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सरकार की जय हो: नए सरोवर बना रहे, फेफरताल तालाब पर नहीं है नजरें

locationहोशंगाबादPublished: May 21, 2022 11:09:20 am

Submitted by:

devendra awadhiya

50 लाख खर्च करने के बाद भी नहीं बदली तालाब की सेहत और सूरत, जलाभिषेक अभियान से भी नहीं जुड़ा, अतिक्रमणों को भी नहीं हटा सके, खतरे में तालाब का अस्तित्व

सरकार की जय हो: नए सरोवर बना रहे, फेफरताल तालाब पर नहीं है नजरें

सरकार की जय हो: नए सरोवर बना रहे, फेफरताल तालाब पर नहीं है नजरें

देवेंद्र अवधिया
नर्मदापुरम. narmdapuram जिले में बारिश के पूर्व जल संरक्षण-संवर्धन के लिए जलाभिषेक अभियान चलाया जा रहा है, इसमें 75 नए बड़े तालाब बनाए जा रहे हैं, लेकिन नर्मदापुरम की पहचान प्राचीन धरोहर कहलाने वाले इकलौते फेफरताल तालाब की सफाई, गहरीकरण एवं इसके पर्यटन विकास-चौपाटी के लिए अभियान में शामिल नहीं किया गया है। पूर्व में नगरपालिका ने तालाब की पत्थर की दीवार बनाने एवं चौपाटी के लिए करीब 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। तालाब अनदेखी और दुर्दशा का शिकार है। किनारे पर काबिज बेजा अतिक्रमण भी नहीं हट सके हैं। तालाब को घेरकर इसके किनारों पर झुग्गियां भी बस चुकी है।

ये है फेफरताल तालाब का इतिहास
तत्कालीन राजा हुशंगाशाह गोरी ने सोलहवी शताब्दी में ग्राम फेफरताल में दस एकड़ भूमि पर तालाब का निर्माण कराया था। इस तालाब का पानी इतना स्वच्छ रहता था कि इसके आसपास के लोग पहले पानी पीया करते थे। खेतों में सिंचाई भी होती थी। बाद में ग्रामीणजन इसमें स्नान किया करते थे। तालाब के सामने की रोहना-डोलरिया रोड आवागमन के दौरान अपने मवेशियों की प्यास बुझाने इसके पानी का उपयोग करते थे। वर्तमान में इसमें पानी ही नहीं बचा है। इसका कोई उपयोग नहीं होता है।

आदिवासी विकास विभाग की राशि से हो काम
जिसका गहरीकरण व सौंदर्यीकरण पिछले कई सालों में भी नहीं हुआ है। इस संबंध में आदिवासी विकास परिषद के जिलाध्यक्ष अरुण प्रधान ने कलेक्टर सहित एसडीएम व नपा सीएमओ को ज्ञापन देकर जनजाति कार्य विभाग की राशि से इसका विकास कराए जाने की मांग की है।

नपा न तालाब संभाल पाई न चौपाटी बना सकी
फेफरताल तालाब की देखभाल, इसके जीर्णोद्धार का जिम्मा नगरपालिका के हाथों में है, लेकिन वह 9 साल में भी न तो तालाब को गहरा कर पाई न ही इसकी चारों तरफ से सुरक्षा दीवार बनवा सकी। नपा की तालाब को पर्यटन केंद्र के रूप में इसे चौपाटी के रूप में विकसित करने की योजना भी फैल हो चुकी है। वर्ष 2014 के बाद से ये तालाब प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। जब तक तालाब ग्राम पंचायत के अधीन रहा तब तक तो इसकी देखसंभाल होती रही, लेकिन इसके बाद वर्ष 1993 से नगरपालिका ने अपने अधिकार में तो लिया लेकिन इसे पूरी तरह लावारिस छोड़ दिया।
कई बार लगा चुके अधिकारियों से गुहार
फेफरताल बस्ती निवासी पूर्व पार्षद डीसी बाइंया, अरुण प्रधान, बीडीी मेहरा, संजय मीना, मनमोहन चौकसे, धनराज मीना, अशोक गठोले सहित दर्जनों रहवासी कई बार कलेक्टर-नपा सीएम सहित पूर्व नपा अध्यक्षों को आवेदन देकर तालाब के सौंदर्यीकरण, गहरीकरण सहित इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की गुहार लगा चुके हैं।

