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महाकाली के दर्शन से मिलती है राम को रावण संहार की शक्ति

locationहोशंगाबादPublished: Sep 29, 2017 12:30:21 am

Submitted by:

harinath dwivedi

जब तक भगवान राम माता काली के दर्शन नहीं कर लेते तब तक वे रावण को मारने के लिए अंतिम वाण नहीं चलाते हैं।

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होशंगाबाद . राम रावण का युद्ध और उसके संहार की कहानी वर्षों पुरानी है। इस कहानी में होशंगाबाद में एक परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है। जब तक भगवान राम माता काली के दर्शन नहीं कर लेते तब तक वे रावण को मारने के लिए अंतिम वाण नहीं चलाते हैं। मां काली के दर्शन से ही राम को रावण के संहार की ताकत मिलती है। ऐसी ही मान्यता के साथ जुमेराती काली कमेटी द्वारा लगभग सवा सौ वर्षों ने काली प्रतिमा की स्थापना कर रही है। जब तक यह काली प्रतिमा दशहरा मैदान पहुंचकर भगवान राम को दर्शन नहीं देते तब तक रावण का दहन नहीं किया जाता है। कमेटी द्वारा स्थापित की जा रही काली प्रतिमा के दशहरा मैदान पहुंचने के बाद ही रावण के पुतले का दहन होता है। वर्षों पुरानी परंपरा को समिति सदस्य आज भी जारी रखे हुए हैं। आयोजन समिति अध्यक्ष रूपेश सोनी व उपाध्यक्ष दीपू पालीवाल ने बताया कि वे अपने बचपन से ही प्रतिमा की स्थापना होते देख रहे हैं। समिति सदस्यों ने बताया कि क्षेत्र के बुजुर्ग व्यक्तियों के अनुसार ही स्थापना वर्ष गणना की जाती है। समिति सदस्यों द्वारा इस वर्ष 11 फिट की प्रतिमा स्थापित की गई।
इधर रामलीला के बाद रावण के पुतले का जगह-जगह दहन को आदिवासी समाज का विरोध प्रदर्शन अब उग्र होते जा रहा है। दामजीपुरा में आदिवासियों ने चौकी पहुंचकर रावण दहन न करने को लेकर ज्ञापन सौंपा। आदिवासियों का कहना था कि यदि रावण दहन किया जाता है तो मेघनाथ मेले में दुकानें नहीं लगाने की चेतावनी दी। यदि समितियों द्वारा राजा रावण का पुतला दहन किया जाता है तो भारतीय दंड संहिता 1860 के अंतर्गत कालम 153(अ) 295/295(अ) एवं 298 के तहत व्यक्तिगत नाम से या मंडल के पदाधिकारी के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण/याचिका दायर कर कार्रवाई के लिए समाज अग्रसर होगा।
बनकर तैयार हुए पुतले
दशहरा पर्व के लिए रावण एवं कुंभकरण के पुतले बनकर तैयार हो चुके हैं। भोपाल से आए कलाकार रिंकू बंसल द्वारा इन पुतलों का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि रावण की ऊंचाई 55 फीट और कुंभकरण की 50 फीट रखी गई है। दशहरे में विशेष आकर्षण के लिए आतिशबाजी के अलावा रावण एवं कुंभकरण के पुतलों की आंखों में बैटरी से संचालित लाल रंग की लाइटें भी लगाई जा रही है। जिससे रात में पुतलों की आंखें अलग ही चमकेगी। पुतलों को मैदान में खड़ा किए जाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। अलग-अलग हिस्सों में बने इन पुतलों को स्टेडियम लेकर आपस में जोड़ा जा रहा है।
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