महिलाओं द्बारा श्राद्ब करने पर शास्त्र में मत
शास्त्रों के अनुसार, जब कोई महिला विशेष परिस्थिति में परिवार के मृतक को मुखाग्नि दे सकती है तो फिर श्राद्ध क्यों नहीं कर सकती हैं…अक्सर देखा गया है कि परंपरागत रूप में श्राद्ध कर्म पुरूष ही करते हैं और इस कारण परंपरा बन गई है कि स्त्रियों को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। जबकि गरूड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि विशेष परिस्थिति में महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं। गरूड़ पुराण के अनुसार पति, पिता या कुल में कोई पुरुष सदस्य नहीं होने या उसके होने पर भी यदि वह श्राद्ध कर्म कर पाने की स्थिति में नहीं हो तो परिवार की महिला श्राद्ध कर सकती है। यदि घर मे कोई वृद्ध महिला है तो युवा महिला से पहले श्राद्ध कर्म करने का अधिकार उसका होगा। श्राद्ध के विषय में कहा गया है कि श्रद्धा से श्राद्ध होता है। इसलिए किसी व्यक्ति की केवल कन्या संतान है तो कन्या श्रद्धापूर्वक अपने पित्रों का श्राद्ध कर सकती है। कन्या द्वारा प्रदान किया गया श्राद्ध और पिण्ड भी पितृ स्वीकार करते हैं। पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्रवधू भी पिण्डदान कर सकती है।
शास्त्रों के अनुसार, जब कोई महिला विशेष परिस्थिति में परिवार के मृतक को मुखाग्नि दे सकती है तो फिर श्राद्ध क्यों नहीं कर सकती हैं…अक्सर देखा गया है कि परंपरागत रूप में श्राद्ध कर्म पुरूष ही करते हैं और इस कारण परंपरा बन गई है कि स्त्रियों को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। जबकि गरूड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि विशेष परिस्थिति में महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं। गरूड़ पुराण के अनुसार पति, पिता या कुल में कोई पुरुष सदस्य नहीं होने या उसके होने पर भी यदि वह श्राद्ध कर्म कर पाने की स्थिति में नहीं हो तो परिवार की महिला श्राद्ध कर सकती है। यदि घर मे कोई वृद्ध महिला है तो युवा महिला से पहले श्राद्ध कर्म करने का अधिकार उसका होगा। श्राद्ध के विषय में कहा गया है कि श्रद्धा से श्राद्ध होता है। इसलिए किसी व्यक्ति की केवल कन्या संतान है तो कन्या श्रद्धापूर्वक अपने पित्रों का श्राद्ध कर सकती है। कन्या द्वारा प्रदान किया गया श्राद्ध और पिण्ड भी पितृ स्वीकार करते हैं। पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्रवधू भी पिण्डदान कर सकती है।
यह कहते हैं गायत्री परिवार के सदस्य
गायत्री परिवार के रामदास गढेकर एवं रामदास देशमुख ने बताया कि जिन दिवंगतों पितरों के पुत्र नहींं हैं, सिर्फ पुत्रियां हैं, वे अपने पितरों का तर्पण कर सकती है। ताप्ती तट पर स्थित गायत्री मंदिर में गुरूवार को प्ररिव्राजक योगेश द्वारा महिलाओं से सामूहिक तर्पण करवाया गया, गायत्री मंदिर में निशुल्क तौर पर तर्पण करवाया जा रहा है
गायत्री परिवार के रामदास गढेकर एवं रामदास देशमुख ने बताया कि जिन दिवंगतों पितरों के पुत्र नहींं हैं, सिर्फ पुत्रियां हैं, वे अपने पितरों का तर्पण कर सकती है। ताप्ती तट पर स्थित गायत्री मंदिर में गुरूवार को प्ररिव्राजक योगेश द्वारा महिलाओं से सामूहिक तर्पण करवाया गया, गायत्री मंदिर में निशुल्क तौर पर तर्पण करवाया जा रहा है