सूखकर बंजर भूमि में तब्दील हुआ तालाब
वर्तमान में तालाब की हालत बेहद चिंताजनक है। इसमें भरा पानी सूखकर बंजर भूमि में तब्दील हो चुका है। झुग्गी माफियाओं ने तालाब की भूमि एवं उसके किनारों-आसपास में झुग्गियां बसा दी है। जिसके कारण तालाब चारों तरफ से ढंक गया हैं। एसपीएफ-फेफरताल रोड से रोहना-डोलरिया जाते समय अब ये तालाब दिखाई नहीं देता है। नगर प्रशासन तमाम शिकायतों के बाद भी अतिक्रमणों-अवैध कब्जों नहीं हटा पाया है।
जल संवर्धन अभियान से भी नहीं सुधरे हालात
फेफरताल तालाब के कायाकल्प के लिए नगरपालिका ने बीते वर्ष 2006 से 2008 तक जल संवर्धन अभियान भी चलाया था। लेकिन इन दो सालों में तालाब की सेहत एवं सूरत दोनों नहीं बदल सकी। जल संचित ही नहीं हुआ। तालाब की बेस्ट वियर के लीकेज को भी अधिकारी नहीं रोक पाए।

पूर्व कलेक्टर जैन ने भी किए थे प्रयास
वर्ष 2013 में पूर्व कलेक्टर राहुल जैन ने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस तालाब को कायाकल्प का बीड़ा उठाया था। उनके कार्यकाल में तालाब के जीर्णोद्धार के लिए योजना को गहरीकरण-सौंदर्यीकरण नाम देकर श्रमदान अभियान चलवाया था। जिसमें मजदूर से लेकर खुद कलेक्टर ने श्रमदान कर तालाब में उतरकर फावड़े-गेती चलाकर तगाडिय़ों से मिट्टी को निकालकर गहरा करने के प्रयास किए थे। जैन की योजना इस तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी थी।

चौपाटी की शक्ल नहीं ले सका प्राचीन तालाब
फेफरताल तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर इसे चौपाटी की शक्ल देने की भी योजना बनी, लेकिन आधे-अधूरे काम के कारण यह योजना भी धरी रह गई।, जबकि इस पर करीब 50 लाख रुपए नपा ने खर्च किए थे। यहां पॉथ-वे, कॉटेज, लाइटिंग, फब्बारे, पैडल बोट की सुविधा भी जुटनी थी। लेकिन पूर्व कलेक्टर राहुल जैन के तबादले के बाद यह काम वर्ष 2014 से बंद हो गया।

8 वर्ष पहले हटा था अतिक्रमण, फिर हो गया
बीते आठ वर्ष पहले नगर प्रशासन ने अभियान चालकर तालाब की भूमि एवं उसके आसपास काबिज अतिक्रमण-अवैध कब्जों को सख्ती से हटाया था, लेकिन इसके बाद ध्यान नहीं दिए जाने से फिर से अतिक्रमण काबिज हो गए। तालाब झुग्गी बस्ती में तब्दील होता जा रहा है। नपा बाजार में छोटे-छोटे दुकानदारों, टपों वालों को तो जेसीबी से हटा रही, लेकिन तालाब को अतिक्रमण से मुक्त नहीं करा पा रही है।

इनका कहना है….
मैंने यहां आने के बाद तालाब का निरीक्षण किया था। चूंकि चुनाव आने वाले है। इस बारिशकाल के पहले इतना समय नहीं बचा है कि इसे जलाभिषेक में शामिल कर इसका कायाकल्प हो सके, लेकिन इसका सर्वेक्षण-परीक्षण कराकर नए सिरे से गहरीकरण-सौंदर्यीकरण की कार्ययोजना तैयार कर आगामी समय में इसके आधे-अधूरे पड़े कार्यों को पूरा करवाया जाएगा। इसमें दूसरे विभागों की मदद के साथ जन सहयोग भी लिया जाएगा।
–विनोद शुक्ला, सीएमओ नगरपालिका नर्मदापुरम।

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