दो क्षेत्रों के बाघों के वंशानुगत सम्बधों की जानकारी के लिए सैम्पल लिए हैं। बाघ ने आम के छिलके को उगल दिया था। बाघ आम के साथ गुठली भी खा गया था। जिस पेड़ के नीचे गुठली मिली, वहां आम के साबुत छिलके मिले थे। इसके पहले उन्होंने कान्हा पेंच नेशनल पार्क के कॉरिडोर में डीएनए बेस मॉनिटरिंग रिसर्च कर 19 बाघ होने की पुष्टि की थी।
विष्ठा में मिली थी आम की गुठलियां
सभी सैम्पल को नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेस बैंगलूरु भेजा गया था। सैम्पल नम्बर एसटीआर 122 में बाघ की विष्ठा में आम की गुठलियां थीं। रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है।
विष्ठा, बाल, खून के लिए थे सैम्पल
प्रोजेक्ट के पीआई डॉ. मयंक मकरंद वर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत बाघों की विष्ठा, बाल, खून आदि के सैम्पल लिए जाते हैं। जिस सैम्पल में आम की गुठलियां मिली थीं, वह प्रथम दृष्टया बाघ का प्रतीत हो रहा था। सैम्पल की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।
&बाघ मांसाहारी जानवर है। वह शिकार पर निर्भर रहता है। लेकिन, मिनरल्स, विटामिन की कमी या कोई तकलीफ होने पर असामान्य बर्ताव भी करता है। ऐसी स्थिति में वह वनस्पतियां और फल भी खा सकता है। आम की गुठली के अंदर वाले भाग में कृमिनाशक तत्व पाए जाते हैं। हालांकि फ्री रेंजिंग टाइगर पर अभी पर्याप्त स्टडी नहीं हुई है।
डॉ. केपी सिंह, वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट, वेटरनरी यूनिवर्सिटी
गिरिधिर राव, पीसीसीएफ, डायरेक्टर एसएफआरआई