शिविर का आयोजन किया गया जिसमें बैतूल से मुलताई पहुंचे डॉ. रजनीश शर्मा ने विकलांगों की जांच की। इंदौर की बारोड संस्था द्वारा विकलांगों को कृत्रिम अंग बनाकर विकलांगों को प्रदान किए गए। शिविर में श्रवण यंत्रों सहित बैसाखी, ट्रायसाईकिलों का भी वितरण किया गया। शिविर प्रभारी बिंझाड़े ने बताया कि विकासखंड की समस्त पंचायतों में इसकी सूचना सचिवों के माध्यम से भिजवा दी गई थी। शिविर में 161 विकलांगों ने पंजीयन कराया गया जिसमें कुल 83 विकलांगों को कृत्रिम अंग, व्हील चेयर, श्रवण यंत्र सहित अन्य यंत्रों का वितरण किया गया। इसके अलावा विकलांगों को प्रमाण पत्र भी एक सप्ताह बाद वितरित किए जाएंगे।
एक चिकित्सक के भरोसे पूरा शिविर: विकलांग शिविर में जहां अनेक विशेषज्ञ चिकित्सक पहुंचना था वहां सिर्फ एक ही चिकित्सक पहुंचे जिससे बाकि विकलांगों को परीक्षण के लिए पूरे दिन इंतजार करना पड़ा बाद में उन्हे बैतूल रेफर कर दिया गया। विकलांगों का परिक्षण नही होने से उनके परिजनों में रोष देखा गया। परिजनों ने बताया कि जब विशेषज्ञ चिकित्सक नही आ रहे थे तो उन्हे मुलताई शिविर में बुलाया ही क्यों गया इसके बावजूद पूरे दिन बैठाया भी गया जिससे विकलांग भी परेशान हुए।
नया कृत्रिम अंग मिलने से आसान हुई जिन्दगी- शिविर में खापा खतेड़ा के 69 वर्षीय एक पैर से विकलांग वृद्ध चिन्धू फूले को कृत्रिम पैर लगाया गया जिससे जिसकी खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। चिन्धू ने बताया कि कृत्रिम पैर लगने से अब उनकी जिन्दगी आसान हो जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग दस वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में उन्होंने अपना पैर गंवा दिया था, बाद में बैसाखी के सहारे चलकर जिन्दगी काट रहे थे जिसमें उन्हे भारी परेशानी उठाना पड़ रहा था लेकिन कृत्रिम पैर लगने से अब उन्हे आसानी होगी साथ ही वे किसी पर निर्भर नही रहेंगे।