इस रिपोर्ट में बताया गया है कि नर्मदा के 98 हजार 796 किलोमीटर के पूरे जलग्रहण क्षेत्र में होशंगाबाद तट ही बेहद गंदा है। इसकी वजह यहां आधा दर्जन नालों का सीधे नर्मदा में मिलना है। सीवेज के कारण प्रदूषण बढ़ा है और इसी वजह से यहां का पानी बी-ग्रेड में आया है। नर्मदा नदी में गंदगी अब भी मिल रही है। प्रतिबंध के बावजूद कई जगह साबुन और पूजन सामग्री नदी में बहाई जा रही हैं। किनारे के पेड़ों की बेहताशा कटाई की गई है। नए पौधे लगे जरूर हैं लेकिन दावों के अनुरूप नहीं। बेदर्दी से अवैध उत्खनन किया जा रहा है और आसपास के क्षेत्रों में नलकूप खनन हो रहे हैं। जिससे जल स्तर लगातार गिर रहा। पानी का बहाव भी कम हो रहा है। अब इन खामियों के साथ ही सुझाव देते हुए अध्ययन रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी।
हमारी इस यात्रा का उद्देश्य नर्मदा की सेहत एवं लोगों में नर्मदा परिक्रमा के देवीय प्रभाव के रहस्य जानने और वैज्ञानिक दृष्टि को पहचानना था। नर्मदा के बढ़ते प्रदूषण और उसके कारणों पर भी अध्ययन किया। इसके डाक्यूमेंटशन पर पचास हजार खर्च किए जा रहे हैं। अब कलेक्टर के माध्यम से इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी।
डॉ. बीएम मालवी, पूर्व सिविल सर्जन
21 घाटों में होशंगाबाद का पानी सबसे गंदा दल ने 21 घाट-तटों का विजिट कर नर्मदा जल के नमूने एकत्रित किए। डिंडोरी, मंडला, महेश्वर, भारकच्छ में तो स्थिति ठीक मिली, लेकिन होशंगाबाद, जबलपुर और गुजरात में सरदार सरोवर के आगे नर्मदा का पानी गंदा हो रहा है। इसकी वीडियोग्राफी भी की गई।
जल प्रबंधन नहीं नर्मदा के कछार का पानी तेजी से बाहर निकाला जा रहा है। जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा जल प्रबंधन सही तरीके से नहीं हो रहा। नर्मदा के किनारे के पीपड़, बड़ सहित अन्य छायादार पेड़ों की कटाई से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। अवैध उत्खनन से सहायक नदियां सूख गई है।
ये हैं सेहत सुधारने सुझाव घाटों पर पूजन प्रसादी में पन्नी-पॉलीथिन, स्नान में साबुन-सोडा, शेंपू, खेती में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग पर सख्ती से रोक लगाकर वाटर रिचार्जिंग, नालों को बंद करने, ट्रीटमेंट प्लांट लगाने, वर्षा जल को संग्रहित रखने, तट किनारों व पथों पर अधिक से अधिक पेड़ लगाने के सुझाव दिए हैं। सरकार और समाज दोनों मिलकर नर्मदा स्वच्छता आंदोलन चलाए जाने की जरूरत है। तटों पर लगे पौधों की देखभाल नहीं हो रही। अब भी कुछ जगह खुले तट पर ही अंतिम संस्कार जारी है। घाटों पर पूजन सामग्री के लिए कंटेनर, ड्रम रखे हुए हैं, लेकिन इनमें डाले जाने वाली सामग्री साफ नहीं होती है। पानी की कमी से कचरा जमा हो रहा है इसके लिए जलसंग्रहण जरूरी है।