भारत में सात ऐसी नदियां हैं, जिन्हें धार्मिक नदियों का दर्जा प्राप्त है। इसमें से मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी को भगवान शिव ने देवताओं के पाप धोने के लिए उत्पन्न किया था। ऐसा भी माना जाता है कि नर्मदा के पवित्र जल के मात्र दर्शन करने से ही पाप दूर हो जाते हैं। नर्मदा महोत्सव को महापर्व के रूप में मनाते हैं और नदी का पूजन-अर्चना करते हैं। एक फरवरी को ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा।
यह है पौराणिक कथा
पुराणों में स्थित प्राचीन कथाओं के मुताबिक माना जाता है कि एक बार देवताओं ने अंधकासुर नामक राक्षस का विनाश कर दिया था। उस वध में देवताओं से कई पाप हो गए थे। ऐसी स्थिति में में भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के साथ ही सभी देवता भगवान शिव के पास गए। तो भगवान शिव तपस्या में लीन थे। देवताओं ने उनसे अनुरोध किया कि राक्षसों का वध करते समय हमसे भी पाप हो गए हैं। हमारे पापों का नाश करने का कोई उपाय बताइए।
शिवजी की तपस्या खत्म होती है और वे अपने नेत्र खोलते हैं, तभी उनकी भौओं से एक प्रकाश बिंदू निकलता है और पृथ्वी पर अमरकंटक के मैखल पर्वत पर गिरता है। वहीं पर एक कन्या का जन्म होता है। वह कन्या बहुत ही रूपवान होती है, इस कारण से भगवान विष्णु और अन्य देव उस कन्या का नाम नर्मदा रखते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवों के पाप धोने के लिए नर्मदा की उत्पत्ति की थी।
एक और है मान्यता
एक और मान्यता के मुताबिक उत्तर में बहने वाली गंगा नदी के तट पर नर्मदा ने कई वर्षों तक शिवजी की आराधना की थी। शिवजी उनकी आराधना से प्रसन्न होकर वरदान देते हैं, जो अन्य किसी नदी को प्राप्त नहीं है। नर्दमा ने जब शिवजी से वरदान मांगा कि मेरा नाश किसी भी परिस्थिति में नहीं हो, चाहे प्रलय ही क्यों न आ जाए। नर्मदा ने उनसे कहा कि मैं पृथ्वी पर एकमात्र ऐसी नदी रहूं, जो पापों का नाश कर सके। मेरा हर पत्थर बगैर किसी प्राण प्रतिष्ठा किए भी पूजनीय हो, मेरे तट पर सभी देवताओं का वास रहे। ऐसा इसी लिए कहा जाता है कि नर्मदा का कभी विनाश नहीं होता, वो तो सभी पापों को हरने वाली है। मां नर्मदा को मिले वरदान का ही असर है कि दुनियाभर के मंदिरों में जो शिवलिंग स्थापित किए गए हैं, वे नर्मदा नदी के बहाव में बने कुदरती शिवलिंग हैं। मां नर्मदा को यह भी वरदान है कि स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, वहीं नदी के दर्शन मात्र से भी पाप दूर हो जाते हैं।