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65 लाख से बनाया था यह भवन, 65 पैसे का भी नहीं हो पा रहा उपयोग

locationहोशंगाबादPublished: Nov 11, 2019 02:40:22 pm

Submitted by:

sandeep nayak

2016-17 में किया था भवन का निर्माण

65 लाख से बनाया था यह भवन, 65 पैसे का भी नहीं हो पा रहा उपयोग

65 लाख से बनाया था यह भवन, 65 पैसे का भी नहीं हो पा रहा उपयोग

सोहागपुर/शासन द्वारा वनों एवं वनोपजों के प्रति आमजनों तथा खासकर वनक्षेत्रों मेंं रहने वाले अनुसूचित व अनुसूचित जनजाति वर्ग के नागरिकों में जागरुकता लाने एवं उनमें वनों की सुरक्षा का भाव जगाने वर्ष 2016-17 में कामती में एक भवन निर्माण किया गया था जिसे वन चेतना भवन का नाम दिया गया था। लेकिन निर्माण के बाद से ही इसका उपयोग नहीं किया जा सका है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार सितंबर 2016 में मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान द्वारा बाबई में आयोजित अंत्योदय मेले में उक्त भवन का भूमिपूजन किया गया था। इसके बाद लगभग एक साल में 65 लाख की लागत सेे भवन तैयार किया गया। लेकिन भवन रिक्त पड़ा है तथा इसका कोई भी उपयोग नहीं हो पा रहा है। मामले में आदिवासी समाज के वरिष्ठजनों ने बताया कि आज तक प्रशासन ने इस विषय पर किसी भी सामाजिक व्यक्ति से कोई बात नहीं है कि समाज के विकास के लिए वन चेतना भवन का उपयोग जनहित में किया जाए। भवन का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया था तथा इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा प्रस्ताव मिलने पर भूमि कामती रंगपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र में घोघरी रोड स्थित सब स्टेशन के समीप आवंटित की गई थी। भूमि सर्वे, चयन, प्रस्ताव, आवंटन आदि प्रक्रिया में काफी मशक्कत की गई थी, लेकिन मशक्कत कोई काम नहीं आ रही है।
तय ही

नहीं कौन संभाले व्यवस्था
उक्त भवन के संबंध में आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों से संपर्क के प्रयास किए गए लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका । चूंकि अब तक यह संशय बना हुआ है कि आखिर भवन का उपयोग कौन करेगा, इसलिए भवन रिक्त पड़ा हुआ है। मामले में पत्रिका ने जब रविवार को सामान्य वन विभाग अधिकारियों से चर्चा की तो सेंगर ने कहा कि भवन जिस क्षेत्र में बना है, वह बफर जोन है। इसलिए बफर जोन के अधिकारी से जानकारी लें। जब बफर जोन की कार्यप्रणाली के लिए जवाबदेह कर्मचारियों व अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि भवन तो आदिवासी विकास विभाग का है। इसकी देखरेख हमारे हाथ में भी नहीं है। जबकि लोनिवि के अधिकारियों की मानें तो भवन आदिवासी विकास विभाग को हैंडओवर हो चुका है।
संचालन के लिए हम तैयार
पत्रिका से चर्चा में एसटीआर असिस्टेंट डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने कहा कि उन्हें यह भवन यदि मिल जाता है तो आदिवासी विकास की विभिन्न योजनाओं की रूपरेखाएं यहां संपादित की जा सकती हैं। साथ ही विस्थापित आदिवासियों के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण, उनकी बैठक आदि के आयेाजन करने में अत्यधिक सुविधा होगी। वन संपदाओं के उपयोग से आदिवासियों के रोजगार के साधन जुटाने के प्रशिक्षण इस भवन में दिए जा सकते हैं।

यह है भवन का स्वरूप
65 लाख रुपए है भवन की लागत।
05 शयन कक्ष, एक किचिन, आगे-पीछे बरामदा, स्टोर रूम, डॉयनिंग हॉल की व्यवस्था है भवन में
50 गुणा 60 मीटर की जमीन पर बना है भवन
योजनानुसार भवन में फारेस्ट एवं वाइल्ड लाइफ सेविंग एक्टिविटी संचालित किया जाना तय था।
& भवन हमारे पास नहीं है। कामती के समीप का यह क्षेत्र अब बफर जोन में है। यह हमारा सामान्य वन क्षेत्र नहीं है, इसलिए मैं इसके संचालन के बारे में कुछ नहीं कह सकता।
केएस सैंगर, एसडीओ, सामान्य वन क्षेत्र सोहागपुर।
&यदि यह भवन एसटीआर के बफर जोन को मिल जाता तो बेहतर होता। यहां आदिवासी समुदाय के विकास की योजनाएं बनाई जा सकती हैं तथा उन पर मैदानी कार्य भी किया जा सकता है।
आरएस भदौरिया, असिस्टेंट डायरेक्टर, एसटीआर
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