अभी तक यह था सिस्टम
भोपाल मंडल में रेलवे ट्रैक, ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन लाइन व उपकरण, लेवल क्रासिंग, स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की उपलब्धता सहित सुरक्षा से जुड़े अन्य संसाधनों की निगरानी के लिए अभी तक रेल अधिकारियों को एक निरीक्षण कोच का उपयोग करना होता था। बताया जाता है कि जो डीजल इंजन या इलेक्ट्रिक इंजन से चलाया जाता था। इससे जहां डीजल या बिजली का ज्यादा खर्च होता था वहीं इंजन टर्न राउंड में भी समय ज्यादा खर्च होता था।
ऐसी है ऑटोमैटिक इंस्पेक्शन कार
1.एेरोडायनेमिकली ड्राइविंग कैब
2. ३२ लोगों की बैठक व्यवस्था
3. स्टेनलेस स्टील से कोच की बनाई गई है बॉडी
4. ड्राइविंग कैब को वातानुकूलित बनाया गया है।
5. ३४० हॉर्सपावर अंडरस्लग डीजल इलेक्ट्रिक वातानुकूलित पॉवर
6. बल्बों व पंखों में बिजली के लिए 40 केव्हीए अंडरस्लग डीए सेट
7. कोच में स्क्रूरहित फिनिशिंग वर्क किया गया है।
8. ड्राइवर डेस्क पर बाहरी सीसीटीवी कैमरा
9. डिजीटल गति संकेतक
10. जीपीएस आधारित पीआईएल/पीएएस
11. ऑन बोर्ड वाई-फाई सिस्टम
1. भोपाल मंडल के लिए ऑटोमैटिक इंस्पेक्शन कार मिली है। यह मंडल के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे अब संरक्षा और सुरक्षा से जुड़े उपकरणों की निगरानी करना आसान हो गया है। इससे समय और ईंधन की बचत होगी।
शोभन चौधुरी, डीआरएम भोपाल
भोपाल मंडल में रेलवे ट्रैक, ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन लाइन व उपकरण, लेवल क्रासिंग, स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की उपलब्धता सहित सुरक्षा से जुड़े अन्य संसाधनों की निगरानी के लिए अभी तक रेल अधिकारियों को एक निरीक्षण कोच का उपयोग करना होता था। बताया जाता है कि जो डीजल इंजन या इलेक्ट्रिक इंजन से चलाया जाता था। इससे जहां डीजल या बिजली का ज्यादा खर्च होता था वहीं इंजन टर्न राउंड में भी समय ज्यादा खर्च होता था।
ऐसी है ऑटोमैटिक इंस्पेक्शन कार
1.एेरोडायनेमिकली ड्राइविंग कैब
2. ३२ लोगों की बैठक व्यवस्था
3. स्टेनलेस स्टील से कोच की बनाई गई है बॉडी
4. ड्राइविंग कैब को वातानुकूलित बनाया गया है।
5. ३४० हॉर्सपावर अंडरस्लग डीजल इलेक्ट्रिक वातानुकूलित पॉवर
6. बल्बों व पंखों में बिजली के लिए 40 केव्हीए अंडरस्लग डीए सेट
7. कोच में स्क्रूरहित फिनिशिंग वर्क किया गया है।
8. ड्राइवर डेस्क पर बाहरी सीसीटीवी कैमरा
9. डिजीटल गति संकेतक
10. जीपीएस आधारित पीआईएल/पीएएस
11. ऑन बोर्ड वाई-फाई सिस्टम
1. भोपाल मंडल के लिए ऑटोमैटिक इंस्पेक्शन कार मिली है। यह मंडल के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे अब संरक्षा और सुरक्षा से जुड़े उपकरणों की निगरानी करना आसान हो गया है। इससे समय और ईंधन की बचत होगी।
शोभन चौधुरी, डीआरएम भोपाल