भाड़े ने किया मजबूर
सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीज गरीब और मध्यम वर्गीय होते हैं। उनकी स्थिति को देखते हुए प्रबंधन ने पहले 300 रुपए प्रतिदिन किराया तय करने की योजना बनाई थी मगर प्राइवेट वार्डों के मेंटनेंस को देखते हुए रोगी कल्याण समिति की बैठक में किराया 500 रुपए प्रतिदिन तय कर दिया गया। खास बात यह है कि तय किया किराया अस्पताल में आने वाले मरीजों को भारी पड़ता है इसलिए वे जनरल वार्ड में ही भर्ती हो जाते हैं। अब तक ऐसा मौका कभी नहीं आया है कि सभी प्राइवेट वार्ड एक साथ हर माह बुक हुए हों।
सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीज गरीब और मध्यम वर्गीय होते हैं। उनकी स्थिति को देखते हुए प्रबंधन ने पहले 300 रुपए प्रतिदिन किराया तय करने की योजना बनाई थी मगर प्राइवेट वार्डों के मेंटनेंस को देखते हुए रोगी कल्याण समिति की बैठक में किराया 500 रुपए प्रतिदिन तय कर दिया गया। खास बात यह है कि तय किया किराया अस्पताल में आने वाले मरीजों को भारी पड़ता है इसलिए वे जनरल वार्ड में ही भर्ती हो जाते हैं। अब तक ऐसा मौका कभी नहीं आया है कि सभी प्राइवेट वार्ड एक साथ हर माह बुक हुए हों।
25 लाख खर्च, बने 10 कमरे
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी अस्पताल के लिए 10 प्राइवेट वार्डों की स्वीकृति हुई थी। यह वार्ड करीब २५ लाख रुपए की लागत से बनाए गए थे। वर्ष 2012 में यह प्राइवेट वार्ड बनकर तैयार हो गए थे। इन वार्डों के बनकर तैयार होने के बाद यह उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में अस्पताल में दो दिन गुजारने के लिए आने वाले मरीज इन वार्डों का उपयोग कर सकेंगे, मगर प्रबंधन ने जो सोचा था वह कुछ भी नहीं हुआ। इस तरह नुकसान भी हो रहा है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी अस्पताल के लिए 10 प्राइवेट वार्डों की स्वीकृति हुई थी। यह वार्ड करीब २५ लाख रुपए की लागत से बनाए गए थे। वर्ष 2012 में यह प्राइवेट वार्ड बनकर तैयार हो गए थे। इन वार्डों के बनकर तैयार होने के बाद यह उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में अस्पताल में दो दिन गुजारने के लिए आने वाले मरीज इन वार्डों का उपयोग कर सकेंगे, मगर प्रबंधन ने जो सोचा था वह कुछ भी नहीं हुआ। इस तरह नुकसान भी हो रहा है।