जानकारी के अनुसार होशंगाबाद डीएसबी की टीम के साथ सोहागपुर, पिपरिया स्टेशन रोड थाना के पुलिस बल ने शुक्रवार को ग्राम बरुआ में छापामार कार्रवाई की। टीम में डेढ़ दर्जन पुलिस कर्मचारी आधा दर्जन अधिकारी मौजूद थे। पुलिस ने गुप्त तरीके से गांव में सघन सर्चिंग की, सर्चिंग के दौरान पुलिस के हाथ एक ही आरोपी लगा है, बाकी आरोपी पहले ही फरार हो गए। यह पूरी कार्रवाई पुलिस अधीक्षक अरविंद सक्सेना के निर्देश पर काफी गुप्त तरीके से हुई, बावजूद इसके टीम को एक ही आरोपी डेरे से मिला।
स्टेशन रोड टीआई शैलेंद्र शर्मा के अनुसार शहर में होने वाली चोरी, लूट सहित वारदातों में इस गिरोह की अहम भूमिका रही है। जिस पर गुप्त रूप से डेरों पर दबिश दी गई। इनके खिलाफ आगे भी सघन कार्रवाही जारी रहेगी।
बच्चों से कराते हैं लूट
बताया जाता है कि यह लोग वारदात करने में शातिर होते हैं, कही धोखे से तो कहीं छल के साथ घरों में घुसकर यह लोग लूट की वारदात को अंजाम देते हैं। वहीं डेरों में मौजूद छोटो बच्चों को भी यह लोग इसी काम में लगाते हैं।
बताया जाता है कि यह लोग वारदात करने में शातिर होते हैं, कही धोखे से तो कहीं छल के साथ घरों में घुसकर यह लोग लूट की वारदात को अंजाम देते हैं। वहीं डेरों में मौजूद छोटो बच्चों को भी यह लोग इसी काम में लगाते हैं।
सोहागुर, पिपरिया में सक्रिए
बताया जाता है कि यह लोग सोहागपुर और पिपरिया से सटे गांव में ज्यादा सक्रिए रहते हैं। इसका कारण इन गांवों का जिला मुख्यालय से दूर होना है। बैतूल में मानव अधिकार आयोग की शरण में पहुंचे पारदी
निराश्रितों की तरह जीवन गुजार रहे पारधी समुदाय के सदस्य गुरूवार को मुखिया के विरूद्ध की जा रही जिलाबदर की कार्रवाई विरोध में मानव अधिकार आयोग जा पहुंचे। आयोग के समक्ष पारधी पुनर्वास संघ अध्यक्ष अलस्या पारधी ने जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाईयों को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त की। आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि शांति व्यवस्था के नाम पर बैतूल पुलिस द्वारा १०७, ११६ की कार्रवाई कर प्रताडि़त किया जा रहा है। बैतूल पुलिस ने वर्ष २००२ से लेकर अब तक के प्रकरणों को आधार बनाकर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत कर जिलाबदर की कार्रवाई प्रस्तावित की है, जो कि लंबित है। जबकि उपरोक्त प्रकरणों में न्यायालय ने मुझे दोषमुक्त पाते हुए बरी कर दिया है। पारधियों ने पुलिस एवं जिला प्रशासन की प्रताडऩा पर रोक लगाए जाने की मांग की। चिकित्सा एवं आवासीय सुविधा दिलाने की मांग, बच्चों के जनजाति प्रमाण-पत्र बनाने, शिक्षा एवं छात्रवृत्ति सुविधा दिए जाने, सोनाघाटी में पुनर्वास करने व अन्य मांगे हैं।