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पर्यूषण पर्व पर विशेष : प्राचीन चैत्यालय की वेदी पर है स्वर्ण पत्र की नक्काशी

locationहोशंगाबादPublished: Sep 14, 2018 02:17:58 pm

Submitted by:

poonam soni

त्याग, तप और संयम का पर्व है पर्यूषण

paryushan parv 2018

पर्यूषण पर्व पर विशेष : प्राचीन चैत्यालय की वेदी पर है स्वर्ण पत्र की नक्काशी

होशंगाबाद. तारण तरण दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूषण पर्व शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं। त्याग, संयम, तप और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए चैत्यालय में दस दिनों तक पूजा पाठ के साथ शास्त्रों का पाठ और प्रवचन किए जाएंगे। पर्व के दौरान सभी लोग उपवास करते हुए पवित्र जीवन शैली को अपनाते हैं। शहर में स्थित प्राचीन चैत्यालय में पूजा- अर्चना की जाती है।

प्राचीन चैत्यालय में रखे हस्तलिखित शास्त्र, प्रतिदिन करते हैं पाठ
जैन समाज में चैत्यालय का काफी महत्व होता है। शहर में स्थिति तारण तरण दिगम्बर जैन चैत्यालय काफी प्राचीन है। इसमें मंडलाचार्य महाराज द्वारा हस्तलिखित जिनवाणी ग्रन्थ भी मौजूद है जिनका प्रतिदिन पाठ किया जाता है।
स्वर्णपत्र की नक्काशी
चैत्यालय में शास्त्रों को रखने के स्थान को वेदी जी कहा जाता है, यहां की वेदी जी पर सोने के पत्र की नक्काशी की गई है। इसी स्थान पर पूजा की आरती की जाती है साथ ही चैत्यालय में लकड़ी की नक्काशी भी बेहद खूबसूरत है ।
आत्मा का धर्म होता है पर्यूषण
समाज की शकुंतला देवी जैन बताती हैं कि आत्मा का धर्म होता है पर्यूषण पर्व है इस दौरान दस लक्षण का पालन किया जाता है। उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम सत्य, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन, उत्तम ब्रह्मचर्य, यह दस लक्षण माने गए हैं। पर्व के दौरान हरी सब्जियों का सेवन करते हुए उपवास किया जाता है।
अंतिम दिन क्षमावाणी पर्व
पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है इस दिन समाज के सभी लोग पिछले दिनों में हुई गलतियों के लिए एक दूसरे से क्षमा प्रार्थना करते हैं। इस दिन का खास महत्व होता है।
ऋषि पंचमी का व्रत आज
होशंगाबाद. भाद्र पद की शुक्ल पंचमी पर शुक्रवार को महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत कर पूजा करेंगी। आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि पौराणिक मान्याताओं के अनुसार धर्म शास्त्र में ऋषि पंचमी व्रत की हिंदू महिलाओं में अधिक मान्यता रहती है। यह व्रत सिर्फ महावारी कन्याओं और महिलाओं के लिए है। इस दौरान हुए गलतियों के दोष व पुर्नवृत्ति के लिए ऋषि पंचमी का उपवास किया जाता है। सामान्यत: यह व्रत हर साल अगस्त व सिंतबर माह में आता है। व्रत के दौरान महिलाएं सुबह से स्नान कर १०८ दातौन कर संध्या के समय सप्तऋषि का पूजन करती हैं। इस दिन ब्राम्हण भी जनऊ भी बदला जाता है।
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