गुड़पट्टी निर्माण में जहां समूह की सदस्य महिलाओं को मेहनताना नहीं मिला तो दूसरी ओर स्कूल डे्रस के मामले में भी बड़ी गड़बड़ी हुई थी लेकिन अधिकारियों ने लीपापोती करके सब बराकर कर दिया है। डे्रस के मामले में भी न समूह बने थे न समूहों ने डे्रस बनाई। मालाखेड़ी की एक फर्म के साथ मिलकर पूरी सप्लाई कर दी गई थी। इस खबर को पत्रिका ने प्राथमिकता से प्रकाशित किया था। इस खबर के बाद हुई जांच के बाद लीपापोती हो गई थी लेकिन इसके बाद में बीते सत्र में शासन ने सीधे विद्यार्थियों के खाते में राशि भेजी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि समय से विद्यार्थियों ने डे्रस भी सिलवा ली और पहन भी रहे हैं।
तवानगर में एक दर्जन स्व सहायता समूह बने थे। इन समूहों में से तीन समूहों को गुड़पट्टी बनाने का काम दिया गया था। समूह महिलाओं से गुड़पïट्टी भी बनवा ली और मेहनताना दो साल बाद भी महिलाओं भी नहीं मिला। महिलाओं ने शुरू ३५०० रुपए प्रतिमाह देने का वादा किया गया था। जनजागृति और स्वसहायता समूह की सदस्यों ने बताया कि सचिव कविता केचे, अध्यक्ष रेखा नागले, संजीवनी अध्यक्ष मीनाक्षी केचे, समूह की सचिव रीतू पथरिया और तत्कालीन केसला ब्लॉक के एनआरएलएम प्रभारी अखिलेश कटलाना ने मिलकर गुमराह किया था कि १०० रुपए प्रतिदिन मेहनताना मिलेगा
– महिलाओं के स्व सहायता समूह जब बनाए गए थे तो सपने दिखाए थे कि जो महिलाएं गुड़पट्टी बनाएंगी। वह गुड़पट्टी आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूल में सप्लाई होगी।
– गुड़पट्टी निर्माण के लिए ३ समूह सदस्यों को शिवपुरी भेजा गया था। इसमें तवानगर के जनजागृति समूह से मीनाक्षी पति राजू चैके प्रशिक्षण लेने गई थी। महिलाओं का कहना है कि प्रशिक्षण लेकर आने के बाद एक बार बताया था कि कैसे बनाई जाती है लेकिन स्वयं कभी साथ में न तो गुड़पट्टी बनवाई न कभी कोई ध्यान नहीं दिया।
– एनआरएलएम के तत्कालीन प्रभारी अखिलेश कटलाना, समूह अध्यक्ष और सचिव का संयुक्त खाता था। इस खाते में राशि आई थी। जब समूह अध्यक्ष, सचिव और कटलाना बैंक जाते तो समूह सदस्यों को छुट्टी दे देते थे।