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पत्रिका शी पावर: बैंक सखी बनकर महिला ने चलते-फिरते बैंक के रूप में बनाई पहचान

locationहोशंगाबादPublished: Sep 17, 2021 01:02:48 pm

Submitted by:

devendra awadhiya

संघर्ष और जूनून से पाया मुकाम: अधूरी पढ़ाई पूरी की, 11 महिलाओं का स्व सहायता समूह तैयार किया, पति को भी बनवाया वकील, राशन की दुकान भी चला रही, आत्मनिर्भर बनी, अर्जित आय से मकान पक्का किया, घर में सभी चीजें जुटा लीं

 Bank Sakhi Women

संघर्ष और जूनून से पाया मुकाम

देवेंद्र अवधिया की खास रिपोर्ट
होशंगाबाद. जिले के ग्राम रजोरा जाट की बेहद गरीब परिवार की मात्र दसवीं तक पढ़ी ग्रामीण महिला सुरेखा कटारे ने डिजिटल दौर में बैंकिंग के कार्यों को सीखा और वह बखूबी ढंग से इसे निभा रही है। बुजुर्ग हो या विकलांग को पेंशन निकलवाने, बिजली का बिल जमा करना हो या लेनदेन और बैंक संबंधी कोई भी परेशानी हो ये तुरंत हल कर पूरा कर देती हैं। उनकी पहचान चलते-फिरते बैंक के रूप में हो रही है। सुरेखा ने आजीविका मिशन के जरिए 11 महिलाओं का स्व सहायता समूह बनाया हुआ है। बैंक सखी बन गई है और पति को भी एलएलबी कराकर वकील बनवा दिया है। इस कार्य से अर्जित आय से उसने घर के लिए फ्रिज, कूलर, एलईडी टीवी, सोफा सभी सुविधाओं के साथ एक पक्की दुकान भी बना ली है। बेहतर स्वरोजगार पाकर परिवार व गांवों में आत्मनिर्भरता की अलख जगा रही है। आइये जानते हैं उसकी संघर्ष और सफलता दास्तां।

बचत और काम की लगन से बनाया मुकाम
सिवनी मालवा जनपद पंचायत के ग्राम रजौराजाट की रहने वाली सुरेखा कटारे बताती है कि वह एक बहुत ही साधारण परिवार और गरीब परिस्थिति में पली-बढ़ी है। 4 वर्ष पूर्व में आजीविका मिशन होशंगाबाद के सहयोग से उनसे 11 महिलाओं को जोड़कर कृष्णा स्व सहायता समूह बनाया, जिसकी अध्यक्ष बनकर नेतृत्व को संभाला। थोड़ी-थोड़ी बचत करना शुरू की। शिक्षा आठवीं तक थी, लेकिन आगे की पढ़ाई रख दसवीं पास कर बैंक सखी का काम करने लगी। जिसमें सहायता समूह के बैंक खाते खुलवाए और उनको बैंक ऋण संबंधी दस्तावेजीकरण कार्य के साथ ही बिजली विभाग में निष्ठा विद्युत मित्र के रूप में बिल जमा करना या नए बिजली कनेक्शन देने का कार्य किए। इस कार्य के माध्यम से उसे 2500 सौ रुपए महीने की अतिरिक्त आय होने लगी।

खेत में बोर कराया, किसानी से होने लगी आय
समूह से जुड़कर सुरेखा ने 50 हजार का लोन लेकर अपने खेत में बोर कराया। इसके बाद से सिंचाई सुविधा से उसे एक से डेढ़ लाख रुपए प्रतिवर्ष किसानी से आय होने लगी है। इसी दौरान उसने 12वीं की परीक्षा भी पास कर ली। बैंक सखी के कार्य को देखकर सेंट्रल बैंक शाखा सिवनी मालवा बीसी एजेंट के रूप में कार्य मिल गया। इसके माध्यम से ग्राम पंचायत व आसपास के गांव के लोगों को वृद्धावस्था, विधवा, विकलांग पेंशन व अन्य बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराना शुरू किया। इसमें कमीशन के रूप में प्रतिमाह 7 से 8 हजार रूपए प्रतिमाह मासिक आय हुई। स्वयं की आय से व बैंक से पुन: 50 हजार का लोन लेकर लैपटॉप प्रिंटर एवं स्कूटी व बीसी एजेंट के लिए उपयोगी अन्य उपकरण ले लिए हैं।

समूह को कंट्रोल दुकान भी मिल गई
जिपं सीईओ मनोज सरियाम ने सुरेखा कटारे की कार्य के प्रति लगन के चलते उसके समूह को सहकारी उचित मूल्य की दुकान की जिम्मेदारी भी दिलाई है। गांव में राशन वितरण कार्य कर रही। इसमें कमीशन के रूप में भी 7 हजार रुपए आय प्राप्त हो रही है। कृषि व इन सभी कामों से प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपए कमा लेती है।

पति को भी बनवा दिया वकील
सुरेखा ने बताया उसके पति की पढ़ाई बीच में छूट गई थी तो मैने उनको पुन: प्रेरित करके एलएलबी करवाया और आज की स्थिति में बो वकालत करने लगे हैं। बेटी को एक्सीलेंस स्कूल में 11वी कक्षा में बेटे को भी एक्सीलेंस स्कूल में ही 9वी कक्षा में भर्ती कराया है। घर में भी फ्रिज, कूलर, सोफा सेट, एलईडी टीवी आदि खरीद ली है और अपने कच्चे मकान को भी पक्का करा लिया है। उसी में एक पक्की दुकान भी बना ली है।

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