रतौंधी के कारण गश्त खाकर गिर रहे मवेशी
गौसेवक गजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी एवं मौसमी बीमारी के कारण सड़कों पर घूम रहे गौवंश-आवारा मवेशी रतौंधी के कारण गश्त खाकर गिर एवं बेहोश हो रहे हैं। रसूलिया में बीते दिवस इस वजह से मवेशी की मौत भी हुई है। मवेशियों को चारा-पानी नहीं मिलने से भी भूख-प्यास के कारण मवेशियों के जीवन पर संकट बढ़ रहा है।
एक से डेढ़ हजार क्षमता की गौशाला की जरूरत
गौसेवकों ने बताया कि शहर में आवारा मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में ही तीन से चार हजार मवेशी सड़क-चौराहों एवं रहवासी इलाकों में विचरण कर रहे। इन मवेशियों के जीवन को बचाने व पालन-पोषण, देखभाल के लिए शहर में एक से डेढ़ हजार क्षमता की बड़ी गौशाला का निर्माण होना चाहिए, ताकि नगरपालिका इन्हें पकड़कर इसमें रख सके।
गौसेवक गजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी एवं मौसमी बीमारी के कारण सड़कों पर घूम रहे गौवंश-आवारा मवेशी रतौंधी के कारण गश्त खाकर गिर एवं बेहोश हो रहे हैं। रसूलिया में बीते दिवस इस वजह से मवेशी की मौत भी हुई है। मवेशियों को चारा-पानी नहीं मिलने से भी भूख-प्यास के कारण मवेशियों के जीवन पर संकट बढ़ रहा है।
एक से डेढ़ हजार क्षमता की गौशाला की जरूरत
गौसेवकों ने बताया कि शहर में आवारा मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में ही तीन से चार हजार मवेशी सड़क-चौराहों एवं रहवासी इलाकों में विचरण कर रहे। इन मवेशियों के जीवन को बचाने व पालन-पोषण, देखभाल के लिए शहर में एक से डेढ़ हजार क्षमता की बड़ी गौशाला का निर्माण होना चाहिए, ताकि नगरपालिका इन्हें पकड़कर इसमें रख सके।
जिले में कुल 23 गौशालाएं, सुविधाओं की कमी
जिले में कुल 23 गौशालाएं संचालित हो रही है। इनमें अशासकीय स्वयंसेवी गौशालाओं की संख्या आठ एवं मुख्यमंत्री गौशाला योजना की 15 गौशालाएं शामिल है। इनमें मात्र 2 हजार 23 मवेशी ही रह पा रहे, जबकि मवेशियों की संख्या करीब 80 से 85 हजार के आसपास है।
जिले में कुल 23 गौशालाएं संचालित हो रही है। इनमें अशासकीय स्वयंसेवी गौशालाओं की संख्या आठ एवं मुख्यमंत्री गौशाला योजना की 15 गौशालाएं शामिल है। इनमें मात्र 2 हजार 23 मवेशी ही रह पा रहे, जबकि मवेशियों की संख्या करीब 80 से 85 हजार के आसपास है।