scriptइस वर्ष सिंह पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण, स्वर्ण-पात्र में अन्न ग्रहण करते आएगी मकर संक्रांति | This year, a lioness, wearing white clothes, will come to eat food in | Patrika News

इस वर्ष सिंह पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण, स्वर्ण-पात्र में अन्न ग्रहण करते आएगी मकर संक्रांति

locationहोशंगाबादPublished: Jan 09, 2019 01:11:39 pm

Submitted by:

govind chouhan

तिल-गुड़ की मिठास ही नहीं, पतंगों की उड़ान, लहलहाती फसलें और बसंत का आगाज भी कराता है मकर संक्रांति का पर्व

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इस वर्ष सिंह पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण, स्वर्ण-पात्र में अन्न ग्रहण करते आएगी मकर संक्रांति

होशंगाबाद. ( गोविंद चौहान ) मकर संक्रांति पर्व मुख्यत: सूर्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। मकर एक राशि है और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़ के दूसरे में प्रवेश करने की सूर्य की इस क्रिया को मकर संक्रांति कहते है। इस बार संक्राति का वाहन सिंह एवं उपवाहन गज (हाथी) होगा। संक्रांति श्वेत वस्त्र धारण किए स्वर्ण-पात्र में अन्न ग्रहण करते हुए कुमकुम का लेप कर उत्तर दिशा की ओर जाती हुई आ रही है।

यह रहेगा पुण्य काल
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष लाभप्रद रहता है। मकर संक्रांति स्नान का पुण्य काल 14 जनवरी की अद्र्धरात्रि से 15 जनवरी 2019 को प्रात:काल से लेकर सायंकाल 6 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दिन तिल से बनी हुई वस्तुओं एवं ताम्र पात्रों का दान देना श्रेयस्कर रहेगा।

राशियों पर मकर संक्राति का फल इस प्रकार रहेगा- 1. मेष-धनलाभ, 2. वृष-हानि, 3. मिथुन-लाभ, 4. कर्क-कार्यसिद्धि, 5. सिंह-पुण्य लाभ, 6. कन्या- कष्ट व पीड़ा, 7. तुला- सम्मान व प्रतिष्ठा की प्राप्ति, 8. वृश्चिक- भय व व्याधि, 9. धनु- सफलता, 10. मकर- विवाद, 11. कुंभ- धनलाभ, 12. मीन- कार्यसिद्धि के योग हैं।
इसलिए खास होता है मकर संक्रांति का पर्व

1. उत्तरायण होता है सूर्य : यह त्यौहार सूर्य की दिशा को निर्धारित करने वाला होता है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढऩे लगता है, जिससे दिन की लंबाई बढऩा और रात की लंबाई छोटी होनी शुरू हो जाती है। और इसी के चलते दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।
2. तिल और गुड़ का त्यौहार : तिल और गुड़ इस त्यौहार की खास पहचान है। बिना इसके यह त्यौहार ही नहीं मनता। हर घर में तिल-गुड़ की मिठास फैली होती है। लेकिन इस पर्व पर तिल-गुड़ का सेवन ही क्यों किया जाता है। इसके पीछे तथ्य है कि सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने हो जाता है औरशरीर में रोग और बीमारी जल्दी घर करने लगते हैं। चूंकि गुड़ और तिल की तासीर गर्म होती है ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन फायदेमंद होता है। इस लिए इस दिन को तिल गुड़ से जोड़कर गुड और तिल से बने मिष्ठान खाए जाते हैं। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्व के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं। इसलिए इस दिन खासतौर से तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं।
3. पतंग महोत्सव : इस त्यौहार से जुड़ा एक खास पहलू है पतंग महोत्सव। सालभर आपको आसमान में कहीं पतंग उड़ती नजर नहीं आती हैं लेकिन मकर संक्रांति के आते ही आसमान में पतंगें उड़ान भरने लगती हैं। इस त्यौहार को पतंगों उड़ाने की शुरुआत से भी जोड़ा जाता है। इतना ही नहीं मकर संक्रांति पर बड़ी-बड़ी पतंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। जहां बहुरंगीय और रूपीय पतंगे आसामान को शोभायमान करती हैं। इसके पीछे भी तथ्य यह है कि पतंग उड़ाते समय हमारा कई घंटों का समय धूप में गुजर जाता है और सूर्य की सीधी किरणें हमारे शरीर को प्रभावित करती हैं। जो कि शरीर के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।

4 . सुख और समृद्धि का प्रतीक : मकर संक्रांति को स्नान, दान और पूजा के महापर्व के साथ ही सुख और समृद्धि का पर्व भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है की इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्याग कर उनके घर गए थे। इसलिए इस दिन को सुख और समृद्धि का माना जाता है। और इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इस दिन कई नदियों के तट और स्थानों पर बड़े-बड़े मेले भी आयोजित किए जाते हैं।
5. फसलों के लहलहाने का पर्व : यह पर्व पूरे भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है। खरीफ की फसलें कट चुकी होती है और खेतो में रबी की फसलें लहलहाने लगती है। सरसों के फूल खेतों को मनमोहकता प्रदान करने लगते हैं। पूरे देश में इस समय ख़ुशी का माहौल होता है। अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग स्थानीय तरीकों से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है वहीं उत्तर भारत में इसे लोहड़ी कहा जाता है। और मध्य भारत में इसे संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति पर करें यह उपाय, मिलेगी सफलता

मकर संक्रांति स्नान, दान, पूजा के साथ ही सुख और समृद्धि का पर्व माना जाता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख और समृद्धि चाहता है। ऐसे में मकर संक्रांति पर कुछ साधाराण से उपाय करके जीवन को सुख और संपन्न बनाया जाता सकता है। कुछ ऐसे ही उपाय करके आप भी जीवन में बदलाव ला सकते हैं।
1. मकर संक्रांति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे से अध्र्य दें। पानी में कुमकुम तथा लाल रंग के फूल भी मिलाएं तो और भी शुभ रहेगा। अध्र्य देते समय ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते रहें। इससे मनवांछित इच्छाएं पूरी हो सकती है।
2. माना जाता है कि तांबा सूर्य की धातु है। मकर संक्रांति पर तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य दोष कम होता है। इसके साथ-साथ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर दान देने से भी व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती है।
3. मकर संक्रांति पर गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए। ये उपाय करने से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।
4. मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए दान का पुण्य सौ गुना होकर प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म वस्त्र, घी, दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी आदि का दान करें। गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
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