पूर्णिमा से अमावस्या तक बीमार
रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक भगवान जगन्नाथ मंदिर में आइसोलेशन में रहेंगे। इसे अनासार कहा जाता है। इस अवधि में भगवान के को जड़ी-बूटियों का पानी आहार में दिया जाता है। भगवान को सिर्फ काढ़े का भोग लगाया जाता है।
रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक भगवान जगन्नाथ मंदिर में आइसोलेशन में रहेंगे। इसे अनासार कहा जाता है। इस अवधि में भगवान के को जड़ी-बूटियों का पानी आहार में दिया जाता है। भगवान को सिर्फ काढ़े का भोग लगाया जाता है।
पंडित सोमेश परसाई बोले
पंडित सोमेश परसाई ने बताया कि यह पुरानी परंपरा है। भगवान के बीमार होने के दौरान एक वैद्य प्रतिदिन उनका उपचार करेगा। उन्हें काढ़ा और औषधियां दी जाएंगी। गर्म पानी से स्नान कराया जाएगा। इस दौरान उनकी दिनचर्या पूरी बदल जाती है। अमावस्या के दिन उपचार के बाद भगवान स्वस्थ होंगे। दूज के दिन रथ यात्रा निकलेगी।
पंडित सोमेश परसाई ने बताया कि यह पुरानी परंपरा है। भगवान के बीमार होने के दौरान एक वैद्य प्रतिदिन उनका उपचार करेगा। उन्हें काढ़ा और औषधियां दी जाएंगी। गर्म पानी से स्नान कराया जाएगा। इस दौरान उनकी दिनचर्या पूरी बदल जाती है। अमावस्या के दिन उपचार के बाद भगवान स्वस्थ होंगे। दूज के दिन रथ यात्रा निकलेगी।
रथयात्रा से एक दिन पहले होंगे स्वस्थ
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से एक दिन पहले ठीक होंगे। दूज के दिन भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ में रवार होकर शहर से गुजरेंगे। वह अपनी मौसी के घर जाते हैं। यहां तरह-तरह के पकवान से प्रभु को भोग लगाया जाता है।
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से एक दिन पहले ठीक होंगे। दूज के दिन भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ में रवार होकर शहर से गुजरेंगे। वह अपनी मौसी के घर जाते हैं। यहां तरह-तरह के पकवान से प्रभु को भोग लगाया जाता है।