होशंगाबाद से 10 किमी दूर निमसाडिय़ा गांव निवासी एक बहन अपने भाई की आंखें बनकर उनका भविष्य संवार रही है। निमसाडिय़ा निवासी पल्लवी कीर अपने दृष्टिवाधित भाई के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहीं है। वह पहले खुद पढ़ती है फिर उन्हे सुनाकर याद कराती है। भाई सत्यम का कहना है कि आज बहन नहीं होती तो हम दुनियां नहीं देख पाते। उसी ने ही हमें नॉर्मल बना रखा है।
पल्लवी का कहना पल्लवी कीर ने बताया कि भाई को दृष्टिवाधित होने पर समस्या आई लेकिन उन्हे भी पार किया। वह बोलकर इनके लिए परीक्षा की तैयारी कराती हैं। वहीं मोबाइल, डेजी प्लेयर और मोबाइल रिकार्डर के माध्यम से सत्यम को पढ़ाती हैं। पल्लवी का कहना है कि यह देख नहीं सकते लेकिन मैं इनका सपना पूरा करना चाहती हूं। ताकि भविष्य में किसी के सहारे की जरूरत न पड़े। इनकी सेवा कर अपना कर्तव्य पूरा कर रहीं हूं।