कोचिंग करने की जरूरत नहीं
उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों का दावा है कि कॉलेज से स्नातक की डिग्री करने के बाद स्टूडेंट्स को कोचिंग करने की जरूरत नहीं पड़ेेगी। विभाग ने मप्र की राज्यपाल से अनुमोदन लेकर बीए, बीएससी और बीकॉम के 25 संशोधित सिलेबस जारी किए हैं। उच्च शिक्षामंत्री ने आईएएस-आईपीएस की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों पर फोकस करते हुए केंद्रीय व अध्ययन मंडलों से कहकर सिलेबस तैयार कराया है।
इन विषयों के सिलेबस में हुए बदलाव : समाजशास्त्र, रसायन, इतिहास, भौतिकी, गणित, अंग्रेजी, हिंदी, भूगोल, राजनीति, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी दर्शन, संस्कृत, मैनेजमेंट, जियोलॉजी, वनस्पति विज्ञान, मनोविज्ञान, पर्यावरण और उर्दू। ऐसा रहेगा सिलेबस
यह सिलेबस दस साल बाद बदला गया है। इसमें विभाग ने हर साल के हिसाब से पांचों यूनिट को तैयार किया है। यूपीएससी के सिलेबस काफी अंश तीन सालों के 25 सिलेबस में शामिल किए हैं। यह नया सिलेबस सत्र 2019-20 से लागू होगा। इस साल एडमिशन लेने वाले विद्यार्थी 2020-21 और 2021-22 में भी बदला हुआ सिलेबस पढ़ेेंगे। सेकंड और थर्ड ईयर में आने वाले विद्यार्थी पुराना सिलेबस ही पढ़ेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि सभी विषयों में 20 फीसदी बदलाव किया गया है।
हिंदी ग्रंथ अकादमी से तैयार हो रही हैं किताबें : विभाग ने सभी 25 सिलेबस के तहत हिंदी ग्रंथ अकादमी से किताबें तैयार कराई जा रही हैं, जो इसी साल सभी कालेजों में पहुंच जाएंगी। हालांकि कॉलेजों का शैक्षणिक सत्र एक जुलाई से शुरू होता है। ऐसे में 15 दिन बाद सिलेबस चेंज होने से हिंदी ग्रंथ अकादमी को किताबें तैयार करने में एक-दो माह का समय लगेगा।
नियमित और स्वाध्यायी के अलग-अलग होंगे अंक : हर विषय के पहले पेपर को नियमित और स्वाध्यायी विद्यार्थियों को अलग-अलग दिए जाएंगे। नियमित विद्यार्थियों को तिमाही और छमाही आंतरिक मूल्यांकन में पांच-पांच अंक दिए जाएंगे। वार्षिक परीक्षा में चालीस अंक मिलेंगे। इससे उनका जोड पचास अंकों का हो जाएगा, जबकि स्वाध्यायी विद्यार्थियों को पचास अंकों का पेपर देना होगा। प्रत्येक पेपर 50 अंक का होगा। इसमें दो अंक के पांच प्रश्न, तीन अंक के पांच और पांच अंक के पांच प्रश्न होंगे।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नए सिलेबस से परिवर्तन से स्नातक के स्टूडेंट्स को लाभ मिलेगा। वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां आसानी से कर सकेंगे। इसमें साइंस के सभी विषयों में प्रैक्टिकल पर फोकस किया गया है। 20 फीसदी टॉपिकों में चेंज है। कुछ नए रिसर्च को साइंस में जोड़ा गया है।
डॉ. पीके पगारे, प्राचार्य एमजीएम पीजी कॉलेज