नहीं कौन संभाले व्यवस्था
उक्त भवन के संबंध में आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों से संपर्क के प्रयास किए गए लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका । चूंकि अब तक यह संशय बना हुआ है कि आखिर भवन का उपयोग कौन करेगा, इसलिए भवन रिक्त पड़ा हुआ है। मामले में पत्रिका ने जब रविवार को सामान्य वन विभाग अधिकारियों से चर्चा की तो सेंगर ने कहा कि भवन जिस क्षेत्र में बना है, वह बफर जोन है। इसलिए बफर जोन के अधिकारी से जानकारी लें। जब बफर जोन की कार्यप्रणाली के लिए जवाबदेह कर्मचारियों व अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि भवन तो आदिवासी विकास विभाग का है। इसकी देखरेख हमारे हाथ में भी नहीं है। जबकि लोनिवि के अधिकारियों की मानें तो भवन आदिवासी विकास विभाग को हैंडओवर हो चुका है।
संचालन के लिए हम तैयार
पत्रिका से चर्चा में एसटीआर असिस्टेंट डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने कहा कि उन्हें यह भवन यदि मिल जाता है तो आदिवासी विकास की विभिन्न योजनाओं की रूपरेखाएं यहां संपादित की जा सकती हैं। साथ ही विस्थापित आदिवासियों के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण, उनकी बैठक आदि के आयेाजन करने में अत्यधिक सुविधा होगी। वन संपदाओं के उपयोग से आदिवासियों के रोजगार के साधन जुटाने के प्रशिक्षण इस भवन में दिए जा सकते हैं।
उक्त भवन के संबंध में आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों से संपर्क के प्रयास किए गए लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका । चूंकि अब तक यह संशय बना हुआ है कि आखिर भवन का उपयोग कौन करेगा, इसलिए भवन रिक्त पड़ा हुआ है। मामले में पत्रिका ने जब रविवार को सामान्य वन विभाग अधिकारियों से चर्चा की तो सेंगर ने कहा कि भवन जिस क्षेत्र में बना है, वह बफर जोन है। इसलिए बफर जोन के अधिकारी से जानकारी लें। जब बफर जोन की कार्यप्रणाली के लिए जवाबदेह कर्मचारियों व अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि भवन तो आदिवासी विकास विभाग का है। इसकी देखरेख हमारे हाथ में भी नहीं है। जबकि लोनिवि के अधिकारियों की मानें तो भवन आदिवासी विकास विभाग को हैंडओवर हो चुका है।
संचालन के लिए हम तैयार
पत्रिका से चर्चा में एसटीआर असिस्टेंट डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने कहा कि उन्हें यह भवन यदि मिल जाता है तो आदिवासी विकास की विभिन्न योजनाओं की रूपरेखाएं यहां संपादित की जा सकती हैं। साथ ही विस्थापित आदिवासियों के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण, उनकी बैठक आदि के आयेाजन करने में अत्यधिक सुविधा होगी। वन संपदाओं के उपयोग से आदिवासियों के रोजगार के साधन जुटाने के प्रशिक्षण इस भवन में दिए जा सकते हैं।
यह है भवन का स्वरूप
65 लाख रुपए है भवन की लागत।
05 शयन कक्ष, एक किचिन, आगे-पीछे बरामदा, स्टोर रूम, डॉयनिंग हॉल की व्यवस्था है भवन में
50 गुणा 60 मीटर की जमीन पर बना है भवन
योजनानुसार भवन में फारेस्ट एवं वाइल्ड लाइफ सेविंग एक्टिविटी संचालित किया जाना तय था।
& भवन हमारे पास नहीं है। कामती के समीप का यह क्षेत्र अब बफर जोन में है। यह हमारा सामान्य वन क्षेत्र नहीं है, इसलिए मैं इसके संचालन के बारे में कुछ नहीं कह सकता।
केएस सैंगर, एसडीओ, सामान्य वन क्षेत्र सोहागपुर।
&यदि यह भवन एसटीआर के बफर जोन को मिल जाता तो बेहतर होता। यहां आदिवासी समुदाय के विकास की योजनाएं बनाई जा सकती हैं तथा उन पर मैदानी कार्य भी किया जा सकता है।
आरएस भदौरिया, असिस्टेंट डायरेक्टर, एसटीआर
65 लाख रुपए है भवन की लागत।
05 शयन कक्ष, एक किचिन, आगे-पीछे बरामदा, स्टोर रूम, डॉयनिंग हॉल की व्यवस्था है भवन में
50 गुणा 60 मीटर की जमीन पर बना है भवन
योजनानुसार भवन में फारेस्ट एवं वाइल्ड लाइफ सेविंग एक्टिविटी संचालित किया जाना तय था।
& भवन हमारे पास नहीं है। कामती के समीप का यह क्षेत्र अब बफर जोन में है। यह हमारा सामान्य वन क्षेत्र नहीं है, इसलिए मैं इसके संचालन के बारे में कुछ नहीं कह सकता।
केएस सैंगर, एसडीओ, सामान्य वन क्षेत्र सोहागपुर।
&यदि यह भवन एसटीआर के बफर जोन को मिल जाता तो बेहतर होता। यहां आदिवासी समुदाय के विकास की योजनाएं बनाई जा सकती हैं तथा उन पर मैदानी कार्य भी किया जा सकता है।
आरएस भदौरिया, असिस्टेंट डायरेक्टर, एसटीआर