script190 एकड़ जमीन मिली तभी दूर होगी खाद्य विभाग की परेशानी | Only 190 acres of land will be removed, the problem of the Food Depar | Patrika News

190 एकड़ जमीन मिली तभी दूर होगी खाद्य विभाग की परेशानी

locationहोशंगाबादPublished: Jan 28, 2020 09:14:46 pm

Submitted by:

rajendra parihar

11 लाख मीट्रिक टन अनाज खरीदी का लक्ष्यसमय पर जमीन मिल गई तो बनाएंगे स्थायी पक्के कैप, वरना अस्थायी बनाने की योजनाअप्रैल में होगी खरीदी, अभी दो माह का समय
 

190 एकड़ जमीन मिली तभी दूर होगी खाद्य विभाग की परेशानी

190 एकड़ जमीन मिली तभी दूर होगी खाद्य विभाग की परेशानी

राजेन्द्र परिहार, होशंगाबाद. प्रशासन को जिले में इस बार पिछले साल की तुलना में करीब तीन लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं खरीदी का लक्ष्य है, लेकिन इतनी उपज रखने का इंतजाम नहीं है। क्योंकि पहले से ही वेयर हाउस धान से भरे हुए हैं। इस कारण खाद्य विभाग ने राजस्व विभाग से रबी की फसल के भंडारण के लिए राजस्व विभाग से जिले भर में 190 एकड़ जमीन मांगी है। ताकि वहां स्थायी या अस्थायी कैप बनाकर फसल को रखा जा सके।
विभाग के अनुसार पिछले साल सात लाख 97 हजार 625 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की थी। इस बार खरीदी का लक्ष्य 11 लाख मीट्रिक टन रखा है। जबकि जिले में पहले से वेयर हाउसों में इस साल बार खरीदी गई ६६ हजार ७६ मीट्रिक टन धान रखी हुई है। जिसका अभी तक परिवहन नहीं हो पाया है। गेहूं रखने के लिए लगभग 190 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। राजस्व विभाग से जिले भर में इतनी जमीन उपलब्ध कराने का कहा गया है, ताकि वहां समय रहते कैप बनाए जा सकें। विभाग के पास ९ लाख ७६ हजार मीट्रिक टन उपज रखने की व्यवस्था है। एक लाख २४ हजार मीट्रिकटन रखने का इंतजाम करना है।
देरी हुई तो बनेंगे अस्थायी कैप
जमीन आवंटन में देरी होने पर विभाग को अस्थायी कैप बनाना होंगे। जबकि उसका प्रयास है कि समय रहते जमीन मिल जाती है तो स्थायी पक्के कैंप बनाए जाएं। जिससे पिछले साल की तरह नुकसान न हो। बीते सालों में अस्थायी कैप में रखी गई उपज बारिश में बर्बाद हुई थी।
निजी वेयर हाउसों में रखी जाती है उपज
कृषि उपज मंडी और खरीदी केन्द्रों पर उपज की खरीदी होती है। लेकिन सोसायटी द्वारा भंडारण केन्द्र के स्थान पर निजी वेयर हाउस और गोदाम में रखा जाता है। सरकारी खरीदी के बाद अनाज को उठाकर उसे गोदाम तक भेजने की जिम्मेदारी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन की होती है।
समितियों के गोदामों को नहीं हो पाया उपयोग
उपज के भंडारण की व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए समितियों को गोदाम बनाने की योजना वर्ष २०१२ में शुरू की गई। योजना के तहत जिले में ९७ में से ९२ सहकारी समितियों के पास भंडारण केन्द्र हैं। हालांकि निजी वेयर हाउस में उपज रखने से समितियों के अधिकतर गोदाम खाली पड़े रहते हैं। अनुदान पर बने इन भंंडार केन्द्रों का उपयोग नहीं होने से समितियां कर्ज में डूब गई हैं। कहा जाता है कि यह गोदाम भंडारण योग्य नहीं हैं।
जमीन की जरूरत पडऩे के ये कारण
गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष ११ लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य।
खरीदी गई ६४ हजार २७३ मीट्रिक टन धान।
गत वर्ष रबी की उपज में १ हजार ६४३ मीट्रिक टन उपज का भंडारण न होना।
गत वर्ष गेंहू खरीदी की स्थिति

कुल पंजीेकृत किसान- ७८ हजार ५८७

विक्रेता किसान- ६६ हजार ३५७

खरीदी गई मात्रा- ७ लाख ९७ हजार ६२५ मीट्रिक टन

कुल परिवहन- ७ लाख ९७ हजार ३२० मीट्रिक टन
भंडारण- ७ लाख ९५ हजार ९८२ मीट्रिक टन

खरीफ के दौरान खरीदी गई धान

कुल पंजीेकृत किसान- १० हजार ८४७

विक्रेता किसान- ६ हजार ६८३

खरीदी गई मात्रा- ६६ हजार ७६ मीट्रिक टन
कुल परिवहन- ६४ हजार ३०१ मीट्रिक टन

भंडारण- ६४ हजार २७३ मीट्रिक टन

इनका कहना है

खरीदी के लिए १९० एकड़ जमीन की मांग की गई है। यदि समय रहते जमीन मिल गई तो पक्के कैप बनाए जाएंगे नहीं तो अस्थायी कैप बनाकर उपज को रखा जाएगा।
विनोद चौहान, जिला आपूर्ति अधिकारी

——————-

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो