चौका केबिन से ट्रेन छूटने के बाद ट्रेन जब करीब 50 से 60 किमी की स्पीड में आ जाती है तो लकड़ी लाने वाले लोग उसे दरवाजे पर जमा लेते हैं। होशंगाबाद स्टेशन का प्लेटफॉर्म आने से करीब 100 से 150 मीटर पहले ये लोग तेजी से चल रही ट्रेन से लकड़ी की बल्लियां गिराते हैं। यह बल्लियां यदि किसी दिन चलती ट्रेन के नीचे आ गई तो कोच बेपटरी भी हो सकते हैं जिसमें यात्रियों के साथ जानलेवा हादसा हो सकता है।
हमने फ्लाइंग स्क्वाड की टीम लगा रखी है। टीम नियमित चेकिंग करती है। लकड़ी लाने वाले टीम देखकर भीड़ में गुम हो जाते हैं इसलिए उन्हें पकडऩा मुश्किल होता है। हम मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और उम्मीद है कि इसमें लगे लोगों को जल्द पकड़ लेंगे।
अजय पांडे, डीएफओ होशंगाबाद
हम सीधे तौर पर कार्रवाई नहीं कर सकते
हमारी जांच टीम नियमित कार्रवाई करती है। जैसे ही सूचना मिलती है तत्काल कार्रवाई भी करते हैं। जिस जगह से लकड़ी लाई जाती है वहां पर वन विभाग का क्षेत्र है हम सीधे तौर पर वहां कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।
धर्मेंद्र सिंह राजपूत, चौकी प्रभारी आरपीएफ होशंगाबाद