पेड़ पर सबसे ऊपर एक ध्वजा लगी रहती है। क्षेत्र के लोगों के अनुसार करीब 10 साल पहले जोरदार आवाज के साथ इस पेड़ पर बिजली गिरी थी, स्थानीय लोग बताते हैं कि बिजली गिरने के बाद भी पेड़ का बाल भी बांका नहीं हुआ था। मात्र पेड़ की ध्वजा को ही नुकसान हुआ था।
यहां रहने वाले पूर्व पार्षद कुलदीप राठौर की 70 वर्षीय मां कमला राठौर ने बताया कि शुरु से ही वह पेड़ के इसी तरह से देखती आ रही हैं, इसके अलावा परिजनों से भी सुना है कि यह पेड़ काफी पुराना है।
इस पेड़ की जड़ें दूर-दूर तक फैसी हुई हैं, बताया जाता है कि क्षेत्र में करीब 100 से 200 मीटर दूरी तक खुदाई करने पर इसकी जड़ें निकलती हैं इससे इस पेड़ के पुरातन होने का पता लग रहा है।
पेड़ की बनावट गणेशजी के रुप में होनेे और लोगों की लगातार बढ़ रही आस्था के कारण क्षेत्र के युवा अब पेड़ पर बनी इस आकृति को भगवान गणेशजी का रुप देने पर विचार कर रहे हैं।
तने के निचले स्तर पर हाथी के पैर के पंजों की आकृति उभरती जा रही है। जो लोगों के बीच कौतुहल का विषय बनती जा रही है। वहीं कई लोग इसे चमत्कार मानकर इसकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं।