खेत में पिता का हाथ बंटा रही खिलाड़ी
धान के खेत में पिता का हाथ बंटा रही हर्षिता तोमर ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते पांच महीने से खेल गतिविधियां बंद हैं। भोपाल की एकेडमी भी बंद है इसलिए वो इन दिनों अपने गांव में हैं और खेती व मछलीपालन में पिता का हाथ बंटा रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताते हुए आगे कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही खेल एकेडमी की गतिविधियां शुरु हो जाएंगी और वो एक बार फिर खेल के मैदान में उतर सकें। उन्होंने कहा कि उन्होंने ओलंपिक में भाग लेने के लिए काफी तैयारियां करनी हैं और उनका लक्ष्य अब भारत के लिए ओलंपिक में मैडल जीतना है।
जब पत्रिका की टीम हर्षिता से मिलने के लिए पहुंची तो हर्षिता धान के खेत में मजदूरों के साथ रोपाई के साथ ही घास साफ कर रही थीं। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि वो रोजाना ऑनलाइन पढ़ाई व खेल की प्रैक्टिस करने के बाद मछलियों को दाना खिलाने के लिए जाती हैं और पिता के साथ खेत में काम करती हैं।
16 साल की उम्र में एशियाई खेलों में जीता ब्रॉन्ज
तैराकी से शुरु हुआ हर्षिता का सफर 8 साल में सेलिंग (नौकायान) तक पहुंचा। साल 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबांग में हुए एशियाई खेलों में हर्षिता ने महज 16 साल की उम्र में 4.7 ओपन लेजर सेलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। हर्षिता सेलिंग में मेडल जीतने वाली भारत की सबसे छोटी महिला सेलर बनीं थीं।
सीएम शिवराज ने बताया था प्रदेश का गौरव
हर्षिता के एशियाड खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हर्षिता की तारीफ करते हुए ट्वीट कर उन्हें प्रदेश का गौरव बताया था और 50 लाख रुपए इनाम देने का ऐलान भी किया था।
कोरोना से बचने का दिया संदेश
हर्षिता तोमर ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी को संदेश भी दिया है उन्होंने कहा कि कोरोना से खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए सोशल डिस्टेंस अपनाएं, मास्क लगाएं और बाहर भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।