देरी हुई तो बनेंगे अस्थायी कैप
जमीन आवंटन में देरी होने पर विभाग को अस्थायी कैप बनाना होंगे। जबकि उसका प्रयास है कि समय रहते जमीन मिल जाती है तो स्थायी पक्के कैंप बनाए जाएं। जिससे पिछले साल की तरह नुकसान न हो। बीते सालों में अस्थायी कैप में रखी गई उपज बारिश में बर्बाद हुई थी।
निजी वेयर हाउसों में रखी जाती है उपज
कृषि उपज मंडी और खरीदी केन्द्रों पर उपज की खरीदी होती है। लेकिन सोसायटी द्वारा भंडारण केन्द्र के स्थान पर निजी वेयर हाउस और गोदाम में रखा जाता है। सरकारी खरीदी के बाद अनाज को उठाकर उसे गोदाम तक भेजने की जिम्मेदारी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन की होती है।
समितियों के गोदामों को नहीं हो पाया उपयोग
उपज के भंडारण की व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए समितियों को गोदाम बनाने की योजना वर्ष २०१२ में शुरू की गई। योजना के तहत जिले में ९७ में से ९२ सहकारी समितियों के पास भंडारण केन्द्र हैं। हालांकि निजी वेयर हाउस में उपज रखने से समितियों के अधिकतर गोदाम खाली पड़े रहते हैं। अनुदान पर बने इन भंंडार केन्द्रों का उपयोग नहीं होने से समितियां कर्ज में डूब गई हैं। कहा जाता है कि यह गोदाम भंडारण योग्य नहीं हैं।
जमीन की जरूरत पडऩे के ये कारण
गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष ११ लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य।
खरीदी गई ६४ हजार २७३ मीट्रिक टन धान।
गत वर्ष रबी की उपज में १ हजार ६४३ मीट्रिक टन उपज का भंडारण न होना।