पीएम योजना में गांवों से जोड़ने बनी सड़कें गड्ढों में तब्दील
होशंगाबादPublished: Aug 20, 2019 11:23:11 pm
– करोड़ों की लागत से बनी है ये सड़कें, ग्रामीण परेशान- पांच साल से पहले उखड़ी सड़कों का मेंटनेंस नहीं कर रहे ठेकेदार
PM scheme turned into pits
इटारसी. तहसील मुख्यालय से जुड़े कई गांवों में डामर की सड़कें बदहाल हो चुकी है। निर्माण एजेंसी प्रधानमंत्री योजना और पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत बनी इन सड़कों से डामर उखड़ गए हैं। इन सड़कों से आवाजाही करने वाले ग्रामीण भी परेशान है। खास बात ये है कि इन सड़कों का निर्माण 2015-2016 के बीच हुआ है। तब से अब तक इन तीन सालों में एक बार भी मेंटनेंस नहीं हुआ है। बीओटी के तहत ठेकेदारों को इन सड़कों का मेंटनेंस पांच साल नियमित रुप करना चाहिए, लेकिन ठेकेदार सड़क बनाकर गायब हो गए हैं। जिले में ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोडऩे के लिए 2016 कर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 297 सड़कों की स्वीकृति मिली थी। इनमें से 232 सड़कें बन चुकी है। सालों पहले बनाई इन सड़कों में से आधी से ज्यादा खस्ताहाल है। गारंटी पीरियड के बावजूद ठेकेदार इनकी रिपेयरिंग नहीं कर रहे हैं। सड़कों के निर्माण के बाद 5 साल तक मरम्मत और मेंटनेंस की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। सबसे अधिक बदहाली तहसील मुख्यालय से जुड़े गांवों के सड़कों की है। ये सड़कें पूरी तरह जर्जर हो गई है। कहीं डामर उखड़ गए हैं, तो कहीं गड्डे हो गए हैं। इटारसी तहसील क्षेत्र में लगभग एक दर्जन सड़कें पीएम योजना में बनी है।
इनकी हालत ज्यादा खराब
मरोड़ा सोनतलाई मार्ग (6 किमी)
रूपापुर से चिल्लई होकर गुर्रा (3.50 किमी),
चिल्लई से नादनेर (4 किमी),
गुर्रा स्टेशन से गुर्रा गांव तक (1.5 किमी)
इसी तरह इटारसी मुख्य मार्ग से गुर्रा, रामपुर – केसला होकर, बिश्वा से सोनतलाई (6 किमी) रोड भी खराब हो चुकी है। गुर्रा के पूर्व सरपंच दिनेश चौरे ने बताया कि इन सड़कों के खराब होने की वजह खनिज सामग्रियों से भरे डंपर निकलना है। विभाग ठीक करवाने का प्रयास नहीं कर रहा है।
गारंटी के ये नियम
पीएमजीएसवाई योजना में सड़क बनाने के बाद पांच साल तक निर्माण करने वाले ठेकेदार की गारंटी में रहती है। इसके लिए विभाग ठेकेदार के बिल की 25 फीसदी राशि रोककर रखता है। इस दौरान सड़क की मरम्मत नहीं करने पर विभाग इस राशि से सड़क मरम्मत करा सकता है। हर पांच साल में इन सड़कों पर डामर का कोट करवाया जाता है। इस कोट के पांच साल चलने की जिम्मेदारी भी ठेकेदार की रहती है।
विभाग नहीं कराता पुनरीक्षण
ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री योजना में बनी इन अरबों रुपए की सड़कों की हालत खस्ता होने के पीछे इनकी निगरानी नहीं किया जाना बड़ी वजह है। सड़कों के बनने और ठेकेदार के पेमेंट होने के बाद विभाग इन्हें भूल जाते हैं। समय पर पुनरीक्षण नहीं होने का फायदा ठेकेदार उठा रहे हैं। विभाग को जब सड़कों की हालत ही नहीं पता होगी, तो वह उन्हें ठीक कैसे करेगा।
े8 की जगह 16 टन का लोड
वही ग्रामीण सड़क विकास विभाग के अफसरों का मानना है कि सड़कों की यह हालत ज्यादा भार वाले वाहनों के चलने से हो रही है। दरअसल ये सड़कें महज 8 टन लोड के हिसाब से बनाई जाती हैं, जबकि उन पर 16 टन लोड वाले वाहनों की आवाजाही हो रही है। हालांकि निर्माण विभागों को इसकी जानकारी होने के बावजूद इन वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी नहीं लग रही है।
जनसुनवाई में गए, पर नहीं हुई कार्रवाई
गुर्रा स्टेशन से सिलारी (12 किमी) तक प्रधानमंत्री रोड बनी है। दोनों गांवों के बीच में एक पुल का निर्माण होना है, जोकि आज तक नहीं बनी। वर्तमान में पुरानी पुलिया है, जो बारिश में डूब जाती है। जिससे यह मार्ग बंद हो जाता है। इस रोड से एक दर्जन गांवों के 15 हजार की आबादी जाती है। गुर्रा बरसन के सरपंच श्रवण उइके ने कहा कि हमने जनसुनवाई में सड़क सुधारने के लिए जनसुनवाई में आवेदन दिया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
निर्माण एजेंसिया इन सड़कों के टूटने की वजह अधिक भार बता रहा हो, लेकिन बनने के दो- तीन साल में ही सड़कों के जर्जर हो गई है। ऐसे में इनकी गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए।
– रमेश मालवीय, सोनतलाई
प्रधानमंत्री योजना की अधिकांश सड़कें समय से पहले ही जर्जर हो चुकी है। हालत यह है कि सड़कों पर गड्ढे होने से हादसे बढ़ रहे हैं, वहीं वाहन भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बनने से ग्रामीणों को मिली राहत की उम्मीद ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकी।
– प्रदीप दुबे, जिला कार्यकारी अध्यक्ष, सरपंच संघ