इसलिए बने ये हालात
वर्ष १८३० में बनाई गई जिला जेल को १८३ साल बाद अपग्रेड करके वर्ष २०१३ में केंद्रीय जेल बना दिया गया। लेकिन सुविधाओं में खाने के बजट के अलावा कोई बढ़ोतरी नहीं की। जिला जेल में पहले विचाराधीन बंदियों को रखा जाता था। जिसके मुताबिक यहां सभी व्यवस्थाएं थी। केंद्रीय जेल होने से अब सजायाफ्ता कैदियों को भी रखा जाता है। इसी वजह से कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह जेल २३ एकड़ में बनी है। इसमें चार बैरिक हैं।
वर्ष १८३० में बनाई गई जिला जेल को १८३ साल बाद अपग्रेड करके वर्ष २०१३ में केंद्रीय जेल बना दिया गया। लेकिन सुविधाओं में खाने के बजट के अलावा कोई बढ़ोतरी नहीं की। जिला जेल में पहले विचाराधीन बंदियों को रखा जाता था। जिसके मुताबिक यहां सभी व्यवस्थाएं थी। केंद्रीय जेल होने से अब सजायाफ्ता कैदियों को भी रखा जाता है। इसी वजह से कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह जेल २३ एकड़ में बनी है। इसमें चार बैरिक हैं।
कैदियों को रखने के लिए ये हो रहे इंतजाम
केंद्रीय जेल में 8 पुराने सेल हैं। जिन्हें खुलवाया जा रहा है। उनका इस्तेमाल बैरकों की तरह होगा। प्रत्येक बैरक में 6 से 7 कैदियों को रखा जा सकता है। इसके अलावा जेल में मौजूद पुराना प्रार्थना भवन का उपयोग बैरक की तरह करेंगे। जिसमें २०० से २५० कैदियों को रखा जा सकता है। इसके अलावा सेक्टर बॉल यानी बैरकों के बीच दीवार बनाने का प्रस्ताव जेल मुख्यालय भेजा है।
केंद्रीय जेल में 8 पुराने सेल हैं। जिन्हें खुलवाया जा रहा है। उनका इस्तेमाल बैरकों की तरह होगा। प्रत्येक बैरक में 6 से 7 कैदियों को रखा जा सकता है। इसके अलावा जेल में मौजूद पुराना प्रार्थना भवन का उपयोग बैरक की तरह करेंगे। जिसमें २०० से २५० कैदियों को रखा जा सकता है। इसके अलावा सेक्टर बॉल यानी बैरकों के बीच दीवार बनाने का प्रस्ताव जेल मुख्यालय भेजा है।
आय दिन होते हैं विवाद : केंद्रीय जेल में कैदियों की संख्या ज्यादा होने पर कैदियों के बीच विवाद की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। जेल प्रबंधन के चौकस रहने के कारण यह छोटे-मोटे विवाद तत्काल सुलझा दिए जाते हैं। जिससे गंभीर रूप धारण नहीं कर पा रहे हैं।
& कैदियों की संख्या क्षमता से दोगुना बढ़ गई है। इससे आपसी विवाद की संभावना रहती है। बैरक में ऑइल पेंट से मार्किंग करके कैदियों को सुलाया जा रहा है। पुराने सेल और प्रार्थना भवन को बैरक बनाएंगे। जिससे यह समस्या खत्म होगी।
ऊषा राज, अधीक्षक केंद्रीय जेल, होशंगाबाद
& कैदियों की संख्या क्षमता से दोगुना बढ़ गई है। इससे आपसी विवाद की संभावना रहती है। बैरक में ऑइल पेंट से मार्किंग करके कैदियों को सुलाया जा रहा है। पुराने सेल और प्रार्थना भवन को बैरक बनाएंगे। जिससे यह समस्या खत्म होगी।
ऊषा राज, अधीक्षक केंद्रीय जेल, होशंगाबाद