फेफरताल बस्ती निवासी पूर्व पार्षद डीसी बाइंया, अरुण प्रधान, बीडीी मेहरा, संजय मीना, मनमोहन चौकसे, धनराज मीना, अशोक गठोले सहित दर्जनों रहवासी कई बार कलेक्टर-नपा सीएम सहित पूर्व नपा अध्यक्षों को आवेदन देकर तालाब के सौंदर्यीकरण, गहरीकरण सहित इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की गुहार लगा चुके हैं।
सूखकर बंजर भूमि में तब्दील हुआ तालाब
वर्तमान में तालाब की हालत बेहद चिंताजनक है। इसमें भरा पानी सूखकर बंजर भूमि में तब्दील हो चुका है। झुग्गी माफियाओं ने तालाब की भूमि एवं उसके किनारों-आसपास में झुग्गियां बसा दी है। जिसके कारण तालाब चारों तरफ से ढंक गया हैं। एसपीएफ-फेफरताल रोड से रोहना-डोलरिया जाते समय अब ये तालाब दिखाई नहीं देता है। नगर प्रशासन तमाम शिकायतों के बाद भी अतिक्रमणों-अवैध कब्जों नहीं हटा पाया है।
फेफरताल तालाब के कायाकल्प के लिए नगरपालिका ने बीते वर्ष 2006 से 2008 तक जल संवर्धन अभियान भी चलाया था। लेकिन इन दो सालों में तालाब की सेहत एवं सूरत दोनों नहीं बदल सकी। जल संचित ही नहीं हुआ। तालाब की बेस्ट वियर के लीकेज को भी अधिकारी नहीं रोक पाए।
पूर्व कलेक्टर जैन ने भी किए थे प्रयास
वर्ष 2013 में पूर्व कलेक्टर राहुल जैन ने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस तालाब को कायाकल्प का बीड़ा उठाया था। उनके कार्यकाल में तालाब के जीर्णोद्धार के लिए योजना को गहरीकरण-सौंदर्यीकरण नाम देकर श्रमदान अभियान चलवाया था। जिसमें मजदूर से लेकर खुद कलेक्टर ने श्रमदान कर तालाब में उतरकर फावड़े-गेती चलाकर तगाडिय़ों से मिट्टी को निकालकर गहरा करने के प्रयास किए थे। जैन की योजना इस तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी थी।
फेफरताल तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर इसे चौपाटी की शक्ल देने की भी योजना बनी, लेकिन आधे-अधूरे काम के कारण यह योजना भी धरी रह गई।, जबकि इस पर करीब 50 लाख रुपए नपा ने खर्च किए थे। यहां पॉथ-वे, कॉटेज, लाइटिंग, फब्बारे, पैडल बोट की सुविधा भी जुटनी थी। लेकिन पूर्व कलेक्टर राहुल जैन के तबादले के बाद यह काम वर्ष 2014 से बंद हो गया।
8 वर्ष पहले हटा था अतिक्रमण, फिर हो गया
बीते आठ वर्ष पहले नगर प्रशासन ने अभियान चालकर तालाब की भूमि एवं उसके आसपास काबिज अतिक्रमण-अवैध कब्जों को सख्ती से हटाया था, लेकिन इसके बाद ध्यान नहीं दिए जाने से फिर से अतिक्रमण काबिज हो गए। तालाब झुग्गी बस्ती में तब्दील होता जा रहा है। नपा बाजार में छोटे-छोटे दुकानदारों, टपों वालों को तो जेसीबी से हटा रही, लेकिन तालाब को अतिक्रमण से मुक्त नहीं करा पा रही है।
इनका कहना है….
मैंने यहां आने के बाद तालाब का निरीक्षण किया था। चूंकि चुनाव आने वाले है। इस बारिशकाल के पहले इतना समय नहीं बचा है कि इसे जलाभिषेक में शामिल कर इसका कायाकल्प हो सके, लेकिन इसका सर्वेक्षण-परीक्षण कराकर नए सिरे से गहरीकरण-सौंदर्यीकरण की कार्ययोजना तैयार कर आगामी समय में इसके आधे-अधूरे पड़े कार्यों को पूरा करवाया जाएगा। इसमें दूसरे विभागों की मदद के साथ जन सहयोग भी लिया जाएगा।
–विनोद शुक्ला, सीएमओ नगरपालिका नर्मदापुरम।