सरताज सिंह ने कहा कि मुझ जैसे व्यक्ति की आईसीयू से निकलते समय मेरे स्टाफ से पैसे मांगने से साबित होता है कि आम लोगों के क्या हाल होंगे। सिंह ने यहां मीडिया से चर्चा करने के दौरान यह खुलासा किया। उनके इस खुलासे के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया।
उत्तराधिकारी पार्टी तय करेगी
सरताज ने कहा कि अगला चुनाव कोई पार्टी नहीं जनता लड़ेगी। आपका उत्तराधिकारी कौन होगा, इस पर बोले यह पार्टी तय करेगी। वैसे भी उत्तराधिकारी राजतंत्र में होता था लोकतंत्र में नहीं। अभी पार्टी का महौल अनुकूल नहीं है, इसलिए मैंने चुनावी राजनीति से सन्यास लेने का फैसला किया है। इस महौल में किसी को भी घुटन महसूस हो सकती है। अब संगठन सुनता है और न समझता है। गलत दिखता है तो पीड़ा होती है। इसे ठीक करने का प्रयास करता हूं। जितनी क्षमता है, उस हिसाब से कर पाता हूं। उपचुनाव मेें हार पर कहा कि राजनीति विश्वास पर चलती है, जो विश्वास जीतता है वही चुनाव जीतता है। जो कुछ हुआ वह समझदार व्यक्ति के लिए संकेत है। अब कोई चेहरा चुनौती नहीं होता, सबसे ज्यादा वजनदार जनता है। इस देश में इंदिरा गांधी तक चुनाव हारी हैं। संघ से जुड़े सवाल पर कहा कि वह देखता है और मनन करता है। उस तक सभी बातें जाती भी होंगी लेकिन उनके जाने की गति तेज हो जाए, वह यही चाहते हैं।
हार के डर से चुनाव नहीं लडऩे के सवाल पर कहा, 25 साल से कई लोगों की जमानतें जब्त कराते आ रहे हैं, हार से नहीं डरते। लोकतंत्र में नेता और मंत्री अधिकारी कुछ नहीं होते, जनता ही सबकुछ होती है। पार्टी जिसे भी चुनाव लड़ाएगी, उसके लिए काम करेंगे।
अपने विस क्षेत्र के बिजली कंपनी के अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए बोले, अब बिजली विभाग के अफसर सरकार के अधीन नहीं है। उसका नियंत्रण विद्युत नियामक आयोग करता है। मंत्री भी किसी का ट्रांसफर नहीं कर सकता। इसलिए सुनते नहीं हैं।
सिंह ने कहा कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सोमवार को मुलाकात करेंगे। इसके बाद ही वह अगले कदम की घोषणा करेंगे। उनका कहना है कि उनका विरोध किसी चहरे से नहीं, व्यवस्था से है। जो भी समस्या है, उसे परिवार के मुखिया को समझना चाहिए। जो मुद्दे वे उठा रहे हैं, उनसे पार्टी का ही भला होने वाला है। चिंता, चिंतन के साथ सुधार के प्रयास होने चाहिए। यही बात वे सीएम से भी कहेंगे।
होशंगाबाद. 75 प्लस का फार्मूले की आड़ में मंत्रीपद से हटाए गए सरताज के चुनावी साल में तेवर तीखे हो गए हैं। राजधानी में चुनावी राजनीति से सन्यास लेने का ऐलान करने के बाद होशंगाबाद पहुंचे सिंह ने अपनी ही पार्टी और सरकार को कटघरे में खड़ा किया। नसीहत दी कि उपचुनाव के परिणाम समझदार व्यक्ति के लिए संकेत हैं। शीर्ष नेतृत्व की मनमानी पर बोले कि उनकी स्थिति बाढ़ में डूब रहे उस व्यक्ति जैसी है जो बिना सोचे समझे, बचने के लिए हाथ-पैर मारता है। उन्होंने फिर दोहराया कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, पार्टी टिकट देगी तब भी नहीं।