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प्राइमरी ,मिडिल स्कूलों के बच्चों की जान खतरे में

locationहोशंगाबादPublished: Sep 17, 2017 12:26:40 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

तीन शिक्षक,156 बच्चे, कैसे हो पढ़ाई

 children studying

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पिपरिया. सरकारी स्कूलों में लगातार गिरते शिक्षा के स्तर के पीछे स्कूलों में व्याप्त अव्यवस्थाएं एक प्रमुख कारण है। इसके चलते न तो स्कूलों में शिक्षा स्तर सुधर पा रहा है न ही बच्चों का भविष्य । अव्यवस्थाओं का यही आलम शहर के मध्य कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल परिसर में संचालित अशोक प्रायमरी व मिडिल स्कूलों का है। शनिवार को मद्धिम रोशनी में स्कूल के एक कमरे में बैठे एक सैकड़ा बच्चे पढ़ाई की जगह समय बिताते नजर आए। वहीं प्राइमरी स्कूल में गंदगी से पटे टॉयलेट स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोलते नजर आए। स्कूल में न बिजली की व्यवस्था दिखी न पेयजल की।
बिजली, पानी तक नहीं : अशोक प्राथमिक शाला में बैंक ने सीलिंग फैन दान किए लेकिन बिजली कनेक्शन के अभाव में बच्चे और शिक्षिकाएं गर्मी और उमस के चलते परेशान हैं। पेजयल के लिए बच्चे हैंड पंप चलाते है जबकि इसी से सटे हायर सेकेण्डरी स्कूल में बिजली है लेकिन नन्हें बच्चों के लिए बिजली कनेक्शन व पानी तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
झाडिय़ों और घास से घिर गए शौचालय
प्राइमरी शाला के शौचालय के आसपास एवं स्कूल कक्ष के पीछे सफाई के अभाव में जंगल उग आया है। शौचालय तक पहुंचने के रास्ते में गंदगी पसरी है। छोटे बच्चे कैसे शौचालय तक पहुंचे यह जिम्मेबारों को नजर नहीं आता। वहीं शौचालय चौक पड़ा है जिससे उसका उपयोग ही नहीं हो रहा है जबकि सरकार गांव-गांव में शौचालय का लक्ष्य पूरा करने का बिगुल फूंक रही है।

बॉयो टायॅलेट भी गंदगी में : प्राइमरी से सटे मिडिल सरकारी स्कूल की हालत भी स्वच्छता के मामले में बदतर है। शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों के लिए स्कूल के पीछे बॉयो टॉयलेट का निर्माण कराया है लेकिन रैम्प तक अस्थाई जंगल उग आया है। टायलेट तक पहुंचने की समस्या के चलते बच्चे उपयोग ही नहीं कर पा रहे हैं।
खतरे में बच्चों की जान
प्राइमरी ,मिडिल स्कूल के पीछे बड़ी झाडिय़ां और घास उग आया है ऐसे में जहरीले जंतुओं के डर से सैकड़ों बच्चों की जान को हमेशा खतरा बना रहता है। कई बार सांप वगैर स्कूल कक्ष तक पहुंच चुके हैं इसके बाद भी स्वच्छता के प्रति कोई जागरुक नहीं हो रहा है।
सबसे बड़ी समस्या…
शाला में सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों की है। यहां बच्चों की दर्ज संख्या 156 है लेकिन इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक महज तीन ही हैं जबकि नियमानुसार 30-35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। शिक्षिकाएं बच्चों को घेरा बनाकर बैठा तो लेती हैं लेकिन दर्ज संख्या अधिक होने से प्रापर पढ़ाई नहीं करा पाती। शाला में प्रधानाध्यापक क्रांति पटेल सहित दो अन्य शिक्षिका दुलारी गुप्ता व कविता पटेल है। जिनके भरोसे 156 बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है। शिक्षक पदस्थी के लिए बीआरसी को प्रतिवेदन भेजा गया है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रधान अध्यापक की पदस्थी का प्रतिवेदन डीईओ को अग्रेषित किया है। सफाई के लिए मिडिल स्कूल के भृत्य को निर्देशित किया गया। परिसर स्वच्छ रहे इसकी जवाबदारी सामूहिक रूप से सभी की है। इसका उल्लंघन करने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित करेंगे। -प्रदीप कुमार शर्मा, बीआरसीसी
प्राइमरी स्कूल में बिजली उपलब्ध कराने का प्रबंध करेंगे। परिसर की सफाई प्राथमिकता से कराई जाएगी। साथ ही पेयजल के लिए शीघ्र ही कनेक्शन चालू कराएंगे।
अरविंद रघुवंशी, संकुल प्राचार्य
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