scriptNavratri 2020: नवरात्रि का चौथा दिन; नवरात्र के चौथे दिन की ब्रम्हांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा की | Navratri ke chouthe din ki maa kushmanda ki pooja | Patrika News

Navratri 2020: नवरात्रि का चौथा दिन; नवरात्र के चौथे दिन की ब्रम्हांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा की

locationहोशंगाबादPublished: Mar 28, 2020 01:08:17 pm

Submitted by:

poonam soni

इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है, इनके सात हाथों में कमल कुंड, कलश, गेंदा साहित अन्य चीजे होती हैं…..

Navratri 2020: नवरात्रि का चौथा दिन; नवरात्र के चौथे दिन की ब्रम्हांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा की

Navratri 2020: नवरात्रि का चौथा दिन; नवरात्र के चौथे दिन की ब्रम्हांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा की

होशंगाबाद। आज चैत्र नवरात्र का चौथा दिन है। नवरात्रि के चौथे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कुष्मांडा की आराधना की जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कुष्मांडा ने अपने ईश्ववरीय हास्य से ब्रम्हांड की रचना की थी। यही वजह है की देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है। पंडि़त शुभम दुबे ने बताया कि इसी के चलते इन्हें ‘आदिस्वरूपा’ या ‘आदिशक्ति’ कहा जाता है. नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा के पूजन का विशेष महत्व है. पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त सच्चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्ति होती है। इन्हे मालपुर का भोग ज्यादा पंसद होता है।
कौन हैं मां कुष्मांडा
‘कु’ का अर्थ है ‘कुछ’, ‘ऊष्मा’ का अर्थ है ‘ताप’ और ‘अंडा’ का अर्थ है ‘ब्रह्मांड. शास्त्रों के अुनसार मां कुष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कुष्मांडा सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है। इनका निवास स्थान सूर्य है। यही वजह है माता कुष्मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है। मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है। देवी को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है।

मां कुष्मांडा का रूप
चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं है। इसलिए इन्हे अष्टभुजा भी कहा जता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, वाण, कमलपुष्प, कलश, गेंदा, चक्र होता है। साथ ही आठवे हाथ में सभी सिद्धियों से निधियों को देने वाली जप माला है। देवी के हाथ्ज्ञ में जो अमृत कलश है उसमें वह अपने भक्तों को दीघार्यु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान देती है।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि
– नवरात्रि के चौथे दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
– मां की फोटो या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें तिलक लगाएं।
– अब देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्हड़े का भोग लगाएं।
– अब ‘ऊं कुष्मांडा देव्यै नम मंत्र का 108 बार जाप करें।
– मां ंकुष्मांडा की आरती उतारें और कसिी ब्राम्हण को भोजन कराएं या दान दें।
– इसके बाद स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो