बैठक की अध्यक्षता जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार चौबे ने की। कार्यक्रम संयोजक का दायित्व विश्वेश्वर तिवारी ने निभाया। कार्यक्रम में आशुतोष दुबे व धर्मेंद्र यादव ने भी अपने विचार रखे।
वर्तमान राजनीति सिर्फ पद की लालसा और सत्ता प्राप्ति का जरिया बन गई है। चाहे कोई भी पार्टी हो, सभी को सत्ता की चाहत रहती है। राजनीति में स्वच्छता बेहद जरूरी है। अच्छे ईमानदार लोग अगर राजनीति में आगे आएंगे तो गंदगी साफ हो जाएगी। पत्रिका समूह ने स्वच्छ राजनीति के इस जागरुकता अभियान में अधिवक्ताओं को भी शामिल किया, इसके लिए आभार। समाज के सभी वर्गों को इस अभियान में शामिल होना चाहिए।
-प्रदीप तिवारी अधिवक्ता
वर्तमान राजनीति सिर्फ पद की लालसा और सत्ता प्राप्ति का जरिया बन गई है। चाहे कोई भी पार्टी हो, सभी को सत्ता की चाहत रहती है। राजनीति में स्वच्छता बेहद जरूरी है। अच्छे ईमानदार लोग अगर राजनीति में आगे आएंगे तो गंदगी साफ हो जाएगी। पत्रिका समूह ने स्वच्छ राजनीति के इस जागरुकता अभियान में अधिवक्ताओं को भी शामिल किया, इसके लिए आभार। समाज के सभी वर्गों को इस अभियान में शामिल होना चाहिए।
-प्रदीप तिवारी अधिवक्ता
इस अभियान की आज बेहद आवश्यकता है। वर्तमान राजनीति में गुण-दोष को समझना होगा। नेताओं को व्यक्तिगत पार्टीगत स्वार्थों को त्यागकर जनता के हितों को सर्वोपरी मानना चाहिए। जनसेवा को हमारे कर्णधार भूलते जा रहे हैं। ईमानदार, चरित्रवान और जनता की सच्चे मन से सेवा करने वाले उम्मीदवार का चयन होना चाहिए। सभी को आगे आकर अच्छे लोगों को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
–विश्वेश्वर तिवारी, कार्यक्रम संयोजक
राजनीति सर्व गुण संपन्न होना चाहिए। जो भी व्यक्ति संसद-विधानसभा में चुनकर जाते हैं, उन्हें कानून का ज्ञान होना चाहिए। कभी-कभी सांसद-विधायकों व्दारा ऐसे कार्य किए जाते हैं, जिसकी बाद में खिल्लियां उड़ाई जाती है, इसलिए लोकतंत्र और विधायिका की गरिमा का विशेष ख्याल रखना चाहिए। जहां तक स्वच्छ राजनीति का प्रश्न है। यह आज की सबसे बड़ी जरुरत है। अगर नेता स्वच्छ, राजनीति स्वच्छ और संस्थाएं स्वच्छ होंगी तो देश भी स्वच्छ और विकसित होगा।
-केके थापक, वरिष्ठ अधिवक्ता
बात हमारी आपकी इस देश की है। जब तक हम राजनीति को गंदा मानकर इससे भागते रहेंगे, कुछ स्वार्थी तत्व नीचे से ऊपर तक राजनीति पर कब्जा किए रहेंगे। हम सब अपने प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा, लोकसभा में भेजते हैं, उनसे ही सरकारें बनती हैं और इनसे हम पर शासन चलता है। इसके बाद भी हम राजनीति को अपने लिए उचित नहीं मानते, हम दूसरों को वोट देने तक सीमित है। इसका नुकसान यह होता है कि राजनीति में सक्रिय रहने वाले लोगों में ऐसे तत्वों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनके लिए सेवा नहीं बल्कि मेवा हासिल करने का माध्यम है। अच्छे लोगों की संख्या मुट्ठी भर है और स्वार्थी तत्वों का जमघट है। अब यह तस्वीर बदलनी चाहिए। अधिवक्ताओं को भी इसके लिए आगे आना होगा।
-केशव सिंह चौहान, अधिवक्ता
अधिकांश लोग केवल इसलिए राजनीति में आना चाहते हैं ताकि वे फलीभूत हो सकें। स्वयं का विकास कर सकें। ऐसे लोग ही राजनीति को गंदा करते हैं। जैसे गंगा को सफाई की जरुरत नहीं है वह तो पवित्र है, सफाई तो उन लोगों की करने की है जो उसे गंदा करते हैं। इसलिए राजनीति में अच्छे, पढ़े लिखे, ईमानदार स्वच्छ छवि के लोगों को आगे आना ही होगा, तभी देश की दिशा एवं दशा सुधरेगी।
-किशोर कुमार जराठे, वरिष्ठ अधिवक्ता
