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अजब-गजब: यहां जन्म लेते ही स्कूल जाने लगते हैं बच्चे… पढ़कर चौंक जाएंगे आप

locationहोशंगाबादPublished: Aug 24, 2018 01:44:45 pm

337 आदिवासी बच्चों की अनोखी कहानी, जन्म से पहले स्कूल में हो जाती है बुकिंग

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अजब-गजब: यहां जन्म लेते ही स्कूल जाने लगते हैं बच्चे… पढ़कर चौंक जाएंगे आप

होशंगाबाद। आप यकीन नहीं करेंगे कि जन्म लेते ही बच्चे स्कूल जा सकते हैं। लेकिन एेसा चमत्कार हुआ है, वह भी आदिवासी बहुल गांवों में। इन गांवों के सरकारी स्कूल में जन्म लेते ही बच्चों को प्रवेश दे दिया गया। खुद स्कूल के प्रधान पाठक दाखिला करते हैं। कुछ बच्चों के माता-पिता ने उनके जन्म से पहले ही बुकिंग करा ली।
कहां हो रहा है एेसा
यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के आदिवासी बहुल गांव में हुआ। होशंगाबाद जिले के केसला, सोहागपुर, बाबई व पिपरिया ब्लॉक के नौ सरकारी स्कूल ग्राम नानकोट, बिरजूखापा, पोडार, जाम, रतिबंदर (केसला), घोड़ानाल (पिपरिया), मालनी (सोहागपुर), सोनपुर और काजरी में इस तरह ३३७ बच्चों ने दाखिला लिया। आरटीआई से मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं इनमें जन्म से पांच साल तक पहले से बच्चों को प्रवेश दे दिया गया।
ऐसे-ऐसे मामले
शिवनारायण, गंगाराम, फूल सिंह, छोटी बाई और अनिल कुमार को जन्म से चार साल पहले ही स्कूल में प्रवेश मिल गया। इसी तरह दयाराम और महेश का जन्म एक जनवरी 1997 को हुआ था, उनका उसी दिन स्कूल में प्रवेश का प्रमाण पत्र बना दिया गया। लखन 26 माह का होते ही स्कूल जाने लगा था।
इसलिए दिया दाखिला
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के आदिवासी बहुल गांवों के विस्थापन में मुआवजा हासिल करने के लिए वन, राजस्व, स्कूल और अस्पताल के अधिकारियों-कर्मचारियों, डाक्टर एवं अध्यापक ने करोड़ों रुपए का घोटाला करने इस तरह स्कूल में प्रवेश दिया। सिर्फ नाबालिग बच्चों को ही बालिग बताकर सरकार को लगभग 34 करोड़ रुपए की चपत लगाई गई। खुलासे के बाद लोकायुक्त संगठन ने अलग-अलग आधा दर्जन से अधिक प्रकरणों को प्राथमिक जांच पंजीबद्ध कर पड़ताल शुरू कर दी है। मामले में अपर मुख्य सचिव वन से भी रिपोर्ट मांगी गई है। मजेदार बात यह है कि विस्थापन का मुआवजा दिलाने के लिए अधिकारियों ने नाबालिग 337 बच्चों की जन्मतिथियों में हेरफेर की। बच्चे का जन्म होते ही उसका स्कूल में दाखिला दिखा दिया गया। छात्राओं को तो मेडिकल परीक्षण कराकर बालिग साबित किया गया। स्कूल के प्रधान पाठकों ने वन और राजस्व अफसरों से सांठगांठ कर 50-50 हजार में नाबालिगों को बालिग बताते हुए प्रमाण पत्र जारी किए। इसके लिए अधिकांश बच्चों को जन्म से पहले ही स्कूल में दाखिला दिखा दिया गया। जन्म तिथि से पांच-पांच साल पहले तक स्कूल में प्रवेश होना बताया गया। जिन स्कूलों के प्रधान पाठक ने प्रमाण पत्र नहीं दिए ऐसी छात्राओं को डाक्टर से सांठगांठ कर एक-एक लाख रुपए में मेडिकल प्रमाण पत्र के माध्यम से बालिग करार दिया गया। स्कूल के दाखिला पंजीयन के आधार पर इन बच्चों को कमीशन पर दस-दस लाख रुपए का मुआवजा दिलाया गया।
यह हैं जिम्मेदार, जिनकी हो रही जांच
लोकायुक्त पुलिस ने वन, राजस्व और शिक्षा विभाग के इन अफसरों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें एसडीओ एसटीआर इटारसी आरपी चौहान, रेंजर नवल सिंह चौहान, प्रधान पाठक विकासखंड केसला, पूर्व अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पिपरिया, विस्थापन अधिकारी ओपी पटैल, पूर्व तहसीलदार पिपरिया, उप संचालक एके मिश्रा, विस्थापन समिति के अध्यक्ष एवं घोटानाल स्कूल के प्रधान पाठक, क्षेत्रीय संचालक एसटीआर एके नागर और सभी संबंधित स्कूलों के प्रधान पाठकों के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की है।
एसीएस से की रिपोर्ट तलब
लोकायुक्त संगठन ने संबंधित मामलों में अपर मुख्य सचिव वन से जांच प्रतिवेदन तलब किया है। इसमें बताया गया है कि शिकायत में कहा गया है कि वन विभाग के दोनों अधिकारियों द्वारा खुद को मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताकर और नेताओं के दबाव में खुलेआम भ्रष्टाचार किया गया हैं। लोकायुक्त के प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश देने के बाद विभागीय स्तर पर भी पड़ताल शुरू की गई। शिक्षा विभाग ने भी अपने स्कूलों की जांच की। इसी दौरान तीन शिक्षक सस्पेंड भी हो गए। इनके खिलाफ पिछले साल धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था।
इन स्कूलों में हुई गड़बड़ी
स्कूल/गांव का नामविद्यार्थीघोटाला राशि
1. शा. शाला नानकोट – 26 – 2.60 करोड़
2. रतिबंदर(केसला) – 56 – 5.60 करोड़
3. घोड़ानाल पिपरिया – 25 – 2.50 करोड़
4. मालनी सोहागपुर – 70 – 7 करोड़
5. पोडार केसला – 47 – 4.70 करोड़
6. जाम केसला – 15 – 1.50 करोड़
7. सोनपुर -21 – 2.10 करोड़
8. काजरी पिपरिया – 21 – 2.80 करोड़
9. बिरजूखापा – दाखिला पंजीयन क्रमांक 13 से 56 तक में छेड़छाड़। एक तारीख में 56 बच्चों का दाखिला।
इनकी शिकायत पर शुरू हुई जांच
प्रदेश कांग्रेस महामंत्री(पिछड़ा वर्ग) मोहनलाल चौहान ने आरटीआई से जानकारी हासिल करने के बाद लोकायुक्त में शपथ पत्र के साथ शिकायत की थी। जिस पर संगठन ने जांच प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है। चौहान का आरोप है कि एसटीआर में वन ग्राम और आदिवासी ग्रामों के विस्थापन में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। उनकी शिकायत पर लोकायुक्त संगठन जांच कर रहा है।
सात सदस्यी टीम ने की जांच
लोकायुक्त के निर्देश पर संबंधित स्कूलों की जांच के लिए सात सदस्यीय टीम बनाई गई थी। इस दल ने अपनी रिपोर्ट तैयार कलेक्टर और लोकायुक्त संगठन को भेज दी है।
अनिल वैद्य, जिला शिक्षा अधिकारी

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