scriptराज्य बीमारी सहायता में घोटाला, 14 करोड़ के भुगतान का रिकार्ड गायब | Scam in state sickness aid, record of 14 crore payment missing | Patrika News

राज्य बीमारी सहायता में घोटाला, 14 करोड़ के भुगतान का रिकार्ड गायब

locationहोशंगाबादPublished: Aug 24, 2019 12:39:19 pm

Submitted by:

Manoj Kundoo

सीएमएचओ कार्यालय से राज्य बीमारी सहायता का पांच साल का रिकार्ड गायब, वर्ष 2012 से 2017 तक का नहीं मिल रहा रिकॉर्ड, प्रभारियों से मांगा जबाव

Scam in state sickness aid, record of 14 crore payment missing

Scam in state sickness aid, record of 14 crore payment missing

होशंगाबाद

गरीबों का इलाज करने पर निजी अस्पतालों को मिलने वाली राज्य बीमारी सहायता के १४ करोड़ के भुगतान का रिकार्ड गायब हो गया है। जिससे सीएमएचओ कार्यालय में हड़कंप मच गया है। वर्ष २०१२ से १७ तक राज्य बीमारी सहायता में किए गए लगभग १४ करोड़ के भुगतान का रिकार्ड और अस्पतालों से भेजे जाने वाले उपयोगिता प्रमाण पत्र व बिल-बाउचर की फाइलें तक नहीं मिल रही है। इसका खुलासा मप्र ग्वालियर से आए लेखा परीक्षक दल ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में किया है। लेखा परीक्षक दल ने रिकार्ड उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। खास बात यह भी है कि लेखा परीक्षक दल द्वारा अपनी इंट्रीम रिपोर्ट के जरिए पहले भी रिकार्ड मांगा जा चुका है। लेकिन उपलब्ध नहीं कराया गया। मामले में वर्तमान शाखा प्रभारी ने लेखा परीक्षक दल को लिखकर दिया है कि पूर्व का रिकार्ड उसे नहीं दिया गया।
—————
लापरवाही : सरेंडर किए थे १ करोड़ १० लाख रुपए-
योजना में लापरवाही से वर्ष २०१७-१८ में वित्तीय वर्ष खत्म होने तक एकाउंट सेक्शन में ९० लाख रुपए के बिल जमा नहीं हो पाए थे। इसी वजह से राज्य बीमारी सहायता के १ करोड़ १० लाख रुपए सरेंडर करने पड़े थे। अपै्रल २०१८ में १ करोड़ ५२ लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया, जिससे पैंडिंग पड़े ९० लाख रुपए का भुगतान किया। वर्तमान में २६८ मरीजों का लगभग ६८ लाख रुपए भुगतान पैंडिंग है।
—————
आमने-सामने…
मेरे पास १ जून २०१८ से रिकार्ड उपलब्ध है। जिसे मैंने लेखा परीक्षण दल को उपलब्ध करा दिया। इसके पहले का रिकार्ड मुझे चार्ज में रहे मदन वर्मा सहायक ग्रेड-३ द्वारा नहीं सौंपा गया है और नही चार्ज लिस्ट दी गई है। -आशीष भार्गव, वर्तमान शाखा प्रभारी। तत्कालीन सीएमएचओ डा. पीके चतुर्वेदी ने आनन-फानन में ११ जून २०१८ को हमसे चार्ज आशीष भार्गव को दिलावाया था। सभी दस्तावेज सुपुर्द कर दिए थे। रिकार्ड व फाइलें नहीं मिलने पर दबाव बनाया जा रहा है। -मदन वर्मा, पूर्व शाखा प्रभारी।
—————
इनका कहना है…
राज्य बीमारी सहायता योजना का पांच साल का रिकार्ड नहीं मिल रहा है। लेखा परीक्षण दल को शाखा प्रभारियों ने रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया है। संबंधित पूर्व शाखा प्रभारी को नोटिस देकर रिकार्ड उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
-डा. दिनेश कौशल, सीएमएचओ होशंगाबाद।
—————
यह थी योजना और उसके फायदे…
दो लाख रुपए तक की सहायता- बीपीएल कार्डधारक सभी परिवारों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त और निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर आर्थिक मदद मिलती थी। इलाज के लिए २५ हजार से २ लाख रुपए तक की सहायता का प्रावधान था। योजना अब आयुष्मान में शामिल।
—————
किश्तों में भुगतान का प्रावधान- योजना में स्वीकृति के आधार पर इलाज होता था। इसके लिए मप्र के ९३ अस्पताल चिन्हित थे। मरीज भर्ती होने पर ५० प्रतिशत इसके बाद ३० और आखिरी में उपयोगिता प्रमाण पत्र के आधार पर २० प्रतिशत राशि का भुगतान होता था।
—————
गड़बड़ी से जुड़े ये सवाल…
-वर्ष २०१२ से १७ तक जिन मरीजों के इलाज का भुगतान किया गया, क्या वे सभी वास्तविक मरीज थे। -किस मरीज का किस अस्पताल में कितना इलाज हुआ। -इलाज के एवज में कितना भुगतान किया गया। -कम राशि का इलाज कराकर अधिक भुगतान तो नहीं किया गया। -एक नाम वाले अन्य लोगों को हितग्राही बनाकर तो भुगतान नहीं लिया गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो