यह है विशेषता
शरद वर्मा ने बताया कि वह सीजन से पहले सब्जियां और फल बाजार में उपलब्ध करा देते हैं। इनका उत्पादन जैविक खेती से करते हैं। अभी सीजन के ४५ दिन पहले बल्हर बाजर में उपलब्ध कराना। यह इंदौर, लखनऊ, पंजाब तक जाती है। वह हर साल मिट्टी परीक्षण भी कराते हैं। एग्रीकल्चर विभाग से मदद लेते हैं। इसके अलावा रेशम की खेती भी करते हैं।
खेती जिले में देखने लायक
इनका कहना है कि इनकी खेती की तकनीक जिले में देखने लायक है। करीब 25 हजार पौधे हाइब्रिड मक्के के रोपे हैं। जो अधिक बारिश के कारण खड़े रहे। इसके पहले डेढ़ एकड़ में स्वीट कॉर्न के करीब 15 हजार पौधे बोए। जिससे प्रति हेक्टर 2 लाख रूपए का शुद्ध लाभ हुआ। किसान को पूरी लागत घटाने के बाद लगभग २ लाख का मुनाफा हुआ।
शरद वर्मा ने बताया कि वह सीजन से पहले सब्जियां और फल बाजार में उपलब्ध करा देते हैं। इनका उत्पादन जैविक खेती से करते हैं। अभी सीजन के ४५ दिन पहले बल्हर बाजर में उपलब्ध कराना। यह इंदौर, लखनऊ, पंजाब तक जाती है। वह हर साल मिट्टी परीक्षण भी कराते हैं। एग्रीकल्चर विभाग से मदद लेते हैं। इसके अलावा रेशम की खेती भी करते हैं।
खेती जिले में देखने लायक
इनका कहना है कि इनकी खेती की तकनीक जिले में देखने लायक है। करीब 25 हजार पौधे हाइब्रिड मक्के के रोपे हैं। जो अधिक बारिश के कारण खड़े रहे। इसके पहले डेढ़ एकड़ में स्वीट कॉर्न के करीब 15 हजार पौधे बोए। जिससे प्रति हेक्टर 2 लाख रूपए का शुद्ध लाभ हुआ। किसान को पूरी लागत घटाने के बाद लगभग २ लाख का मुनाफा हुआ।