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सेंट्रल जेल के बंदी तैयार कर रहे एक लाख पौधे, दे रहे ऑर्गनिक खेती को बढ़ावा

locationहोशंगाबादPublished: Jan 28, 2022 12:53:54 pm

Submitted by:

devendra awadhiya

-दस बंदी अन्य बंदियों को भी सिखा रहे पौधे तैयार करना और जैविक खेती

सेंट्रल जेल के बंदी तैयार कर रहे एक लाख पौधे, दे रहे ऑर्गनिक खेती को बढ़ावा

सेंट्रल जेल के बंदी तैयार कर रहे एक लाख पौधे, दे रहे ऑर्गनिक खेती को बढ़ावा

देवेंद्र अवधिया
होशंगाबाद. संभागीय सेंट्रल जेल होशंगाबाद की दोनों जेलों में बंदी एक लाख फल और छायादार पौधे तैयार कर रहे। एक पौधे की लागत 2-3 रुपए पड़ रही, जिसे विभिन्न सरकारी विभागों व संस्थाओं को प्रति पौधे 10-15 रुपए में भी बेचा जा रहा है। तीस हजार पौधे तैयार किए जा चुके हैं। इनकी बिक्री भी शुरू हो गई है। पौधों की सप्लाई से जेल को आय भी हो रही है और हरियाली के साथ पर्यावरण सुधार भी आ रहा है। पौधों को दूध की बेस्टेज पॉलीथिन पन्नियों में लगा रहे, जिससे रिसाइकिलिंग भी हो रही। पौधे तैयार करने और बेचने के साथ ही बंदी बिना रासायनिक खाद के बर्मी कमोस्ट खाद से ऑर्गनिक खेती भी कर रहे हैं। ये खेती और पौधों की नर्सरी पुरानी सेंट्रल जेल के खुली जेल परिसर में स्थित खेतों व नवीन जेल परिसर में की जा रही है। इस कार्य को दस प्रशिक्षित बंदी कर रहे, जो अन्य बंदियों को भी सिखा रहे हैं। इन दोनों कार्यों में चार माह में जेल प्रशासन को बंदियों की मेहनत से करीब आठ लाख की आय भी हासिल हुई है। जेल में बंदियों के भोजन, सब्जी सहित अन्य दैनिक उपयोग की चीजों का खर्च भी बच रहा है।

विभिन्न सरकारी विभागों को देंगे पौधे
दोनों जेल में बंदियों से तैयार हो रही नर्सरी के पौधों को विभिन्न सरकारी विभागों व संस्थनों को बेचे जाएंगे। पौधों को वेस्टेज दूध की खाली पन्नियों में तैयार किए जाने से इसका रिसाइकिलिंग भी हो रहा है। पौधों में फूलदार पौधे, स्टीविया जो डायबिटिज में काम आती है, हाईब्रिड में सीताफल, पपीता, आंवला, नींबू, जामुन, आम, डेकोरेशन फूल के पौधे शामिल हैं। चार माह में अब तक 25 से 30 हजार पौधे तैयार किए जा चुके हैं। इसकी कीमत करीब 5-6 लाख रुपए है।

जेल में बंदी कर रहे ऑर्गनिक खेती
सेंट्रल जेल खंड-अ (पुरानी जेल) कैंपस की खुली जेल में बंदी आर्गनिक खेती भी कर रहे। इसमें रासायनिक खाद नहीं डाली जाती है। गौशाला से निकले गोबर से 10 वर्मी कम्पोस्ट बनाए हैं। इससेे तैयार जैविक खाद का उपयोग कर सब्जी-फल की खेती हो रहा है। गेहूं-सब्जी के मामले में अब जेल को बाहर से ये चीजें नहीं खरीदनी पड़ रही। दो से ढाई लाख कीमत के आठ से दस बर्मी कम्पोस्ट केंचुआ खाद के बैग तैयार किए हैं। सौ बैग तक तैयार किए जाएंगे। एक बैग पांच-छह बैग तैयार कर देता है। फसलों की ग्रोथ भी शानदार है। गेहूं के साथ ही टमाटर और सब्जियां लगाई है। खेती-बाड़ी में लगे दस टे्रड बंदी जेल के अन्य बंदियों को भी नर्सरी व जैविक खेती करना सिखा रहे हैं।

इनका कहना है…
सेंट्रल जेल के खंड-अ व ब नवीन जेल में बंदियों से पौधों की नर्सरी व ऑर्गनिक खेती कराई जा रही है। एक लाख पौधों का लक्ष्य है, तीस हजार पौधे तैयार हो चुके हैं। इन्हें विभिन्न विभागों को सप्लाई किया जाएगा। इन दोनों कार्य से बंदियों में आत्मनिर्भरता और सकारात्मकता आ रही है। जेल प्रशासन को आय भी हो रही और जेल का पूरा परिसर हरा-भरा होकर पर्यावरण में भी सुधार आ रहा है।
-संतोष सोलंकी, जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल होशंगाबाद
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