इधर रामलीला के बाद रावण के पुतले का जगह-जगह दहन को आदिवासी समाज का विरोध प्रदर्शन अब उग्र होते जा रहा है। दामजीपुरा में आदिवासियों ने चौकी पहुंचकर रावण दहन न करने को लेकर ज्ञापन सौंपा। आदिवासियों का कहना था कि यदि रावण दहन किया जाता है तो मेघनाथ मेले में दुकानें नहीं लगाने की चेतावनी दी। यदि समितियों द्वारा राजा रावण का पुतला दहन किया जाता है तो भारतीय दंड संहिता 1860 के अंतर्गत कालम 153(अ) 295/295(अ) एवं 298 के तहत व्यक्तिगत नाम से या मंडल के पदाधिकारी के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण/याचिका दायर कर कार्रवाई के लिए समाज अग्रसर होगा।
बनकर तैयार हुए पुतले
दशहरा पर्व के लिए रावण एवं कुंभकरण के पुतले बनकर तैयार हो चुके हैं। भोपाल से आए कलाकार रिंकू बंसल द्वारा इन पुतलों का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि रावण की ऊंचाई 55 फीट और कुंभकरण की 50 फीट रखी गई है। दशहरे में विशेष आकर्षण के लिए आतिशबाजी के अलावा रावण एवं कुंभकरण के पुतलों की आंखों में बैटरी से संचालित लाल रंग की लाइटें भी लगाई जा रही है। जिससे रात में पुतलों की आंखें अलग ही चमकेगी। पुतलों को मैदान में खड़ा किए जाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। अलग-अलग हिस्सों में बने इन पुतलों को स्टेडियम लेकर आपस में जोड़ा जा रहा है।