सुविधाओं के अभाव में भी नहीं हारा जज्बा
जिला मुख्यालय होशंगाबाद एवं इटारसी के बीच हाइवे किनारे छोटे से गांव रैसलपुर में जन्मी हर्षिता तोमर ने यहां स्वीमिंग पुल की सुविधा न होने के बाद भी जज्बा नहीं हारा। बचपन में नर्मदा की लहरों में तैरना सीखा और बेहतरीन तैराकी के बाद अब वह नौकायन (सेलिंग) की अंतर्राष्ट्रीय चैंपियन बन चुकी है। पिता देवेंद्र सिंह तोमर बताते हैं कि हर्षिता ने वर्ष 2018 में एशियन गेम्स चैंपियनशिप में ब्राउंज मैडल जीतकर देश में नया मुकाम हासिल किया, उसके बाद से वह उत्साहित है और ओलंपिक में क्वालीफायर के लिए अभ्यास में जुटी हुई है। उसका लक्ष्य टोक्यो में 2021 के ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतना है। कोरोनाकाल के लॉकडाउन में भी हर्षिता ने प्रैक्टिस नहीं छोड़ी। घर में रहकर ऑनलाइन प्रशिक्षण लिया है। अभी वह मुंबई में चल रहे कैंप में अभ्यास कर रही है।
रेडियल बोट चलाने हर्षिता बढ़ा रहीं वजन
हर्षिता ओलंपिक में रेडियल बोट चलाने के लिए वजन भी बढ़ा रही हैं। अभी उनका वजन 51 किलोग्राम है। ओलंपिक में उसे वजन 60 से 65 किलोग्राम करना है। क्योंकि रेडियल बोट का वजन अधिक होता है, जबकि एशियन गेम्स में 4.7 लेजर बोट चलाई जाती है। इसके लिए उसने अपने कोच जेएल यादव व पोलेंड के कोच एलेक्स से टिप्स लिए हैं। हर्षिता अब तक 9 राष्ट्रीय एवं 7 अंतर्राष्ट्रीय पदक अर्जित कर चुकी हैं।