमेें सबसे ज्यादा लड़के शामिल है।
नुक्कड़ नाटक से करते हैं जागरूक
विभाग द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे है। इसके लिए समय-समय पर रैली निकाली जाती हैै। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा भी दिया जाता है। नुक्कड़ नाटक से पढ़ाई का महत्व बताया जाता है। गांवों में सभाओं का आयोजन किया जाता है, ताकि लोग पढ़ाई के प्रति जागरुक हो सके।
कस्बों में ज्यादा बच्चे अशिक्षित
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार २३९४ गांव और बसाहटें है, जिसमें से ११८० बच्चे जिसमें ५६९ बालक, ६११ बालिकाएं बाहर थी। स्थिति जानने के लिए सर्वे किया जाता है। इसके आधार पर स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की सही जानकारी मिलती है। सर्वे के दौरान १५८० बच्चें ऐसे मिले जिनके नाम पोर्टल पर तो है लेकिन वह गांव में मौजूद नही हैं।
इन कारणों से स्कूल नहीं पहुंच रहे बच्चे
खेती के काम में, जानवर चराना, आर्थिक स्थिति कमजोर, बच्चों की नि:शक्त व लंबी बीमारी, बाल विवाह, भाई-बहनों या बच्चों की देखभाल, शाला का वातावरण अच्छा न होना, शाला त्यागीशाला में पढ़ाई न होना, शिक्षक का व्यवहार अच्छा न होना, शैक्षिक सुविधाओं का अभाव, अधिक दूरी, लड़कियों की शिक्षा के प्रति माता-पिता और परिजन की उदासीनता, पढ़ाई को लेकर जागरुकता की कमी।
जिले में इतने बच्चें
वर्ग संख्या
बालक ११२१५०
बालिकाएं १०१२३५
नामांकित
बालक ११५५८१
बालिकाएं १०१२३५
जिले में स्कूल
वर्ग संख्या
प्राथमिक शालाएं ११४१
माध्यमिक शालाएं ५४३
शासकीय शालाएं ७५०
देते हैं समझाइश
विभाग द्वारा स्कूल चलो अभियान चलाया जाता हैै। साथ ही घर-घर जाकर सर्वे किया जाता हैै, ताकि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से छूट न जाए। साथ ही परिजनों को भी समझाइश देते है।
एसएस पटेल, डीपीसी