निजी बस संचालकों के चिंता बढ़ी: इंटक
इधर, जिले के संभागीय बस स्टैंड होशंगाबाद से अभी 25-30 निजी बसें ही चल पा रही हैं। जबकि अलग-अलग रूटों पर करीब 350 से अधिक निजी बसें संचालित होती हैं। बस यूनियनें एक साल के टैक्समाफी व किराया बढ़ोतरी की मांग कर रहीं, लेकिन शासन स्तर से सुनवाई नहीं हो पा रही। मप्र ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), नर्मदापुरम् बस ऑनर्स एसोसिएशन, प्राइमरूट बस एसोसिएशन ने परिवहन व्यवसाय को मंदी-घाटे से उबारने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री से लेकर परिवहन आयुक्त तक से शून्य करने-टैक्समाफी, के फॉर्म के निराकरण की कई बार मांगें रखीं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। फॉर्म ओ का तो निराकरण ही संभव नहीं है क्योंकि डीएम का जनता कफ्र्यू के दौरान डीएम का बसें बंद रखने का कोई आदेश ही नहीं निकला था। इंटक के प्रदेश महामंत्री प्रवेश मिश्रा (पिपरिया) ने यूनियनों की संयुक्त तौर पर हड़ताल की चेतावनी दी है।
इधर, जिले के संभागीय बस स्टैंड होशंगाबाद से अभी 25-30 निजी बसें ही चल पा रही हैं। जबकि अलग-अलग रूटों पर करीब 350 से अधिक निजी बसें संचालित होती हैं। बस यूनियनें एक साल के टैक्समाफी व किराया बढ़ोतरी की मांग कर रहीं, लेकिन शासन स्तर से सुनवाई नहीं हो पा रही। मप्र ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), नर्मदापुरम् बस ऑनर्स एसोसिएशन, प्राइमरूट बस एसोसिएशन ने परिवहन व्यवसाय को मंदी-घाटे से उबारने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री से लेकर परिवहन आयुक्त तक से शून्य करने-टैक्समाफी, के फॉर्म के निराकरण की कई बार मांगें रखीं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। फॉर्म ओ का तो निराकरण ही संभव नहीं है क्योंकि डीएम का जनता कफ्र्यू के दौरान डीएम का बसें बंद रखने का कोई आदेश ही नहीं निकला था। इंटक के प्रदेश महामंत्री प्रवेश मिश्रा (पिपरिया) ने यूनियनों की संयुक्त तौर पर हड़ताल की चेतावनी दी है।