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खिलाडिय़ों को नहीं दी राशि, अपने खर्च पर सागर खेलने भेजा, विभाग बोला- स्कूल उठाए खर्च- देखें वीडियो

locationहोशंगाबादPublished: Oct 17, 2019 01:53:47 pm

Submitted by:

poonam soni

कूडो स्पर्धा के लिए सागर गई है नर्मदा पुरम संभाग की टीम, खिलाडिय़ों को नहीं मिली राशि, 65वी शालेय स्पर्धाओं का आयोजन, दूसरे संभाग में हो रही जिले की फजीहत
 

खिलाडिय़ों को नहीं दी राशि, अपने खर्च पर सागर खेलने भेजा, विभाग बोला- स्कूल उठाए खर्च- देखें वीडियो

खिलाडिय़ों को नहीं दी राशि, अपने खर्च पर सागर खेलने भेजा, विभाग बोला- स्कूल उठाए खर्च- देखें वीडियो

सागर/होशंगाबाद/ स्कूल शिक्षा विभाग 65वी शालेय स्पर्धाओं का आयोजन कर रहा है लेकिन कूडो की राज्य स्तरीय स्पर्धा में शामिल होने गए संभाग के खिलाडिय़ों को विभाग ने राशि ही नहीं दी। अब खिलाड़ी अपने खर्च पर सागर खेलने तो पहुंच गए लेकिन उन्हें अपने पैसे से ही खाना खाना पड़ रहा है। संभाग की टीम में होशंगाबाद और हरदा के ३७ खिलाड़ी हैं। हर खिलाड़ी ने खेलने के लिए लगभग २ हजार रुपए खर्च किए हैं। ये खिलाड़ी आने-जाने के खर्च के साथ खाने का पैसा भी यहां दे रहे हैं।

ऐसा कहना है
बुधवार को खिलाडिय़ों ने अपनी परेशानी बताई। वहीं इस समस्या के पीछे विभाग का अपना ही तर्क है। अधिकारियों की माने तो ३३ पारंपरिक खेल स्पर्धाओं के लिए शासन से बजट आबंटित होता है जबकि ऐसे खेल जिनमें खिलाडिय़ों की संख्या कम है या प्रतिस्पर्धा कम है उनके लिए बजट आबंटित नहीं किया जाता। हालांकि ऐसी स्पर्धाओं के लिए खिलाडिय़ों से संबंधित संस्था को ही खर्च उठाना पड़ता है। वहीं वार्षिक अंशदान जमा करते समय विभाग स्पर्धा में हुए खर्च को कम कर देता है। सागर खेलने गए बच्चों को राशि नहीं देने के मुद्दे पर विभाग संबंधित स्कूल प्रबंधन को ही जिम्मेदार मान रहा है।
बच्चों से लेते हैं क्रीडा शुल्क
निजी स्कूलों में विद्यार्थियों से क्रीडा शुल्क लिया जाता है। शासन के निर्देश के तहत 10 तक के विद्यार्थियों प्रति विद्यार्थी 60 रूपए और 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों से 100 रूपए वार्षिक शुल्क लिया जाता है। इस राशि को स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग को क्रीडा अंशदान के रूप में जमा करता है। नियम है कि कुल राशि का 45 प्रतिशत जिला शिक्षा कार्यालय व 15 प्रतिशत संभागीय कार्यालय में जमा करना होता है। इस राशि से ही गैर पारंपरिक स्पर्धाओं के लिए राशि खर्च की जाती है।
खिलाडिय़ों ने बताई परेशानी
स्पर्धा में शामिल होने के लिए कोई राशि नहीं मिली है। अपने पैसे खर्च करके यहां आए हैं। खाने का 80 रुपए प्रतिदिन भी दे रहे हंै।
दीपक कुमार, खिलाड़ी
पिछले साल भी इस स्पर्धा में आने के लिए कोई राशि नहीं मिली थी। इस साल भी शासन द्वारा कोई मदद नहीं की गई।
अभय सोनी, खिलाड़ी

वार्षिक अशंदान राशि से खर्च को कम कर देते है
वे स्पर्धाएं जिनमें खिलाडिय़ों की संख्या कम है या प्रतिस्पर्धा कम है उनके लिए शासन से बजट आबंटित नहीं होता है। इसके लिए स्कूल प्रबंधन खर्च उठाता है और बाद में वार्षिक अशंदान की राशि से उक्त खर्च को कम कर दिया जाता है। यदि विद्यार्थियों से पैसे लिए हैं तो संबंधित स्कूल की गलती है।
गजेन्द्र सुराजिया, संभागीय क्रीडा अधिकारी
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