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पत्रिका बना पीडि़तो की आवाज, कोरोना के कहर से निराश परिवार तक पहुंचे मददगार

locationहोशंगाबादPublished: May 23, 2020 02:41:24 pm

Submitted by:

poonam soni

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद समाजसेवी संगठनों ने पीडि़त परिवार तक पहुंचाई मदद
 

पत्रिका बना पीडि़तो की आवाज, कोरोना के कहर से निराश परिवार तक पहुंचे मददगार

पत्रिका बना पीडि़तो की आवाज, कोरोना के कहर से निराश परिवार तक पहुंचे मददगार

इटारसी. मलोथर में कोरोना से हुई अनुसुइया बाई की मौत के बाद परिवार के पास भरण-पोषण का संकट गहरा गया था। परिवार के पास न तो खाने के लिए सामग्री बची थी और न राशन खरीदने के लिए पैसा। पत्रिका ने कोरोना के कहर का दंश झेल रहे परिवार की हालत बयां करती खबर शुक्रवार को प्रथम पेज पर प्रकाशित की। जिसके बाद सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व व्यक्तिगत रूप से भी मदद के लिए लोगों ने हाथ बढ़ाए। परिवार तक न केवल खानपान की सामग्री पहुंचाई। मददगारों को देख परिवार की आंखें नम हो गईं।
खबर प्रकाशित होने के बाद आए मददगार
पत्रिका में प्रकाशित खबर के बाद संत रैदास यूथ क्लब इटारसी के श्रवण डोरे, भगवान दास बामने, अजीत कटारे, सुरेंद्र बरखने, नरेंद्र बरखने, चेतन बामने, कृष्ण कुमार कटारे आटा, चावल, दाल, तेल, नमक, मिर्ची, हल्दी, धनिया, साबुन, सर्फ इत्यादि सामग्री लेकर पीडि़त परिवार के पास पहुंच गए। यहां सभी सामग्री कैलाश बामने के सुपुर्द किया। इटारसी के एक समाजसेवी ने भी राहत सामग्री दी। विश्व हिंदु परिषद के जिलाध्यक्ष सुभाष दुबे, इटारसी ग्रामीण अध्यक्ष प्रमोद गालर, प्रांत सहमंत्री गोपाल सोनी, जमानी ग्राम अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राजपूत, अमाड़ा ग्राम अध्यक्ष संतोष सिंह राजपूत, संजय साध, मयंक कुमार ने भी पीडि़त परिवार को 20 किलो गेहूं, 10 किलो आटा, पांच किलो चावल, दो किलो शक्कर, खाने का तेल, दाल, चायपत्ती, नमक, धनिया, मिर्ची, हल्दी, साबुन, सर्फ, हेयर ऑइल, टूथपेस्ट किट भेंट किया। मृतिका द्वारा लिए ऋण संबंधी मामले का निपटाने का भरोसा भी दिया।
विहिप ने माना पत्रिका का आभार
विहिप ने कोरोना काल में पीडि़तों की आवाज बने पत्रिका का आभार माना। जिलाध्यक्ष सुभाष दुबे ने कहा इस विषम स्थिति में जहां समाचार पत्र नहीं पहुंच पा रहे हैं, ऐसे दूरगामी इलाकों की खबर भी प्रमुखता से प्रकाशित करके सेवाकार्य किया जा रहा है।
पत्रिका ने हमारे दर्द को लोगों तक पहुंचाकर हमारी मदद की है। मैं और मेरा पूरा परिवार पत्रिका को धन्यवाद देते हैं।
– कैलाश बामने

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