जिले में दर्ज नहीं है मछुआरों की संख्या, अब होगा सर्वे, किसानों की तरह मिलेंगे केसीसी
-विभाग से मछुआरों को केसीसी लाभ दिलाने बैंकों को भेजे गए 1537 प्रकरण
-जिले के मछुआरों की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर, इन्हें मिलेगी आर्थिक मदद
होशंगाबाद
Published: March 11, 2022 11:45:34 am
नर्मदापुरम. जिले में मछुआरों और इनके परिवार कितने हैं इसकी संख्या संबंधित विभाग के पास ही नहीं है। जबकि मछुआरा समाज के मुताबिक जिले में उनकी संख्या करीब 30 से 40 हजार परिवार निवास करते हैं। कमिश्नर माल सिंह ने मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में मत्स्य पालन विभाग को मछुआरों का सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। यह सर्वे चालू मार्च और आगामी अप्रेल माह में अभियान के रूप चलाया जाएगा। बता दें कि जिले के नर्मदा-तवा नदी के किनारे करीब 65 गांव बसें हुए हैं, जिनमें मछुआरा परिवार सालों से अपने पुस्तैनी धंधे मस्त्याखेट करते हैं। इसी से इनकी रोजी-रोटी चलती है, लेकिन इन परिवारों की आर्थिक स्थिति नहीं सुधर सकी है। मछुआरों के कल्याण के लिए अब सरकार ने किसानों की तरह ही इन्हें भी किसान क्रेडिट कार्ड देने की योजना लागू की है। साथ ही नदियों के किनारे के ग्रामों की मत्स्यपालन समितियां भी गठित हो रही है। विभागीय जानकारी के मुताबिक सर्वे के साथ ही बैंकों के जरिए केसीसी कार्ड बांटे जा रहे हैं। इसमें मछुआरा किसानों को 23 हजार रुपए की सहायता दी जा रही, ताकि वह पुरानी नाव-डोंगे को सुधरवा सके। नई नाव-किश्ती सहित जाल आदि संसाधन जुटा सकें।
बैंकों को भेजे 1537 प्रकरण भेजे गए
गरीब मछुआरा परिवारों की जिंदगी में बदलाव लाने और इन्हें मछली पालन व्यवसाय में मजबूत बनाने के लिए केसीसी योजना पर काम चल रहा है। जिला मत्स्य पालन विभाग के मुताबिक अब तक 1537 आवेदनों के प्रकरण निजी-सरकारी बैंकों को भेजे जा चुके हैं। जिसमें प्रति हितग्राही को केसीसी लिमिट के अनुसार 23-23 हजार रुपए की राशि प्रदान की जा रही है। दो-तीन दिन में करीब साढ़े तीन सौ आवेदन और भेजे जा रहे हैं।
मछुआरों के पास नहीं है संसाधन
जिले में जो मछुआरे नर्मदा-तवा बेल्ट में मछली मार रहे हंै, लेकिन इनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। गरीबी की अभिशाप से इन्हें मुक्ति नहीं मिल पाई है। मछुआरों को मस्त्याखेट के लिए नाव-जाल ही उपलब्ध नहीं है। ज्यादातर मछुआरे गल-वंशी या पुराने कटे-फटे जाल से ही मत्स्याखेट कर रहे हैं। इन्हें नए जाल और डोंगे-नाव, किश्तयों की जरूरत है। केसीसी लिमिट से इन्हें सहायता राशि दी जा रही है। बीते सालों में मछुआरा परिवारों का सर्वे ही नहीं हुआ है। विभाग ने नए वित्तीय वर्ष में मार्च माह से इनका सर्वे शुरू किया है।
इनका कहना है....
जिले में मछुआरों की काफी संख्या है, लेकिन इनकी वास्तविक संख्या का अभी रिकॉर्ड नहीं है। कमिश्नर के निर्देश पर मछुआरा परिवारों का सर्वे शुरू किया गया है। साथ ही किसान के्रडिट कार्ड योजना का लाभ दिलाने 1537 प्रकरण बैंकों को भेजे जा चुके हैं। जल्द ही इन्हें 23-23 हजार रुपए की राशि दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-अरविंद डांगीवाल, जिला मस्त्य अधिकारी नर्मदापुरम।

जिले में दर्ज नहीं है मछुआरों की संख्या, अब होगा सर्वे, किसानों की तरह मिलेंगे केसीसी
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