वकील हमेशा दूसरों के लिए कार्य करता है। अच्छे लोग राजनीति से दूर भागते हैं। जहां तक राजनीति की स्वच्छता की बात है, इसके लिए पत्रिका समूह के साहसिक प्रयास की प्रशंसा की जानी चाहिए। यदि सभी अच्छे लोग राजनीति से दूर हो जाएंगे तो इस दलदल को कौन साफ करेगा। कौन सी बात गलत है और कौनसी सही इसे समझना होगा। सभी को स्वच्छ राजनीति अभियान से जुडऩा चाहिए।
-प्रदीप कुमार चौबे, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ
राजनीति में स्वच्छता के लिए किसी भी उम्मीदवार के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम ग्रेज्युएशन होना चाहिए। उस पर आपराधिक प्रकरण दर्ज न हो। आपराधिक गतिविधियों में शामिल न हो। वह मिलनसार एवं मददगार हो। अगर ऐसा होता है तो पिछली व वर्तमान राजनीति में कचरा साफ हो जाएगा। आने वाले राजनेता स्वच्छ होंगे, जिससे राजनीति भी स्वच्छ हो जाएगी।
-मनोज चौरे, अधिवक्ता
–विश्वेश्वर तिवारी, कार्यक्रम संयोजक
राजनीति सर्व गुण संपन्न होना चाहिए। जो भी व्यक्ति संसद-विधानसभा में चुनकर जाते हैं, उन्हें कानून का ज्ञान होना चाहिए। कभी-कभी सांसद-विधायकों व्दारा ऐसे कार्य किए जाते हैं, जिसकी बाद में खिल्लियां उड़ाई जाती है, इसलिए लोकतंत्र और विधायिका की गरिमा का विशेष ख्याल रखना चाहिए। जहां तक स्वच्छ राजनीति का प्रश्न है। यह आज की सबसे बड़ी जरुरत है। अगर नेता स्वच्छ, राजनीति स्वच्छ और संस्थाएं स्वच्छ होंगी तो देश भी स्वच्छ और विकसित होगा।
-केके थापक, वरिष्ठ अधिवक्ता
बात हमारी आपकी इस देश की है। जब तक हम राजनीति को गंदा मानकर इससे भागते रहेंगे, कुछ स्वार्थी तत्व नीचे से ऊपर तक राजनीति पर कब्जा किए रहेंगे। हम सब अपने प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा, लोकसभा में भेजते हैं, उनसे ही सरकारें बनती हैं और इनसे हम पर शासन चलता है। इसके बाद भी हम राजनीति को अपने लिए उचित नहीं मानते, हम दूसरों को वोट देने तक सीमित है। इसका नुकसान यह होता है कि राजनीति में सक्रिय रहने वाले लोगों में ऐसे तत्वों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनके लिए सेवा नहीं बल्कि मेवा हासिल करने का माध्यम है। अच्छे लोगों की संख्या मुट्ठी भर है और स्वार्थी तत्वों का जमघट है। अब यह तस्वीर बदलनी चाहिए। अधिवक्ताओं को भी इसके लिए आगे आना होगा।
-केशव सिंह चौहान, अधिवक्ता
अधिकांश लोग केवल इसलिए राजनीति में आना चाहते हैं ताकि वे फलीभूत हो सकें। स्वयं का विकास कर सकें। ऐसे लोग ही राजनीति को गंदा करते हैं। जैसे गंगा को सफाई की जरुरत नहीं है वह तो पवित्र है, सफाई तो उन लोगों की करने की है जो उसे गंदा करते हैं। इसलिए राजनीति में अच्छे, पढ़े लिखे, ईमानदार स्वच्छ छवि के लोगों को आगे आना ही होगा, तभी देश की दिशा एवं दशा सुधरेगी।
-किशोर कुमार जराठे, वरिष्ठ अधिवक्ता
वकील हमेशा दूसरों के लिए कार्य करता है। अच्छे लोग राजनीति से दूर भागते हैं। जहां तक राजनीति की स्वच्छता की बात है, इसके लिए पत्रिका समूह के साहसिक प्रयास की प्रशंसा की जानी चाहिए। यदि सभी अच्छे लोग राजनीति से दूर हो जाएंगे तो इस दलदल को कौन साफ करेगा। कौन सी बात गलत है और कौनसी सही इसे समझना होगा। सभी को स्वच्छ राजनीति अभियान से जुडऩा चाहिए।
-प्रदीप कुमार चौबे, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ
राजनीति में स्वच्छता के लिए किसी भी उम्मीदवार के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम ग्रेज्युएशन होना चाहिए। उस पर आपराधिक प्रकरण दर्ज न हो। आपराधिक गतिविधियों में शामिल न हो। वह मिलनसार एवं मददगार हो। अगर ऐसा होता है तो पिछली व वर्तमान राजनीति में कचरा साफ हो जाएगा। आने वाले राजनेता स्वच्छ होंगे, जिससे राजनीति भी स्वच्छ हो जाएगी।
-मनोज चौरे, अधिवक्ता