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रजिस्ट्री में नहीं हो सकेगी गड़बड़ी, मेटा डाटा फॉर्म से होगी निगरानी

locationहोशंगाबादPublished: Jan 13, 2019 09:04:42 pm

Submitted by:

Rahul Saran

– रजिस्ट्री करने वाले सर्विस प्रोवाइडरों की गड़बड़ी उन्हें पड़ सकती है महंगी

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होशंगाबाद. संपत्तियों के पंजीयन के दौरान सही जानकारी छिपाकर पंजीयन विभाग को राजस्व की चपत लगाने का खेल अब नहीं हो पाएगा। पंजीयन विभाग में अब संपत्ति के पंजीयन के दौरान प्री मेटा डाटा फॉर्म भरना अनिवार्य हो गया है। प्री मेटा डाटा फार्म वह फार्म है, जिसमें संपत्ति की पूरी जानकारी दर्ज रहेगी। इस सिस्टम की अनिवार्यता से अब सर्विस प्रोवाइडर गड़बड़ी नहीं कर सकेंगे। यदि वे गड़बड़ी करते हैं और प्री मेटा डाटा फार्म और डीड में अंतर पकड़ाता है तो सर्विस प्रोवाइडर पर कड़ी कार्रवाई होगी। इस सिस्टम के लागू होने से रजिस्ट्री करने वाले विक्रेता, रजिस्ट्री कराने वाले खरीदार की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है कि वे बाद में परेशानी से बचने के लिए सर्विस प्रोवाइडर से प्री मेटा डाटा फार्म जरुर भरवाएं।
उल्लेखनीय है कि जिले में करीब १५० सर्विस प्रोवाइडर हैं जो संपत्ति पंजीयन के काम में लगे हुए हैं। पंजीयन विभाग के अनुसार प्रतिमाह करीब १००० रजिस्ट्रियां पूरे जिले में होती हैं। साल भर मंे होशंगाबाद जिले में औसतन १२ हजार रजिस्ट्रियां होती हैं। हर साल होने वाली इन रजिस्ट्रियों में पंजीयन विभाग को नजर बचाकर चपत लगाई जाती रही है।
पहले यह थी प्रक्रिया

संपत्तियों के पंजीयन के दौरान पहले सर्विस प्रोवाइडर को सीधे संपत्ति की जानकारी दर्ज कराना होती थी। जिसके बाद उस जानकारी के आधार पर पंजीयन शुल्क निर्धारित होता था। पंजीयन शुल्क चुकाने के साथ ही रजिस्ट्री हो जाती थी। सर्विस प्रोवाइडर को प्री मेटा डाटा फॉर्म तत्काल ही भरकर नहीं देना होता था। सर्विस प्रोवाइडर अपने मन से इस फॉर्म को भरकर देता था जिसमें संपत्ति की जानकारी रजिस्टर्ड की गई संपत्ति की जानकारी से कम दिखाई जाती थी जिससे कम पंजीयन शुल्क के नाम पर पंजीयन विभाग को राजस्व की चपत लगती थी।
अब यह करना जरुरी

अब कोई सर्विस प्रोवाइडर किसी संपत्ति की रजिस्ट्री करता है तो उसे सबसे पहले प्री मेटा डाटा फॉर्म भरना होगा। इस फार्म में ऑन लाइन ही उसे उस संपत्ति से जुड़ी जानकारी मसलन संपत्ति का प्रकार, क्षेत्रफल, रकबा, वार्ड आदि जानकारी देना होगी। इसके बाद डीड की जानकारी दर्ज की जाएगी। यदि दोनों में किसी तरह की जानकारी का अंतर आता है तो सबसे पहले कंप्यूटर सिस्टम उसे स्वीकार ही नहीं करेगा। इसके बावजूद उसे तिकड़म लगाकर उसमें एंट्री हो जाती है और वह विभाग की पकड़ में आती है तो इसके लिए सर्विस प्रोवाइडर को दोषी माना जाएगा। इस तरह की गड़बड़ी के मामलों में सर्विस प्रोवाइडर के लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है
२ फीसदी रहेगी पेनाल्टी

पंजीयन विभाग ने जो बदलाव किया है उसमें पेनाल्टी का प्रावधान भी जोड़ा गया है। विभाग के मुताबिक प्री मेटा डाटा फार्म और मूल दस्तावेज यानी डीड में किसी तरह का अंतर पाया जाता है तो रजिस्ट्री जिस दिनांक को हुई होगी उस दिनांक से २ प्रतिशत पेनाल्टी प्रतिमाह की दर से वसूलेगा। पेनाल्टी की राशि मूल स्टांप ड्यूटी से ज्यादा नहीं होगी।
किसने क्या कहा

संपत्तियों के पंजीयन के दौरान अब मूल दस्तावेज के साथ ही प्री मेटा डाटा फार्म भरना भी अनिवार्य हो गया है। यदि सर्विस प्रोवाइडर प्री मेटा डाटा फॉर्म और डीड में किसी तरह का अंतर रहता है तो उसकी जिम्मेदारी सर्विस प्रोवाइडर की रहेगी। राजस्व को हो रहे नुकसान को देखते हुए ही विभाग ने इस मामले में सर्विस प्रोवाइडर की जिम्मेदारी तय की है।
-रमेश कुंभारे, जिला पंजीयक होशंगाबाद

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