यह की थी गड़बड़ी – नागपुर कला और चांदौन गांव में पशु शेड के मामले में अनियमितता की गई थी। सरपंच और सचिवों ने मिलकर ऐसे अपात्रों को पशु शेड स्वीकृत कर दिए थे जो न तो गांव के रहने वाले थे और न ही उनके पास मवेशी थी। एक शेड की कीमत १ लाख ३२ हजार रुपए के आसपास थी। इसके अलावा आवासीय कॉलोनी से संबंधित राशि जमा कराने में पारदर्शिता नहीं रखी गई थी।
यह किया गया था उल्लंघन- – पशु शेड योजना के तहत नियमों का पालन नहीं किया गया था। नियमानुसार पशु शेड उन लोगों को दिए जाना थे जिनके पास स्वयं के पांच मवेशी हो लेकिन पशु शेड उन्हें स्वीकृत किए गए जिनके पास मवेशी नहीं थे।
– जिन लोगों के पशु शेड स्वीकृत किए गए थे उसमें से शकुन बाई और रेवती प्रसाद तो पंचायत में ही नहीं रहते थे जबकि नियम है पशु शेड उन्हें ही स्वीकृत किया जा सकता है जो ग्राम पंचायत का रहने वाला हो।
– पन्नालाल गुल्लू, जगदीश काशीराम और राजाराम मिश्रीलाल के शेड स्वीकृत किए गए थे जबकि ग्राम पंचायत में इनके प्रस्ताव प्रस्तुत ही नहीं किए गए थे।
– जिन लोगों के पशु शेड स्वीकृत किए गए थे उसमें से शकुन बाई और रेवती प्रसाद तो पंचायत में ही नहीं रहते थे जबकि नियम है पशु शेड उन्हें ही स्वीकृत किया जा सकता है जो ग्राम पंचायत का रहने वाला हो।
– पन्नालाल गुल्लू, जगदीश काशीराम और राजाराम मिश्रीलाल के शेड स्वीकृत किए गए थे जबकि ग्राम पंचायत में इनके प्रस्ताव प्रस्तुत ही नहीं किए गए थे।
चांदौन पंचायत में भी हुई थी गड़बड़ी- चांदौन पंचायत में पशु शेड के लिए जो दस नाम प्रस्तावित थे उसमें से प्राथमिकता के आधार पांच के पशु शेड बनाए जाने थे। यहां गड़बड़ी यह की गई कि एक ही परिवार के दो लोगों के शेड स्वीकृत कर दिए गए थे दूसरा यहां एक महिला को विधवा दर्शाकर पशु शेड स्वीकृत कर दिया था जबकि महिला विधवा नहीं हैं।ड्ड