इस सॉफ्टवेअर पर होगा काम रेलवे की योजना ई ऑफिस क्लाउड साफ्टवेअर से सभी जोनों को जोडऩे की है। यह एक एेसा सॉफ्टवेअर है जो रेलटेल टीअर थ्री प्रमाणित डेटा सेंटर से संचालित किया जाता है। हर जोन में इस सॉफ्टवेअर पर ही काम किया जाएगा। सभी विभागों में इस सॉफ्टवेअर पर ही प्रस्ताव भेजने से लेकर किसी प्रोजेक्ट की फाइल बनाने तक का काम होगा। इस ई ऑफिस प्रोजेक्ट से रेलवे में दस्तावेजों से भरी मोटी फाइलों को सहेजने की झंझट खत्म हो जाएगी। इससे फाइलों के एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में खर्च होने वाला समय और श्रम भी बचेगा। अभी किसी प्रोजेक्ट की फाइल को रेलवे में एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक जाने में ही कई दिन लग जाते हैं।
दिसंबर २०१९ का टारगेट रेलवे ने इस तकनीक का प्रयोग सबसे पहले दक्षिण मध्य रेलवे जोन के मुख्यालय और गुंटूर डिवीजन में किया था। वहां इसके परिणाम बहुत अच्छे आने के बाद अब रेलवे ने सभी जोनों में इस तकनीक को लागू करने काम मन बनाया है। रेलवे बोर्ड ने जबलपुर जोन में दिसंबर 2019 तक का टारगेट तय कर रखा है जिसमें मैनुअल फाइलिंग सिस्टम को ई-ऑफिस में शिफ्ट किया जाना है।
जोन में स्टेशनरी पर होता हैं १ करोड़ खर्च जबलपुर जोन में हर साल स्टेशनरी के मद में करीबन १ करोड़ रुपए खर्च होते हैं। जबलपुर जोन के ई-ऑफिस में शिफ्ट होने से रेलवे को हर साल इस राशि की बचत होगी जिसका उपयोग दूसरे कार्यों में किया जाएगा।
किसने क्या कहा रेलवे में पेपरलेस वर्किंग को बढ़ावा देने के लिए ही ई-ऑफिस सॉफ्टवेअर पर काम किया जा रहा है। रेलवे ने दक्षिण मध्य रेलवे जोन में इसे लागू कर दिया है। जल्द ही अन्य जोनों में भी इसे अपनाया जाएगा। इससे रेलवे को कागज खरीदने के लिए जो राशि खर्च करना पड़ती है उसकी भी बचत होगी।
शिवगोपाल मिश्रा, जनरल सेकेट्री एआईआरएफ दिल्ली जोन को इस साल दिसंबर तक उस सिस्टम से कनेक्ट करना है। इस सिस्टम के लागू होने के फायदे होंगे लेकिन यह सिस्टम इस साल लागू हो पाएगा इसकी संभावना कम ही लगती है क्योंकि अधिकांश पुराने कर्मचारी हैं जिन्हें उस तकनीक के बारे में कुछ भी पता नही है और उन्हें सीखने में भी समय लगेगा।
रवि जायसवाल, जोनल प्रेसीडेंट डब्ल्यूसीआरईयू जबलपुर जोन